सूर्य ग्रहण गुरुवार 26 दिसंबर 2019 ग्रहण प्रारम्भ काल , 08.11.00
परमग्रास ,09.31.,,,ग्रहण समाप्ति काल ,11.08
खण्डग्रास की अवधि ,02 घण्टे 57 मिनट्स
सूतक प्रारम्भ ,17.42 ,, दिसम्बर को,,सूतक समाप्त .11, 08
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ ,03. 29
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त , 11,08
,,यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लगेगा। धनु राशि तथा मूल नक्षत्र से संबंधित व्यक्तियों के जीवन पर इसका प्रभाव पड़ेगा। इन राशियों और नक्षत्र से संबंधित लोगों को सूर्य ग्रहण के समय सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण उस समय घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होते हुए भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इस कारण चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में नहीं ले पाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होता रहता है। इस घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण के समय क्या करें
ग्रहण के समय मंत्र जाप करना चाहिए। इस दौरान पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए। इससे खाने पर ग्रहण की नकारात्मक किरणों का असर नहीं होता है।
अमावस्या पर करें पितर देवताओं का पूजन
अमावस्या तिथि पर घर के पितर देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर इनके लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।
ग्रहण को लेकर देश-दुनिया में हैं क्या मान्यताएं?
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। जहां सूर्य ग्रहण को लेकर कुछ मान्यताएं हैं, तो वहीं कई मिथक और अंधविश्वास भी हैं और ये सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि कई देशों में भी हैं। इस सूर्य ग्रहण को लेकर भी कई अंधविश्वास और मिथक देखने को मिल रहे हैं।
जानिए सूर्य ग्रहण को लेकर क्या-क्या हैं मान्यताएं?
हिन्दू धर्म में ग्रहण से जुड़ीं धार्मिक मान्यताएं
पौराणिक मान्यतानुसार पुराने समय में समुद्र मंथन हुआ था। इसमें देवताओं और दानवों ने भाग लिया था। जब समुद्र मंथन से अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम का असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृतपान कर लिया था।
चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
वियतनाम और ग्रीक की है ये कहानियां
जहां भारत में सूर्य और चंद्र ग्रहण को लेकर ये मान्यताएं हैं, तो वहीं वियतनाम में इसे लेकर अलग ही बातें कही जाती हैं। वियतनाम में लोगों का मानना है कि सूर्य ग्रहण इसलिए होता है, क्योंकि एक बड़ा मेंढक उसे निगल लेता है।
प्राचीन काल में ग्रीक के लोगों का मानना था कि सूर्य ग्रहण नाराज देवताओं का संकेत था और यह आपदा और विनाश की शुरुआत थी।
अफ्रीका में पूर्वोत्तर टोगो के बाटाम्मालिबा लोग मानते हैं कि सूर्य और चंद्रमा ग्रहण के दौरान लड़ाई करते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए कहा जाता है हानिकारक
कई लोगों को लगता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करने से उन पर बुराई का प्रभाव नहीं पड़ेगा। माना जाता है कि गंगा में डुबकी लेना या इसका पानी खुद पर छिड़कना बुरी बलों के प्रभाव को कम करता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान खाना भी नहीं पकाया जाता। सूर्य की रोशनी कम होने के कारण कहा जाता है कि इससे खाने में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। इसलिए बचा हुआ खाना भी ग्रहण से पहले खत्म कर लिया जाता है।
* गर्भवती महिलाओं के लिए भी सूर्य ग्रहण हानिकारक माना जाता है। इन महिलाओं को बुरी ताकतों के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में उन्हें पैरों को क्रॉस करके बैठने की भी अनुमति नहीं होती है।
26 दिसंबर 2019 को यह ग्रहण लगेगा और समस्त 12 राशियों पर असर होगा।
इस महीने में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र राशि बदल रहे हैं। चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि परिवर्तन करेगा। ग्रहों के इस परिवर्तन और सूर्यग्रहण का असर सभी राशियों पर अलग-अलग दिखाई देगा।
