Tuesday 30 December 2014

शुभ रात्री यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है

शुभ रात्री यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है 
ज़ु ज़ु ज़ू ज़ु ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु ज़ु ज़ू यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाए ज़ु ज़ु ज़ू ज़ु ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु ज़ु ज़ू रात ठंडी ठंडी हवा, गा के सुलाए भोर गुलाबी पलकें, खोल के जगाए दो अँखियों में तुझे बसाके जाने कब से जागूँ तू माँगे तो चाँद भी दे दूँ तुझ से कुछ ना माँगूँ खोल तू आँखें देख यहाँ हूँ और नहीं कोई मैं तेरी माँ हूँ, ज़ु ज़ु ज़ू ... तेरे लिये कैसे कैसे सपने सजाए, मेरे लाल से ... जाने कब ये आती जाती सांस कहाँ थम जाए देख मुरझाता फूल टूट के डाली से कब गिर जाए तू जो मुझे माँ माँ ... माँ, रहके बुलाए रूह को मेरी चैन आ जाए, ज़ु ज़ु ज़ू ... सो जाए ऐसे फिर ना जागूँ जगाए, मेरे लाल से .



Monday 29 December 2014

शुभ रात्रि हे जगन्नाथ!जग के प्यारे! हे देवकीनंदन! जगत -प्रिये

शुभ रात्रि  हे जगन्नाथ!जग के प्यारे! हे देवकीनंदन! जगत -प्रिये! हे पुरुषोत्तम!हे नीलांजन! हे मुरली मनोहर! निर्मल मन! हे बालसखा! हे पद्मनाभ! हे दामोदर! निर्मल स्वाभाव! सुन लो मेरी तुम करुण पुकार जीवन को दो नूतन आधार हर लो मन का तुम शोक हरि माधव-मुकुंद,तुम गिरधारी। हे राधा-वल्लभ! राजगोपाल! मैं शरण गहूँ इस दुःख के काल! हे जगतगुरु ! वैकुंठनाथ! सब कुछ तो है,बस तुम हो साथ हे आदिदेव! अत्च्युत,अचल! है शीश झुका,हैं नेत्र सजल हे आनंद सागर,अनंतजीत! बन जाओ बस तुम मन के मीत हे ज्ञानेश्वर,हे कमलनयन!हे योग्योगेश्वर!मनमोहन!हे पारब्रह्म!हे परमात्मन!भिक्षा में दो भक्ति सघन हे सत्यसनातन सर्वेश्वर!तुम ही हो जग के परमेश्वर हे हिरण्य गर्भे अनंतजीत! तुझसे लगी है जीवन की प्रीत हे केशव,कुंज, बिहारी,ईश है गुरु दक्षिणा,मेरा शीश हे प्राणप्रिये,हे मधुसुदन बस आन बसों अब मेरे मन

शुभ रात्रि ,,या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम

शुभ रात्रि ,,या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रुपेण संस्थिता |नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


शुभ रात्रि ॐ श्री हनुमते नमः हनूमानंजना सूनुर्वायुपुत्रॊ महाबलः ।रामॆष्टः फल्गुन सखः

शुभ रात्रि  ॐ श्री हनुमते नमः हनूमानंजना सूनुर्वायुपुत्रॊ महाबलः ।रामॆष्टः फल्गुन सखः पिंगाक्षॊमित विक्रमः श्री हनुमते नमः, श्री हनुमते नमः,,ॐ अज्जनयाये विद्महे वायुपुत्राये धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्.
नमामि दूतं रामस्य सुखदं च सुरद्रुमम् ! पीनवृत्तमहाबाहुं सर्वशत्रु निवारणम् !! 1 नानारत्न समायुक्तं कुण्डलादि विराजितम् ! सर्वदाsभीष्ट दातारं सतां वै दृढमाहवे !!


शुभ रात्रि गणपति जगबंदन |संकर - सुवन भवानी नंदन ||

शुभ रात्रि  गणपति जगबंदन |संकर - सुवन भवानी नंदन ||
सिध्दी -सदन, गज-बदन, विनायक |कृपा-सिंधु, सुंदर, सब- लायक ||
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता |विद्या-बारिधि, बुध्दी-बिधाता ||
मांगत तुलसीदास कर जोरे |बसही रामसिय मानस मोरे ||


