Tuesday, 13 October 2015

नवरात्रि पूजन विधि,, नवरात्रि पर्व नौ दिन कैसे करें कन्या पूजन

 नवरात्रि पर्व नौ दिन कैसे करें कन्या पूजन   नवरात्रि पूजन विधि ,,नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप की पूजा की जाती है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।
कलश / घट स्थापना विधि ,,,सामग्री:,,,जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र ,,,जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी ,,,पात्र में बोने के लिए जौ ,,घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ,,,कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल ,,मोली,,,इत्र ,,साबुत सुपारी ,,कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के ,,,अशोक या आम के 5 पत्ते ,,कलश ढकने के लिए ढक्कन ,,,ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल ,,,पानी वाला नारियल ,,,नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा ,,,फूल माला ,,,,
विधि ,,सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी डालें। कलश में थोडा सा इत्र दाल दें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। "हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें।" अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।
कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।
नवरात्री के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें "हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।" उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।
नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।
नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है।
नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।
नवरात्री के प्रतिदिन कंडे की धूनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।
मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।
प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। किस दिन क्या सामग्री गिफ्ट देनी चाहिए ये भी आगे बताएँगे।
प्रतिदिन कुछ मन्त्रों का पाठ भी करना चाहिए।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,Gems For Everyone 
जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी ।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नवरात्रि पर्व नौ दिन कैसे करें कन्या पूजन,,
प्रथम दिन इन्हें फूल की भेंट देना शुभ होता है। साथ में कोई एक श्रृंगार सामग्री अवश्य दें। अगर आप मां सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते है तो श्वेत फूल अर्पित करें। अगर आपके दिल में कोई भौतिक कामना है तो लाल पुष्प देकर इन्हें खुश करें। (उदाहरण के लिए : गुलाब, चंपा, मोगरा, गेंदा, गुड़हल
,,दूसरे दिन फल देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।
,,तीसरे दिन मिठाई का महत्व होता है। इस दिन अगर हाथ की बनी खीर, हलवा या केशरिया चावल बना कर खिलाए जाएं तो देवी प्रसन्न होती है।
,,चौथे दिन इन्हें वस्त्र देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंगबिरंगे रीबन दिए जा सकते हैं।
,,पांचवे दिन देवी से सौभाग्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना की जाती है। अत: कन्याओं को पांच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना अत्यंत शुभ होता है। इनमें बिंदिया, चूड़ी, मेहंदी, बालों के लिए क्लिप्स, सुगंधित साबुन, काजल, नेलपॉलिश, टैल्कम पावडर इत्यादि हो सकते हैं।
,,छठे दिन बच्चियों को खेल-सामग्री देना चाहिए। आजकल बाजार में खेल सामग्री की अनेक वैरायटी उपलब्ध है। पहले यह रिवाज पांचे, रस्सी और छोटे-मोटे खिलौनों तक सीमित था। अब तो ढेर सारे विकल्प मौजूद है।
,,सातवां दिन मां सरस्वती के आह्वान का होता है। अत: इस दिन कन्याओं को शिक्षण सामग्री दी जानी चाहिए। आजकल स्टेशनरी बाजार में विभिन्न प्रकार के पेन, स्केच पेन, पेंसिल, कॉपी, ड्रॉईंग बुक्स, कंपास, वाटर बॉटल, कलर बॉक्स, लंच बॉक्स उपलब्ध है।
,,आठवां दिन नवरात्रि का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन अगर कन्या का अपने हाथों से श्रृंगार किया जाए तो देवी विशेष आशीर्वाद देती है। इस दिन कन्या के दूध से पैर पूजने चाहिए। पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इस दिन कन्या को भोजन कराना चाहिए और यथासामर्थ्य कोई भी भेंट देनी चाहिए। हर दिन कन्या-पूजन में दक्षिणा अवश्य दें।
,,नौवें दिन खीर, ग्वारफली और दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का अयोजन किया है तो उसके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएं। उसे इलायची और पान का सेवन कराएं।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि देवी जब अपने लोक जाती है तो उसे घर की कन्या की तरह ही बिदा किया जाना चाहिए। अगर सामर्थ्य हो तो नौवें दिन लाल चुनर कन्याओं को भेंट में दें। उन्हें दुर्गा चालीसा की छोटी पुस्तकें भेंट करें।
इन सारी रीतियों के अनुसार पूजन करने से देवी प्रसन्न होकर वर्ष भर के लिए सुख, समृद्धि, यश, वैभव, कीर्ति और सौभाग्य का वरदान देती है।