मेष-कामों में सफलता मिलेगी। बिजनेस में सोचे हुए काम भी पूरे होंगे। लोगों की मदद करेंगे। बड़े और महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात के योग बन रहे हैं। कोर्ट-कचहरी के कामों में सफलता मिल सकती है। पुरानी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।
उपाय- हनुमानजी की पूजा करें।
वृष- बड़े लोगों से सहयोग मिलेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी। लोगों से संबंध सुधारने की कोशिश करेंगे। आत्मविश्वास बढ़ेगा। बिजनेस में जोखिम लेंगे और सफल भी होंगे। महीने के बीच में आपको सम्मान मिलेगा। इन दिनों में आपको पुराने किए गए कामों की तारीफ और फायदा दोनों मिलेगा।
उपाय- भगवान विष्णु को पीला वस्त्र अर्पित करें।
मिथुन- कोर्ट केस के मामलों में आपको सफलता मिलेगी। साझेदारी के कामों में भी फायदा होगा। महीने के बीच में कुछ ऐसे काम शुरू करेंगे जिससे आपको फायदा होगा। आपका सम्मान भी बढ़ेगा। इन दिनों में सम्पत्ति के मामलों में भी आप भाग्यशाली हो सकते हैं। पुरानी बीमारियों से निजात मिलेगी।
उपाय- ॐ गं गणपतयै नम: ये मंत्र 3 बार बोलकर घर से निकलें।
कर्क- कामों में सफलता मिलेगी। किसी नेता अधिकारी या बड़े आदमी से मुलाकात होने से फायदा होगा। भावुक रहेंगे, रुके हुए काम भी पूरे हो जाएंगे। बीमा, शेयर या किसी तरह के निवेश में आप व्यस्त हो सकते हैं। खरीदारी में समय बीतेगा। सोसाइटी में इज्जत बढ़ेगी।
उपाय- गाय को हरा चारा खिलाएं।
सिंह- पारिवारिक विवाद खत्म होंगे। रुका हुआ या उधार पैसा मिलेगा। बिजनेस में स्थितियां सुधर जाएगी। फायदा होगा। समाज में सम्मान मिलेगा। सम्पत्ति के विवाद किसी की मदद से पूरे हो जाएंगे। नौकरी और बिजनेस में स्थितियां आपके फेवर में रहेंगी।
उपाय- राशि स्वामी सूर्य को जल चढ़ाएं।
कन्या- पार्टनर से संबंधों में सुधार होगा। परिवार के साथ समय बीतेगा। दोस्तों से सहयोग मिलेगा। नए काम करने का मन बना सकते हैं। एक्स्ट्रा इनकम के योग हैं। बिजनेस में भी फायदा हो सकता है।
उपाय- देवी लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ाएं।
तुला- संतान पक्ष से शुभ समाचार मिल सकता है। रोजमर्रा के काम आसानी से हो जाएंगे। स्वास्थ्य भी ठीक रहेगी। सोचे हुए काम पूरे हो सकते हैं। किसी प्रिय साथी से मुलाकात हो सकती है।
उपाय- शिवलिंग का अभिषेक गाय के दूध से करें।
वृश्चिक- ऑफिस और फील्ड में साथ के कुछ लोगों से मदद मिलेगी। सोचे हुए कुछ काम पूरे हो जाएंगे। संतान से सहयोग मिल सकता है। अचानक धन लाभ होने के योग भी बनेंगे। अधूरे काम पूरे होने के चांस ज्यादा रहेंगे।
उपाय- चींटियों के लिए आटे में शक्कर मिलाकर डालें।
धनु- दोस्तों और भाइयों का सहयोग मिलेगा। आपके बहुत से शौक पूरे हो सकते हैं। भोग और विलासिता पर खर्चा और बढ़ सकता है। जीवन में कुछ अच्छे और सुखद बदलाव लाने वाला समय रहेगा। आपके बहुत से रुके हुए काम पूरे हो सकते हैं।
उपाय- पीपल पर जल चढ़ाएं और दीपक लगाएं।
मकर- धन लाभ हो सकता है। रोजमर्रा के काम पूरे होंगे फालतू खर्च से थोड़ी राहत मिल सकती है। इन दिनों में आपकी कुछ योजनाएं पूरी हो जाएंगी और उससे आपको फायदा भी मिल सकता है। संतान से सुख मिल सकता है।
उपाय- सुहागिन महिला को लाल चूड़ियां और कुंकुम भेंट करें।
कुंभ - उधार दिया पैसा वापस मिल सकता है। निवेश से फायदा हो सकता है। आप अपने काम से लोगों को प्रभावित भी करेंगे। रोजमर्रा के काम पूरे तो हो जाएंगे। साथ ही कुछ जरूरी कामों से भी आपको फायदा मिल सकता है।
उपाय- भगवान श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें।
मीन- धन लाभ हो सकता है। रोजमर्रा के काम पूरे होंगे। फालतू खर्च से थोड़ी राहत मिल सकती है। आपकी योजनाएं भी पूरी होंगी। आपको योजनाओं से फायदा भी मिल सकता है। संतान से सुख मिल सकता है। साथ के कुछ लोग जरूरी कामों में मदद करेंगे।
उपाय- गरीबों को कंबल और तिल का दान करें।
