Monday, 29 December 2014

शुभ रात्रि जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी जय हो कैलाश पति

शुभ रात्रि जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी जय हो कैलाश पति जय त्रिपुरारी
दुखियो के तूने है काज सवाँरे जो भी है आया भगवन तेरे द्वारे
कर दिया कल्याण पिता कल्याण कारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
तेरी जटाओ मैं गंगा का पानी गंगा के पानी मैं शक्ति रूहानी
मस्तक का चंद्रमा पीड़ा हरे सारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
तन पे बभूत रमे नागो की माला दो नैनो में मस्ती तीसरी में ज्वाला
दर्शनों की भीख मांगे तेरे भिखारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी
हंस हंस के धरती का विष पीने वाले महादेव नीलकंठ जगसे निराले
सृष्टि यह गाये महिमा तुम्हारी जय हो भोलेनाथ जय हो भंडारी


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