Saturday, 25 February 2017

केदारनाथ की जय ,, श्री केदारनाथ शिवजी की आरती
जय केदार उदार शंकर, भव भयंकर दु:ख हरम्।
गौरी, गणपति, स्कन्द, नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम्॥ जय...
शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम्।
निकट मंदाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम्॥ जय...
उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम्।
हंस कुंड समीप सुन्दर, जै केदार नमाम्यहम्॥ जय...
अन्नपूर्णा सह अपर्णा, काल भैरव शोभितम्।
पांच पांडव द्रोपदी सह, जय केदार नमाम्हयम्॥ जय...
शिव दिगम्बर भस्मधारी, अर्द्ध चन्द्र विभूषितम।
शीश गंगा कंठ फणिपति, जै केदार नमाम्यहम्॥ जय...
कर त्रिशूल विशाल डमरू, ज्ञान गान विशारदम्।
मध्य महेश्वर तुंग ईश्वर, रुद्र कल्प महेश्वरम्॥ जय...
पंच धन्य विशाल आलय, जै केदार नमाम्यहम्।
नाथ पावन हे विशालम्, पुण्यप्रद हर दर्शनम्॥ जय...
जय केदार उदार शंकर, पाप ताप नमाम्यहम्॥
जय श्री केदारनाथ की जय जय श्री केदारनाथ की जय जय श्री केदारनाथ की जय केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की जय ,,केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की जय
देश के सबसे उत्तरी हिस्से और हिमालय की दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित इस शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत की लड़ाई में अपने ही परिजनों का वध करने से दुखी पांडव पश्चाताप करते हुए शिव के दर्शन के लिए यहां आए थे। शिव यहां नंदी रूप में मौजूद थे, मगर पांडवों के पहुंचने के पहले ही वे धरती में समा गए और यहां रह गया केवल नंदी का कूबड़। भक्तगण आज भी शिव के इसी रूप की यहां उपासना करते हैं। इसके साथ ही तुंगनाथ में शिव की भुजाओं, रूद्रनाथ में मुख, मढ़ माहेश्वर में नाभि और कल्पेश्वर में जटाओं की पूजा की जाती है। इन पांचों तीर्थ स्थानों को एक साथ पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।॥.Astrologer Gyanchand Bundiwal। nagpur . 0 8275555557

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