 

Sunday, 11 October 2015

नवरात्रि 2015 कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर 2015
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह - 3 :00 से 6:15 तक
शुभ चोघडिया - सभी के लिए- अमृत -06 :00 से 8 :24,तक
व्यापारियो के लिए- अमृत-10:00 से 12 :24,तक
कारपोरेट के लिऐ -अमृत 3 :36 से5:15 , तक
साधको के लिए -महेन्द्र - शाम 07 :36 से 9 :12 ,तक
सर्वजन के लिऐ - अमृत -9 :12 से 10 :00 ,तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर -11:36 से 12 :24
प्रतिपदा सोमवार रात 4:25 से बुधवार सुबह 6:24 तक है , चित्रा नक्षत्र सोमवाररात 11:06से मँगलवार रात 4:14 तक है , वैधृति योग सोमवार रात 11:35 से मँगलवार रात 12:06 तक है ।
वैधृति चित्रा सम्पूर्ण दिवस हो तो तो प्रारम्भिक दो चरणों और अभिजित मुहूर्त मे कलश स्थपन शुभ है
इस तरह ब्रह्म मुहूर्त से दोपहर 12:24 के पहले या अमृत चौघडिया मे कलश स्थापन करना शास्त्रीय शुभ है ,
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त -
ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 3: 00 से 6 : 15 बजे तक ,
अमृत - सुबह 6:00 से 8 :24 तक ,
प्रथम बेला :- 8:24 से 10:15 तक
अभिजित - दोपहर -11:36 से 12:24 तक
पूजा पण्डालो की नवरात्र पूजन कार्यक्रम ।।
शारदीय नवरात्रि 2015 - कार्यक्रम 10 दिन का नवरात्रि है।
13 अक्टूबर - मँगलवार -
प्रतिपदा - कलश स्थापना- सुबह 6:30 , ध्वजारोपन , दिन भर , - शैल पुत्री पूजन , सुबह आरती - 9 :00 // शाम आरती 8 :00
14 अक्टूबर बुधवार - द्वितीया -दिन -6:24 से
ब्रह्मचारिणी पू जन । सुबह आरती - 9 :00 // शाम आरती 8 :00
15 अक्टूबर गुरुवार - तृतीया-दिन 08:08 से
चंद्र घण्टा पूजन
सुबह आरती - 9 :00 // शाम आरती 8:00
16 -अक्टूबर -शुक्रवार - गणेश चतुर्थी -दिन -9:27 से,
कुष्माडा पूजन । सुबह आरती - 9 :00 // शाम आरती 8:00
17 अक्टूबर - शनिवार - पँचमी दिन 10:19 से,
स्कन्ध माता पूजन ।
18- अक्टूबर -रविवार - महाषष्ठी- दिन 10:40 से ,कात्यायनी पूजन ।-
सुबह आरती दिन 09:00,।शाम आरती 8:00
