जागो हे महा काल, जागो जीवन आधार,
भस्म करो पापी के पाप को,धरती पुकारे प्रभु आपको ।
तुम को जगा रहा नीला गगन ।तुम को जगाये प्रभु पूरा पवन ॥
कंदों पे नुसत धरो, डमरू पे ताल दो ।तीसरे नयन की आज ज्वाला निकाल दो ॥
फूंक दो यह कष्टों की कालिमा ।भर दो कानो में नयी लालिमा ॥
अवन्तिकायां विहितावतारम् मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहं सुरेशम्।।
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ॐ
भस्म करो पापी के पाप को,धरती पुकारे प्रभु आपको ।
तुम को जगा रहा नीला गगन ।तुम को जगाये प्रभु पूरा पवन ॥
कंदों पे नुसत धरो, डमरू पे ताल दो ।तीसरे नयन की आज ज्वाला निकाल दो ॥
फूंक दो यह कष्टों की कालिमा ।भर दो कानो में नयी लालिमा ॥
अवन्तिकायां विहितावतारम् मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहं सुरेशम्।।
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ॐ