शुभ रात्रि,,ॐ नमो नारायण,

शुभ रात्रि,,ॐ नमो नारायण,,
ॐ रक्षा सूत्र मन्त्र ॐ पूर्वे रक्षतु वाराहःआग्नेयां गरुड़ध्वजः ।दक्षिणे पद्मनाभस्तु नैऋत्यां मधुसुदनः ॥पश्चिमे चैव गोविन्दो वायव्यां तु जनार्दनः।उत्तरे श्री पते रक्षेत् ईशाने तु महेश्वरः ॥ उर्ध्व रक्षतु धाता वोह्यधोऽनन्तस्तु रक्षतु ।एवं दश दिशो रक्षेत् वासुदेवो जनार्दनः ॥ रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष ।रक्ष त्रैलोक्य रक्षकः ॥ कालेवर्षतु पर्जन्यःपृथिवी सस्यशालिनीदेशोऽयं क्षोभरहितोसुप्रजाः सन्तु निर्भयाः।शिवमस्तु ! सर्वजगतःपरिहितनिरताःभवन्तु ! यतोधर्मस्ततोजयः॰धर्मो विश्वस्यजगतःप्रतिष्ठाधर्मो रक्षति रक्षितः!"विविध कल्याणमस्तु"'शुभम् भूयात'॥स्वस्ति श्रीरस्तु

शुभ रात्रि शंकरपार्वतीभ्याम् नमो नमः

शुभ रात्रि शंकरपार्वतीभ्याम्  नमो नमः
गङ्गातरंग रमणिय जटकलापं गौरी निरन्तर विभूषित वामभागम ।
नारायण प्रिय मनंग मदापहारं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम ॥
वाचामगोचर मनेगगुणस्वरूपं वागीशविष्णु सुरसेवित पादपीठम ।
वामेन विग्रहवरेण कलत्रवन्तं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाठम ॥
भूताधिपं भुजग भूषण भूषितांगं व्याघ्राजिनांबरधरं जटिलं त्रिनेत्रम ।
पाशांकुशाभय वरप्रद शूलपाणिं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाठम ।
शीतांशु शोभित किरीट विराजमानं भालेक्शणानल विशोषित पंचबाणम ।
नागाधिपारचित भासुरकर्णपूर वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम ॥
पंचाननं दुरित मत्त मदंगजानां नागान्तकं दनुजपुंगव पन्नगानाम ।
दावानलं मरणशोक जराटवीनां वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम ॥
तेजोमयं सगुण निर्गुण मद्वितीयं आनन्दकन्द मपराजित मप्रमेयम ।
नागात्मकं सकलनिष्कल मात्मरूपं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम ॥
रागादिदोष रहितं स्वजनानुरागं वैराग्य शान्ति निलयं गिरिजा सहायम ।
माधुर्य धैर्य सुभगं गरलाभिरामं वाराणसीपुरपतिम भज विश्वनाथम ॥
आशां विहाय परिहृत्य परस्य निन्दां पापे रतिं च सुनिवार्य मनः समाधौ ।
आधाय हृत्कमल मध्यगतं परेशं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम ॥
वाराणसी पुरपतेः स्तवनं शिवस्य व्याख्यात मष्टकमिदं पठते मनुष्यः ।
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं सम्प्राप्य देह विलये लभते च मोक्शम ॥

विश्वनाथाष्टकमिदं यः पठेच्च्हिव सन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोददे ॥
॥ इति व्यासप्रणीतं श्री विश्वनाथाष्टकम संपूर्णम ॥ रत्न परामर्श के लिए सम्पर्क करे ज्ञानचंद बूंदीवाल M.8275555557,,,

शुभ रात्रि.ॐ नमो नारायणाय

शुभ रात्रि.ॐ नमो नारायणाय श्री नमो,नारायणाय" हरि नमो नारायणाय ॐ श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण । ॐ हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण ॥ "ॐ श्री हरिः" ॥ ॐ नमो नारायणाय,,जय जय नारायण नारायण हरि हरि,जय जय नारायण नारायण हरि हरि, नारायण नारायण हरि हरि। हरि ॐ नारायण नारायण हरि हरि। भगवन नारायण नारायण हरि हरि

शुभ रात्रि जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर

शुभ रात्रि जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरेजय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,जय त्रिपुरारी, जय मदहारी,
जय शिव शंकर जय महादेवा,शिव शंकर जय महादेव बम बम भोले,,