बेलवरण शाम - 5:30 बजे से
19 अक्टूबर सोमवार - महासप्तमी दिन 10:29 से ,
नवपत्रिका प्रवेश सुबह - 10:30 से 11:30 तक ,
सभी प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होगी
,आरती *पुष्पाजलि शाम 9:00 । सुबह आरती - 9 :00 // शाम आरती 8:00 ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम-
20 अक्टूबर -मँगल वार- महाअष्टमी - दिन -9 :48 से बुधवार सुबह 8:41 तक दोपहर - आरती- पुष्पाँजलि - दोपहर- 11:00 , शाम आरती पुष्पाजलि - 8:00
सांस्कृतिक कार्यक्रम-
21 अक्टूबर बुधवार -महानवमी- सुबह -8:41 से गुरुवार सुबह 7:11 तक ,
,सन्धि पूजा/ बलि - ( सुबह 8 :41 बजे तक अष्टमी है ), सिद्धिदात्री पूजन ,
निशीथ रात्रि महानिशा पूजन 11:30 बजे , । आरती *पुष्पाजलि :-सुबह 11 :00// आरती *पुष्पाजलि शाम - 8:00 ।।महाभोग वितरण- दोपहर 11:00 बजे
साँस्कृतिक कार्यक्रम रात- 22 अक्टूबर गुरुवार -
विजयादशमी -सुबह 07:11से -इसके बाद विजयादशमी- विसर्जन-हवन - 10:00 से 11:30 तक ,
पुष्पाजँलि आरती - सुबह - 11:40 //
शाम - पुष्पाजलि *आरती-8:00 // महाभोग वितरण :- दोपहर 11:00 से ।।
साँस्कृतिक कार्यक्रम रात*ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,Gems For Everyone 
नवरात्र बिशेष नव देवीयो कें नाम,, उनकें प्रतिदिन कें भोग,,और तिथियो की पूरी जानकारी,,इस नवरात्र में तिथिया बड़ रही है जो की शास्त्रो कें हिसाब सें शुभ है माता का आना भी शुभ संकेत है ,,श्रध्दाभाव एवं विस्वास सें माँ की सेवा करें आप की हर मनोकामना पूरी होगी
(1) प्रथम - कलशस्थापन -शैलपुत्री (भोग -खीर)
(2) द्वितीया- ब्राह्मचारिणी (भोग-खीर,गाय का घी,एवं मिश्री)
(3) त्रतीया-चन्द्रघंटा (भोग-कैला,दूध,माखन,मिश्री )
(4) चतुर्थी-कुष्मांडा (भोग-पोहा,नारियल,मखाना)
(5) पंचमी-स्कन्दमाता (भोग-शहद एवं मालपुआ )
(6) षष्टी-कात्यायनी(भोग- शहद एवं खजूर))
(7) सप्तमी-कालरात्री (भोग-अंकुरीत चना एवं अंकुरित मूँग )
(8) अष्टमी-महागौरी (भोग-नारियल,खिचड़ी,खीर )
(9) नवमी -सिध्दीदात्री (भोग-चूड़ा दही,पेड़ा,हलवा,,)
(10 ) दशमी - धान का लावा

