Tuesday 30 December 2014

शुभ रात्री यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है

शुभ रात्री यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है 
ज़ु ज़ु ज़ू ज़ु ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु ज़ु ज़ू यशोदा का नंदलाला बृज का उजाला है मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाए ज़ु ज़ु ज़ू ज़ु ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु ज़ु ज़ू रात ठंडी ठंडी हवा, गा के सुलाए भोर गुलाबी पलकें, खोल के जगाए दो अँखियों में तुझे बसाके जाने कब से जागूँ तू माँगे तो चाँद भी दे दूँ तुझ से कुछ ना माँगूँ खोल तू आँखें देख यहाँ हूँ और नहीं कोई मैं तेरी माँ हूँ, ज़ु ज़ु ज़ू ... तेरे लिये कैसे कैसे सपने सजाए, मेरे लाल से ... जाने कब ये आती जाती सांस कहाँ थम जाए देख मुरझाता फूल टूट के डाली से कब गिर जाए तू जो मुझे माँ माँ ... माँ, रहके बुलाए रूह को मेरी चैन आ जाए, ज़ु ज़ु ज़ू ... सो जाए ऐसे फिर ना जागूँ जगाए, मेरे लाल से .



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