शुभ रात्रि श्री मोर मुकुट बंशीवाले की जय

शुभ रात्रि  श्री मोर मुकुट बंशीवाले की जय आज बरसाने मेंबरस रहा है कैसा ये प्यार गोलोक से आ गई है राधिका लिए साथ अपने भक्ति का संसार राधा गोरी,अपनी किशोरी लिया है जग में अवतार वृषभानु के अंगने में देखो सज रहा है वंदनवार खुश है सारे व्रज के वासी बधाई हो रही हर द्वार देवगण भी कर रहे हैं कैसे पुष्पों की बौछार धरती पे आ गई हैं सारी सृष्टि की पटरानी जय हो जय हो जय हो जय हो श्री राधे महारानी जय जय श्री राधे


शुभ रात्रि गाइये गणपति जगवंदन |शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

गाइये गणपति जगवंदन |शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥   गाइये गणपति जगवंदन
सिद्धि सदन गजवदन विनायक |कृपा सिंधु सुंदर सब लायक॥  गाइये गणपति जगवंदन 
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता |विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥  गाइये गणपति जगवंदन 
मांगत तुलसीदास कर जोरे |बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥  गाइये गणपति जगवंदन 


शुभ रात्रि श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः

शुभ रात्रि श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण श्यामा श्याम एक सी जोड़ी श्री राधा कृष्णाय नमः पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण एकरूप, अनुपम छवि प्यारी श्री राधा कृष्णाय नमः चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमके, जय श्री राधा मोर मुकुट सिर दम दम दमके, जय श्री कृष्ण जुगल प्रेम रस झम झम झमके श्री राधा कृष्णाय नमः


शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा श्री कृष्ण शरणम ममः

शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा श्री कृष्ण शरणम ममः श्री मोर मुकुट बंशीवाले की जय 
खूबसूरत है वो मुस्कान जो "श्री कृष्ण" को देख कर खिल जाए
खूबसूरत है वो दिल जो "श्री कृष्ण" के प्यार के रंग मे रंग जाए
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे "श्री कृष्ण" के प्यार की मिठास हो
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे "श्री कृष्ण" के खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ
खूबसूरत है वो आसूँ जो "श्री कृष्ण" के ग़म मे बह जाएँ



शुभ रात्रि.जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम,बोलो राम राम राम

शुभ रात्रि.जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम,बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम   https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 
माखन बृज मे एक चुरावे, एक बेर भीलनी के खावेप्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के है कामचाहे कृष्ण कहो या राम जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम,बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम एक कंस पापी को मारे,, एक दुष्ट रावण संहारे,एक कंस पापी को मारे, एक दुष्ट रावण संहारे,दोनों दिन के दुख हरत है, दोनों बल के धाम,

शुभ रात्रि ॐ श्री हनुमते नमः

शुभ रात्रि ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः ,,श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः , सबकी बिगड़ी बनाते, संजीवनी न मिले तो पहाड़ ही ले आते,लंका जलाके भी श्री राम के दास कहाते, पवनपुत्र बजरंग बलि की जय.

नवग्रह सर्व ग्रह पीड़ा निवारण

नवग्रह सर्व ग्रह पीड़ा निवारण
 सूर्य।।
1 सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए ।
2 रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
3 ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
4 लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए।
5 गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
6 किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
7 हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
8 लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते है।
।। चन्द्रमा ।।
1 व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए।
2 रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
3 रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
4 ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
5 वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
6 वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। सोमवार के दिन मीठा दूध नही खाना चाहिए।
7 सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
8 चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते है।
।।मंगल ।।
1 लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
2 ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
3 बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
4 लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिय।
5 मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
6 बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
7 अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
8 मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते है।
।। बुध ।।
1 अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए।
2 बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
3 बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
4 हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
5 बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
6 घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
7 अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए।
8 फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
9 तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
10 बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते।
।। गुरु ।।
1 ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
2 सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
3 ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
4 किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
5 ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
6 गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
7 गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
8 गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते है।
।। शुक्र ।।
1 काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
2 शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
3 किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
4 किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
5 अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
6 किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
7 शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
8 शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते है।
।।शनि ।।
1 शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
2 शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
3 शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए
भिखारी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
4 भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
5 किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
6 शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
।।राहु ।।
1 ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
2 हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
3 अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए।
4 सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
5 जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
6 दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
7 यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
8 झुठी कसम नही खानी चाहिए।
9 राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते है।
।। केतु ।।
1 भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।
2 नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
3 बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
4 ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
5 घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
6 चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
7 किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।
8 केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा) एवं शनि की होरा में अत्यंत फलीभूत होते है।।!! Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557 