 

Friday, 2 October 2015

महालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् श्री महालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम्

श्री महालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् ॥
चक्राकारं महत्तेजः तन्मध्ये परमेश्वरी ।
जगन्माता जीवदात्री नारायणी परमेश्वरी ॥ १ ॥
व्यूहतेजोमयी ब्रह्मानन्दिनी हरिसुन्दरी ।
पाशाङ्कुशेक्षुकोदण्ड पद्ममालालसत्करा ॥ २ ॥
दृष्ट्वा तां मुमुहुर्देवाः प्रणेमुर्विगतज्वराः ।
तुष्टुवुः श्रीमहालक्ष्मीं ललितां वैष्णवीं पराम् ॥ ३ ॥
॥ श्रीदेवाः ऊचुः ॥
जय लक्ष्मि जगन्मातः जय लक्ष्मि परात्परे ।
जय कल्याणनिलये जय सर्वकलात्मिके ॥ १ ॥
जय ब्राह्मि महालक्ष्मि ब्रहात्मिके परात्मिके ।
जय नारायणि शान्ते जय श्रीललिते रमे ॥ २ ॥
जय श्रीविजये देवीश्वरि श्रीदे जयर्द्धिदे ।
नमः सहस्त्र शीर्षायै सहस्त्रानन लोचने ॥ ३ ॥
नमः सहस्रहस्ताब्जपादपङ्कजशोभिते ।
अणोरणुतरे लक्ष्मि महतोऽपि महीयसि ॥ ४ ॥
अतलं ते स्मृतौ पादौ वितलं जानुनी तव ।
रसातलं कटिस्ते च कुक्षिस्ते पृथिवी मता ॥ ५ ॥
हृदयं भुवः स्वस्तेऽस्तु मुखं सत्यं शिरो मतम् ।
दृशश्चन्द्रार्कदहना दिशः कर्णा भुजः सुराः ॥ ६ ॥
मरुतस्तु तवोच्छ्वासा वाचस्ते श्रुतयो मताः ।
क्रिडा ते लोकरचना सखा ते परमेश्वरः ॥ ७ ॥
आहारस्ते सदानन्दो वासस्ते हृदयो हरेः ।
दृश्यादृश्यस्वरूपाणि रूपाणि भुवनानि ते ॥ ८ ॥
शिरोरुहा घनास्ते वै तारकाः कुसुमानि ते ।
धर्माद्या बाहवस्ते च कालाद्या हेतयस्तव ॥ ९ ॥
यमाश्च नियमाश्चापि करपादनखास्तव ।
स्तनौ स्वाहास्वधाकारौ सर्वजीवनदुग्धदौ ॥ १० ॥
प्राणायामस्तव श्वासो रसना ते सरस्वती ।
महीरुहास्तेऽङ्गरुहाः प्रभातं वसनं तव ॥ ११ ॥
आदौ दया धर्मपत्नी ससर्ज निखिलाः प्रजाः ।
हृत्स्था त्वं व्यापिनी लक्ष्मीः मोहिनी त्वं तथा परा ॥ १२ ॥
इदानीं दृश्यसे ब्राह्मी नारायणी प्रियशङ्करी ।
नमस्तस्यै महालक्ष्म्यै गजमुख्यै नमो नमः ॥ १३ ॥
सर्वशक्त्यै सर्वधात्र्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।
या ससर्ज विराजं च ततोऽजं विष्णुमीश्वरम् ॥ १४ ॥
रुदं तथा सुराग्रयाँश्च तस्यै लक्ष्म्यै नमो नमः ।
त्रिगुणायै निर्गुणायै हरिण्यै ते नमो नमः ॥ १५ ॥
यन्त्रतन्त्रात्मिकायै ते जगन्मात्रे नमो नमः ।
वाग्विभूत्यै गुरुतन्व्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ॥ १६ ॥
कम्भरायै सर्वविद्याभरायै ते नमो नमः ।
जयाललितापाञ्चाली रमातन्वै नमो नमः ॥ १७ ॥
पद्मावतीरमाहंसी सुगुणाऽऽज्ञाश्रियै नमः ।
नमः स्तुता प्रसनैवञ्छन्दयामास सव्दरैः ॥ १८ ॥
फल श्रुति श्री लक्ष्मी उवाच ॥
स्तावका मे भविश्यन्ति श्रीयशोधर्मसम्भृताः ।
विद्याविनयसम्पन्ना निरोगा दीर्घजीविनः ॥ १ ॥
पुत्रमित्रकलत्राढ्या भविष्यन्ति सुसम्पदः ।
पठनाच्छ्रवणादस्य शत्रुभीतिर्विनश्यति ॥ २ ॥
राजभीतिः कदनानि विनश्यन्ति न संशयः ।
भुक्तिं मुक्तिं भाग्यमृद्धिमुत्तमां च लभेन्नरः ॥ ३ ॥

*ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,Gems For Everyone 
॥ श्रीलक्ष्मीनारायणसंहितायां देवसङ्घकृता श्रीमहालक्ष्मीललितास्तोत्रम् ॥

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