माता काली पूजा व मंत्र कलिकाल में हनुमान, दुर्गा, कालिका, भैरव, शनिदेव को जाग्रत देव माना गया है। भगवान शंकर की चार पत्नियां में से एक मां काली को सबसे जाग्रत देवी माना गया है। शिव की पहली पत्नी दक्ष-प्रसूति कन्या सती थी। दूसरी हिमालय पुत्री पार्वती थी। तीसरी उमा और चौथी कालिका।कालिका की उपासना जीवन में सुख, शांति, शक्ति, विद्या देने वाली बताई गई है, लेकिन यदि उनकी उपासना में कोई भूल होती है तो फिर इसका परिणाम भी भुगतना होता है।
कालका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम पता दर्ज हो जाता है। यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी। आशीर्वाद मिलता है तो शाप भी। यदि मन्नत पूर्ण होने के बदले में जो भी वचन दिया है तो उसे तुरंत ही पूरा कर दें। जिस प्रकार अग्नि के संपर्क में आने के पश्चात् पतंगा भस्म हो जाता है, उसी प्रकार काली देवी के संपर्क में आने के उपरांत साधक के समस्त राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म हो जाते हैं।
कालीका के प्रमुख तीन स्थान है: कोलकाता में कालीघाट पर जो एक शक्तिपीठ भी है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में भैरवगढ़ में गढ़कालिका मंदिर इसे भी शक्तिपीठ में शामिल किया गया है और गुजरात में पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित महाकाली का जाग्रत मंदिर चमत्कारिक रूप से मनोकामना पूर्ण करने वाला है।
10 महाविद्याओं में से साधक महाकाली की साधना को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मानते हैं, जो किसी भी कार्य का तुरंत परिणाम देती हैं। साधना को सही तरीके से करने से साधकों को अष्टसिद्धि प्राप्त होती है। काली की पूजा या साधना के लिए किसी गुरु या जानकार व्यक्ति की मदद लेना जरूरी है।
10 महाविद्याओं में से एक मां काली के 4 रूप हैं: दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। हालांकि मां कालिका की साधना के कई रूप हैं लेकिन भक्तों को केवल सात्विक भक्ति ही करना चाहिए। शमशान काली, काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली, भद्र काली आदि कई मान से मां की साधना होती है।
महाकाली को खुश करने के लिए उनकी फोटो या प्रतिमा के साथ महाकाली के मंत्रों का जाप भी किया जाता है। इस पूजा में महाकाली यंत्र का प्रयोग भी किया जाता है। इसी के साथ चढ़ावे आदि की मदद से भी मां को खुश करने की कोशिश की जाती है। अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन पलट सकता है, भाग्य खुल सकता है और आप फर्श से अर्श पर पहुंच सकते हो।
जीवनरक्षक मां काली : माता काली की पूजा या भक्ति करने वालों को माता सभी तरह से निर्भीक और सुखी बना देती हैं। वे अपने भक्तों को सभी तरह की परेशानियों से बचाती हैं।
लंबे समय से चली आ रही बीमारी दूर हो जाती हैं।
ऐसी बीमारियां जिनका इलाज संभव नहीं है, वह भी काली की पूजा से समाप्त हो जाती हैं।
काली के पूजक पर काले जादू, टोने-टोटकों का प्रभाव नहीं पड़ता।
हर तरह की बुरी आत्माओं से माता काली रक्षा करती हैं।
कर्ज से छुटकारा दिलाती हैं।
बिजनेस आदि में आ रही परेशानियों को दूर करती हैं।
जीवनसाथी या किसी खास मित्र से संबंधों में आ रहे तनाव को दूर करती हैं।
बेरोजगारी, करियर या शिक्षा में असफलता को दूर करती हैं।
कारोबार में लाभ और नौकरी में प्रमोशन दिलाती हैं।
हर रोज कोई न कोई नई मुसीबत खड़ी होती हो तो काली इस तरह की घटनाएं भी रोक देती हैं।
शनि-राहु की महादशा या अंतरदशा, शनि की साढ़े साती, शनि का ढइया आदि सभी से काली रक्षा करती हैं।
पितृदोष और कालसर्प दोष जैसे दोषों को दूर करती हैं।
काली मंत्र : कालिका माता का यह अचूक मंत्र है। इससे माता जल्द से सुन लेती हैं, लेकिन आपको इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। आजमाने के लिए मंत्र का इस्तेमाल न करें। यदि आप काली के भक्त हैं तो ही करें।
मंत्र : ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई।
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से आर्थिक लाभ मिलता है। इससे धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है। माता काली की कृपा से सब काम संभव हो जाते हैं। 15 दिन में एक बार किसी भी मंगलवार या शुक्रवार के दिन काली माता को मीठा पान व मिठाई का भोग लगाते रहें।
देवी के समक्ष धूप : मुकदमे या कर्जे की समस्या हो तो नौ दिन देवी के समक्ष गुग्गुल की सुगंध की धूप जलाएं। सामान्य रूप से गुप्त नवरात्रि में देवी की कृपा के लिए नौ दिन देवी के सामने अखंड दीपक जलाएं व दुर्गा सप्तशती या देवी के मन्त्रों का जाप करें।
लक्ष्मी बंधन : यदि ऐसा लगता है कि किसी ने लक्ष्मी बांध रखी है तो माता कालीका को प्रतिदिन दो लकड़ी वाली (बांस वाली नहीं) अगरबत्ती लगाएं या एक धूपबत्ती लगाएं। प्रत्येक शुक्रवार को काली के मंदिर में जाकर पूजा करें और माता से प्रार्थना करें हर तरह के बंधन को काटने की।