शुभ रात्रि श्री राधा भव बाधा हारी, जय श्री राधा संकत मोचन कृष्ण मुरारी,

शुभ रात्रि श्री राधा भव बाधा हारी, जय श्री राधा संकत मोचन कृष्ण मुरारी, जय श्री कृष्ण
एक शक्ति, एकहि आधारी श्री राधा कृष्णाय नमः ..जग ज्योति, जगजननी माता, जय श्री रा्धा जगजीवन, जगपति, जग दाता, जय श्री कृष्ण जगदाधार, जगत विख्याता श्री राधा कृष्णाय नमः ..राधा, राधा, कृष्ण कन्हैया, जय श्री रा्धा भव भय सागर पार लगैया, जय श्री कृष्ण मंगल मूरति, मोक्ष करैया श्री राधा कृष्णाय नमः ..सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनि, जय श्री रा्धा त्रिभुवनपति, त्रयताप नसावन, जय श्री कृष्ण परमदेवि, परमेश्वर पावन श्री राधा कृष्णाय नमः ..त्रिसमय युगल चरण चित धावे, जय श्री रा्धा सो नर जगत परमपद पावे, जय श्री कृष्ण राधा कृष्ण ‘छैल’ मन भावे श्री राधा कृष्णाय नमः

शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा,रात्रि है कृष्णा से खुशी भी कृष्णा से है, तकरार भी कृष्णा से है

शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा,रात्रि है कृष्णा से खुशी भी कृष्णा से है, तकरार भी कृष्णा से है, प्यार भी कृष्णा से है,जय कृष्णा ,रुठना भी कृष्णा से है, मनाना भी कृष्णा से है, बात भी कृष्णा से है, मिसाल भी कृष्णा से है,जय कृष्णा ,सुबह भी कृष्णा से है, शाम भी कृष्णा से है,जिन्दगी की शुरुआत भी कृष्णा से है,जिन्दगी मे मुलाकात भी कृष्णा से है,मौहब्बत भी कृष्णा से है, प्रार्थना भी कृष्णा से है,जय कृष्णा,काम भी कृष्णा से है, नाम भी कृष्णा से है,ख्याल भी कृष्णा से है, मनोकामना भी कृष्णा से है,ख्वाब भी कृष्णा से है, माहौल भी कृष्णा से है, यादे भी कृष्णा से है, मुलाकाते भी कृष्णा से है,जय कृष्णा,सपने भी कृष्णा से है, अपने भी कृष्णा से है,या यूं कहो,अपनी तो दुनिया ही कृष्णा से है,जय कृष्णा

शुभ रात्रि , जय जय राम सीताराम,

शुभ रात्रि , जय जय राम सीताराम,मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम, तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम. जय जय राम सीताराम, जय जय राम सीताराम जय श्री राम हरे, जय-जय श्रीराम हरे। रोम-रोम में राम रमैया रमते हैं हमरे, रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम | सीताराम सीताराम, भज प्यारे तू सीताराम

शुभ रात्रि, श्री पद्मनाभ स्वामी,

शुभ रात्रि, श्री पद्मनाभ स्वामी, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.ॐ नमो नारायणाय श्री नमो,नारायणाय" हरि नमो नारायणाय ॐ श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण । ॐ हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण ॥ "ॐ श्री हरिः" ॥ ॐ नमो नारायणाय

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री मोर मुकुट बंशीवाले की जय चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण श्यामा श्याम एक सी जोड़ी श्री राधा कृष्णाय नमः पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण एकरूप, अनुपम छवि प्यारीश्री राधा कृष्णाय नमः चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमके, जय श्री राधा मोर मुकुट सिर दम दम दमके, जय श्री कृष्ण जुगल प्रेम रस झम झम झमके श्री राधा कृष्णाय नमः कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दा, जय श्री राधा चन्दन चारु तिलक गति चन्दा, जय श्री कृष्ण सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा श्री राधा कृष्णाय नमः

शुभ रात्रि,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.ॐ नमो नारायणाय

शुभ रात्रि,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.ॐ नमो नारायणाय श्री नमो,नारायणाय" हरि नमो नारायणाय ॐ श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण, श्री नारायण । ॐ हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण, हरि नारायण ॥ "ॐ श्री हरिः" ॥ ॐ नमो नारायणाय

