शुभ रात्री जय वीर हनुमान ,पवन सुत हनुमान की जय
मंगलमूरति मारुति नंदन। सकल अमंगल मूल निकंदन।१।
पवन तनय संतन हितकारी।हृदय विराजत अवध विहारी।२।
मातपिता गुरु गणपति शारद। शिवा समेत शंभु शुक नारद।३।
चरणकमल बंदहु सब काहू।देहु रामपद नेह निबाहू।४।
जयजयजय हनुमान गुसाईं। कृपा करहुँ गुरुदेव की नाईं।५।
बंदहुँ रामलखन वैदेही। यह तुलसी के परम सनेही।६।
मंगलमूरति मारुति नंदन। सकल अमंगल मूल निकंदन।१।
पवन तनय संतन हितकारी।हृदय विराजत अवध विहारी।२।
मातपिता गुरु गणपति शारद। शिवा समेत शंभु शुक नारद।३।
चरणकमल बंदहु सब काहू।देहु रामपद नेह निबाहू।४।
जयजयजय हनुमान गुसाईं। कृपा करहुँ गुरुदेव की नाईं।५।
बंदहुँ रामलखन वैदेही। यह तुलसी के परम सनेही।६।