26 दिसंबर 2019 को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से बारह घण्टे पूर्व 25 दिसंबर की रात्रि बजे से प्रारंभ हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त होगा। अतः इसी समय से सूतक संबंधित सभी नियम प्रभावी होंगे और इस समय को भगवान की भक्ति में स्वयं को लगाना श्रेष्ठ रहेगा । ग्रहण एक प्रकार की खगोलीय घटना हैं। जिनमें चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर, और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए जब तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थिति होते हैं। तब ग्रहण लगता है । : दूसरी दशा मे जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है, और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता तो ऐसे मे सूर्यग्रहण लगता है, और सूर्यग्रहण की यह स्थिति अमावस्या को ही बनती है । हर साल लगभग 5 से 7 सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या के दिन ही घटित होती है। इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी अंगूठी के आकार का दिखाई देगा। इसे वैज्ञानिकों की भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है- ग्रहण की कंकण आकृति केवल दक्षिण भारत में दिखेगी। शेष भारत में इस ग्रहण को खण्डग्रास के रूप में देखा जा सकेगा। वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का महत्व:-* *ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में घटित होगा। इसके परिणाम स्वरूप धनु राशि और मूल नक्षत्र से संबंधित जातकों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा और ऐसे जातकों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हिन्दू वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के जीवन में आने वाले समस्त सुख-दुःख उसके अपने कर्म के साथ-साथ ग्रहो के गोचर और नक्षत्रो के प्रभाव पर भी निर्भर करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का बड़ा महत्व है। इनमें सूर्य और चंद्रमा भी आते हैं, इसी वजह से सूर्य और चंद्र ग्रहण का महत्व बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी ग्रहण घटित होने से पहले ही उसका असर दिखना शुरू हो जाता है और ग्रहण होने के समाप्त होने के बाद भी इसका प्रभाव कई दिनों तक देखने को मिलता है। ग्रहण का प्रभाव न केवल मनुष्यों पर बल्कि जल, जीव और प्रकृति के अन्य घटकों पर भी पड़ता है। इन्हीं कारणों से ग्रहण मानव समुदाय को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। ग्रहण का वैदिक ज्योतिष के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है चाहे वह सूर्य ग्रहण हो अथवा चंद्र ग्रहण। सूर्य जहां आत्मा का कारक है वही चंद्रमा मन का और इन दोनों पर ग्रहण लगना अर्थात मन और आत्मा पर ग्रहण लगने जैसा है। विज्ञान के आधार पर ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है लेकिन ज्योतिष के क्षेत्र में यह अत्यंत ही गहन और महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व तथा पूरी प्रकृति पर पड़ता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव:- सूर्य ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से संपूर्ण पृथ्वी और प्रकृति पर पड़ता है क्योंकि संपूर्ण जगत को प्रकाश देने वाले सूर्य देव का प्रभावित होना संपूर्ण सृष्टि के लिए अशुभ माना जाता है। इसका प्रभाव मुख्य रूप से छः माह अथवा साल भर तक रह सकता है। यह सूर्य ग्रहण पौष अमावस्या के दिन बृहस्पतिवार को धनु राशि और मूल नक्षत्र में तथा वृद्धि योग में घटित होगा, इस कारण इसका अशुभ प्रभाव विशेष रूप से ब्राह्मण और स्त्रियों पर पड़ेगा और उनके लिए यह ग्रहण अनुकूल नहीं रहेगा। इसके अतिरिक्त वर्षा की कमी तथा दुर्भिक्ष और अकाल जैसी स्थिति आ सकती है। घी, हल्दी और रूई आदि के भावों में विशेष वृद्धि हो सकती है तथा फलों के व्यापारी, वैद्य, डॉक्टर और दवा से संबंधित कार्य करने वाले लोगों को समस्या हो सकती है। पौष महीने में तथा धनु राशि में सूर्य ग्रहण होने के कारण सभी प्रकार के धान्य पदार्थ तेजी में रहेंगे तथा वर्षा मध्यम होगी। इस ग्रहण का प्रभाव मूल नक्षत्र पर होने के कारण बिनौला, बाजरा, इलायची, शक्कर, ज्वार, आदि के भाव में भी तेजी देखने को मिलेगी। इस ग्रहण के दौरान धनु राशि में सूर्य के साथ साथ चंद्रमा, बुध, गुरु, शनि और केतु की युति होगी तथा यह सभी ग्रह राहु केतु के अक्ष में होंगे। इसके अतिरिक्त मूल नक्षत्र जिसमें यह ग्रहण घटित हो रहा है सूर्य, बृहस्पति और बुध तीनों इसी नक्षत्र में स्थित होंगे। ग्रहों के इस गठजोड़ का व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इसलिए यह सूर्य ग्रहण अधिक व्यापक रूप से अपना असर दिखाएगा।