कालिका माता से क्षमा : अगर किसी मानसिक कलह, तनाव या परेशानी से जूझ रहे हैं तो शुक्रवार के दिन मां कालिका के मंदिर में जाकर उनसे अपने द्वारा किए गए सभी जाने-अनजाने पापों की क्षमा मांग लें और फिर कभी कोई बुरा कार्य नहीं करने का वादा कर लें। ध्यान रहे, वादा निभा सकते हों तो ही करें अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। यदि आपने ऐसा 5 शुक्रवार को कर लिया तो तुरंत ही आपके संकट दूर हो जाएंगे।
11 या 21 शुक्रवार कालिका के मंदिर जाएं और क्षमा मांगते हुए अपनी क्षमता अनुसार नारियल, हार-फूल चढ़ाकर प्रसाद बांटें। माता कालिका की पूजा लाल कुमकुम, अक्षत, गुड़हल के लाल फूल और लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करके भी कर सकते हैं। भोग में हलवे या दूध से बनी मिठाइयों को भी चढ़ा सकते हैं।
अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं, तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन बहुत ही सुखद हो जाता है।
शनिदोष से मुक्ति हेतु : शनिवार के सरसों के तेल, काले तिल, काली उड़द आदि लेकर माता कालीका का विवि विधान से पूजन करेंगे तो शनिदोष दूर होगा।
महाकाली शाबर मन्त्र : माता कालिका का यह साबर मंत्र है इसे साधना करना हो तभी पढ़े अन्यथा न पढ़े। इसे शुद्ध और पवित्र होकर ही पढ़ें अन्यथा आपके साथ बुरा घटित हो सकता है। अच्छा होगा की किसी जानकार से पूछकर ही पढ़ें।
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार, तत सार मध्ये ज्योत, ज्योत मध्ये परम ज्योत, परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली, कृष्ण वर्णी, शव वहानी, रुद्र की पोषणी, हाथ खप्पर खडग धारी, गले मुण्डमाला हंस मुखी। जिह्वा ज्वाला दन्त काली। मद्यमांस कारी श्मशान की राणी। मांस खाये रक्त-पी-पीवे। भस्मन्ति माई जहां पर पाई तहां लगाई। सत की नाती धर्म की बेटी इन्द्र की साली काल की काली जोग की जोगीन, नागों की नागीन मन माने तो संग रमाई नहीं तो श्मशान फिरे अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली अजर बजर अमर काली भख जून निर्भय काली बला भख, दुष्ट को भख, काल भख पापी पाखण्डी को भख जती सती को रख, ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली।
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
काली माता के मंत्र
एकाक्षर मंत्र : क्रीं इसे चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है।
द्विअक्षर मंत्र : क्रीं क्रीं तांत्रिक साधनाएं और मंत्र सिद्धि हेतु।
त्रिअक्षरी मंत्र : क्रीं क्रीं क्रीं तांत्रिक साधना के पहले और बाद में जपा जाता है।
ज्ञान प्रदाता मन्त्र : ह्रीं दक्षिण काली का मंत्र ज्ञान हेतु
मन्त्र : क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा दुखों का निवारण करके घन-धान्य की वृद्धि एवं पारिवारिक शांति हेतु।
छह अक्षरों का मंत्र : क्रीं क्रीं फट स्वाहा सम्मोहन आदि तांत्रिक सिद्धियों के लिए।
आठ अक्षरों का मंत्र : क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा पासना के अंत में जप करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
नवार्ण मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै: इसका प्रत्येक अक्षर एक ग्रह को नियंत्रित करता है। इस मंत्र का जप नवरात्रों में विशेष फलदायी होता है।
ग्यारह अक्षरों का यह मन्त्र : ऐं नमः क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा मन्त्र अत्यंत दुर्लभ और सर्वसिंद्धियों को प्रदान करने वाला है।
उपरोत्त्क पांच, छह, आठ और ग्यारह अक्षरों के इन मन्त्रों को दो लाख की संख्या में जपने का विधान है। तभी यह मन्त्र सिद्ध होता है।
क्रीं हूं हूं ह्रीं हूं हूं क्रीं स्वाहा।
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
नमः ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा।
नमः आं आं क्रों क्रों फट स्वाहा कालिका हूं।
क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।
माता की सरल भक्ति ही करें : शुक्रवार के दिन पवित्र होकर (मांस मदिरा छोड़कर) माता के मंदिर में जाकर गुग्गल की धूप लगाने के बाद गुलाब के फूल चढ़ाएं और माता की मूर्ति के समक्ष बैठकर प्रार्थना करें।माता की काली 21 शुक्रवार को तक करने के बाद इक्सीसवें शुक्रवार को माता को काली चूनरी, चूढ़ी, बिछियां आदि अर्पित करके माता को पांच तरह की मिठाई का भोग लगाएं। माता प्रसन्न होगी तो सौ प्रतिशत आपकी रह तरह की मनोकामनापूर्ण होगी। संकट जड़ से कट जाएंगे। धन की समस्या समाप्त हो जाएगी।
चेतावनी : यहां कालका माता की पूजा संबंधी सामान्य जानकारी दी जा रही है। किसी विशेषज्ञ से पूछकर ही माता की पूजा करना चाहिए।