शुभ रात्री श्री नारायणाय नमः ।श्री माधवाय नमः । श्री गोविंदाय नमः

शुभ रात्री श्री नारायणाय नमः ।श्री माधवाय नमः । श्री गोविंदाय नमः ।श्री विष्णवे नमः ।श्री मधुसूदनाय नमः ।श्री त्रिविक्रमाय नमः ।शांताकरम भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णँ शुभांगम। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगभिर्ध्यानिगम्यम। वंदे विष्णु भवभयहरणम् सर्वलोकैकनाथम॥जय जय नारायण नारायण हरी हरी ,स्वामी नारायण नारायण हरी हरी तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी तेरी महिमा, तेरी महिमा, तेरी महिमा सबसे प्यारी प्यारी हरी हरी

शुभ रात्रि भजो राधे गोविंदा | वल्लभ श्रीनाथ भजो राधे गोविंदा द्वारिका ना नाथ भजो

शुभ रात्रि भजो राधे गोविंदा | वल्लभ श्रीनाथ भजो राधे गोविंदा द्वारिका ना नाथ भजो राधे गोविंदा| पुरी जगन्नाथ भजो राधे गोविंदा बद्री विशाल भजो राधे गोविंदा |रुक्ष्मणि ना नाथ भजो राधे गोविंदा वृन्दावन नाथ भजो राधे गोविंदा |गोवर्धन नाथ भजो राधे

शुभ रात्रि ॐ श्री हनुमते नमः

शुभ रात्रि ॐ श्री हनुमते नमःजय श्री राम जय वीर हनुमान ,पवन सुत हनुमान की जय श्री हनुमान, मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं । वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ,सबकी बिगड़ी बनाते, संजीवनी न मिले तो पहाड़ ही ले आते,लंका जलाके भी श्री राम के दास कहाते, पवनपुत्र बजरंग बलि की जय



श्री सिद्धिविनायक शरणम नमः श्री सिद्धिविनायक नमो नमः श्री गणेशाय नमः

श्री सिद्धिविनायक शरणम नमः श्री सिद्धिविनायक नमो नमः श्री गणेशाय नमः वन्दौं श्री गणपति पद, विघ्नविनाशन हार।पवित्रता की शक्ति जो, सब जग मूलाधार॥१॥हे परम ‍‍ग्यान दाता, सकल विश्व आधार।छ्मा करें वर दें, विघ्नों से करें उबार॥२॥हे जग वंदन हे जग नायक!हे गौरी नंदन! हे वर दायक॥३॥हे विघ्नविनाशन ! हे गणनायक !हे भवभय मोचन ! हे जन सुख दायक ! ॥४॥दया करो हे प्रभु ! दे सबको निर्मल ‍‍ग्यान।हे सहज संत ! दें हम को यह वरदान॥५॥मंगलमय हो गीत हमारे करें जन कल्याण।मातृप्रेम में निरत रहें पावें पद निर्वाण॥६॥

शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा मंद मंद मुस्कनिया पे

शुभ रात्रि जय श्री कृष्णा मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥ तेरी मंद 
तेरे नैन गजब कजरारे, मटके हैं कारे कारे
तेरी तिरछी से चितवनीया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥ तेरी मंद
तेरे केश बड़े घुंघराले, ज्यों बादल कारे कारे
तेरी कुंडल की झलकनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥ तेरी मंद
तेरी चाल अजब मतवाली, ज्यों लगाती प्यारी प्यारी
तेरी मधुर मधुर पैजनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥ तेरी मंद


शुभ रात्रि,, भगवान् श्री राम भी सोने से पूर्व गुरु के चरणों की सेवा अवश्य ही करते थे

शुभ रात्रि,, भगवान् श्री राम भी सोने से पूर्व गुरु के चरणों की सेवा अवश्य ही करते थे ! कृपया राम चरित मानस का सन्दर्भ ले ,.निशि प्रवेश मुनि आयसु दीन्हा , सबही संध्या बंदनु कीन्हा !! कहत कथा इतिहास पुरानी , रुचिर रजनि जुग जाम सिरानी !!
मुनिवर सयन कीन्हि तब जाई , लगे चरण चापन दोउ भाई !!
जिन्हके चरण सरोरुह लागी , करत विविध जप जोग बिरागी !!
तेई दोउ बन्धु प्रेम जणू जीते , गुरु पद कमल पलोटत प्रीते !!
बार बार मुनि आज्ञा दीन्ही , रघुबर जाई सयन तब कीन्ही !!
अंत में यदि सयुक्त परिवार में है , यदि संभव हो सके तो अपने से बड़ो की यथा संभव सेवा करके ही सोये ! बड़ो , बुजुर्गो का आशीवाद , सदगुरु का ध्यान करके ही सोये , यह बहुत आवश्यक है