* *संक्षेप मे ग्रहण का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव सम्पूर्ण पृथ्वी, चराचर प्राणी जगत, देश-राज्य, देश-राज्यो के राजाओं-राष्टपति-प्रधानमंत्री अर्थात शासको पर, राजनीति पर, जनता, पशु-पक्षियों, तथा बारह राशियों के आधार पर सभी मनुष्यों पर अच्छा-बुरा प्रभाव होता है ।* *ग्रहण के प्रभाव से विभिन्न देशों में परस्पर युद्ध, हिंसक घटनाएं, दुर्घटनाएं तथा प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, ज्वालामुखी, भूकंप तथा महामारी इत्यादि भयानक घटनाएं होती हैं ।* *परंतु ग्रहण से केवल प्रकृति, देश, राजा, राजनेता अथवा सरकारो पर ही बुरा प्रभाव नही होता अपितु राशिनुसार विभिन्न मनुष्यों पर भी इसका शुभ अथवा अशुभ प्रभाव होता है
शत्रुओं की संख्या अधिक है व आप परेशान के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:।
वाक् सिद्धि के लिए ॐ ह्लीं दूं दूर्गाय: नम:
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तांत्रिक मंत्र ॐ श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:।
नौकरी एवं व्यापार में वृद्धि के लिए इस मंत्र का जाप पूरे ग्रहण के दौरान करते रहें-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
मुकदमे में विजय के लिए-
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं, उर्वारुक्मिव बंधनात्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्"
इसके अलावा गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ होता है. ,,ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्"
सूर्य मंत्र जाप भी कल्याण करता है. ॐ घृणि सूर्याय नम:
देवकीसुत गोविंद, वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं भजे।
देव देव जगन्नाथ गोत्रवृद्धिकरं प्रभो,
देहि में तनयं शीघ्रं, आयुष्मन्तं यशस्विनम्।।
1. ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।
2. ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास करता है।
3. ग्रहण में 3 प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (4.30 घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
4. ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
5. ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुशमिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
6. ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देवपूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्र सहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियां सिर धोए बिना भी स्नान कर सकती हैं।
7. ग्रहण पूर्ण होने पर जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
8. ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
9. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
10. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए, बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।
11. ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मलमूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन- ये सब कार्य वर्जित हैं।
12. ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
13. गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास करके स्नान-दानादि का ग्रहण में महाफल है किंतु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
14 . भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चंद्रग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्रग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
15. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, ईष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें। न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।
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