शुभ रात्रि जय श्री राम,रात्रि है राम से खुशी भी राम से है, तकरार भी राम से है

शुभ रात्रि जय श्री राम,रात्रि है राम से खुशी भी राम से है, तकरार भी राम से है, प्यार भी राम से है, जय श्री राम,रुठना भी राम से है, मनाना भी राम से है, बात भी राम से है, मिसाल भी राम से है, जय श्री राम,सुबह भी राम से है, शाम भी राम से है,जिन्दगी की शुरुआत भी राम से है,जिन्दगी मे मुलाकात भी राम से है,मौहब्बत भी राम से है, प्रार्थना भी जय श्री रा से है,जय श्री राम,काम भी जय श्री राम से है, नाम भी जय श्री राम से है,ख्याल भी राम से है, मनोकामना भी जय श्री राम से है,ख्वाब भी जय श्री राम से है, माहौल भी जय श्री राम से है, यादे भी राम से है, मुलाकाते भी जय श्री राम से है,जय श्री राम,सपने भी राम से है, अपने भी राम से है,या यूं कहो,अपनी तो दुनिया ही राम से है,जय श्री राम

शुभ रात्री जय वीर हनुमान

शुभ रात्री जय वीर हनुमान ,पवन सुत हनुमान की जय
मंगलमूरति मारुति नंदन। सकल अमंगल मूल निकंदन।१।
पवन तनय संतन हितकारी।हृदय विराजत अवध विहारी।२।
मातपिता गुरु गणपति शारद। शिवा समेत शंभु शुक नारद।३।
चरणकमल बंदहु सब काहू।देहु रामपद नेह निबाहू।४।
जयजयजय हनुमान गुसाईं। कृपा करहुँ गुरुदेव की नाईं।५।
बंदहुँ रामलखन वैदेही। यह तुलसी के परम सनेही।६।


शुभ रात्रि श्रीमन लक्ष्मी नारायण- नारायण हरि हरि

शुभ रात्रि श्रीमन लक्ष्मी नारायण- नारायण हरि हरि.. हरि हरि .डाल-डाल पर पक्षी बोले ,कमल कमल पर मधुकर बोले, सब मिल बोले -नारायण- नारायण हरि हरि.भज ले पगले तु भी हर दिन...लक्ष्मी नारायण नारायण हरि हरि,,ॐ नमो नारायण ॐ नमो नारायण ॥ लक्ष्मी नारायण नारायण हरि हरि बोलो नारायण नारायण हरि हरि

शुभ रात्रि, ,ॐ आञ्जनेयाय नमः

शुभ रात्रि,जय श्री राम जय हनुमान ,ॐ आञ्जनेयाय नमः । ॐ महावीराय नमः । ॐ हनूमते नमः ।ॐ मारुतात्मजाय नमः ।ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः । ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः । ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमःॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः। ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः । ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमःॐ परविद्या परिहाराय नमः ।ॐ पर शौर्य विनाशकाय नमः ।ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः ।ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः । ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः

शुभ रात्रि जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी जय हो कैलाश पति

शुभ रात्रि जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी जय हो कैलाश पति जय त्रिपुरारी
दुखियो के तूने है काज सवाँरे जो भी है आया भगवन तेरे द्वारे
कर दिया कल्याण पिता कल्याण कारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
तेरी जटाओ मैं गंगा का पानी गंगा के पानी मैं शक्ति रूहानी
मस्तक का चंद्रमा पीड़ा हरे सारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
तन पे बभूत रमे नागो की माला दो नैनो में मस्ती तीसरी में ज्वाला
दर्शनों की भीख मांगे तेरे भिखारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
हंस हंस के धरती का विष पीने वाले महादेव नीलकंठ जगसे निराले
सृष्टि यह गाये महिमा तुम्हारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी


शुभ रात्रि ॐ गं गणपतये नमः

शुभ रात्रि ॐ गं गणपतये नमः
एकदन्ताय विद्‌महे ।वक्रतुण्डाय धीमहि ।तन्नो दन्ती प्रचोदयात् 
एकदन्तंचतुर्हस्तंपाशमङ्कुशधारिणम् ।
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम् ।
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम् ।
रक्तगन्धानुलिप्ताङ्गं रक्तपुष्पैः सुपूजितम् ।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम् ।
आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृतेः पुरुषात् परम् ।
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः


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