Tuesday, 24 May 2016

जन्मदिन मनाने की विधि

जन्मदिन मनाने की विधि
जन्मदिन के दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए। सुबह 4 से 6 के बीच ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय में जागने से आयु में वृद्धि होती है। मन में गणेश जी का ध्यान करें व आंखे खोलें। सबसे पहले अपनी दोनो हथेलियों का दर्शन करें। नए दिन अच्छे से गुजरे। ये प्रार्थना अपने ईष्ट से करें। धरती माता को प्रणाम करें। तिल के उबटन से नहाएं। नहाकर के साफ व स्वच्छ वस्त्र पहनें। ईश्वर की पूजन करें। प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश का गंध,पुष्प,अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें। लड्डु और दूर्वा समर्पित करें।
इस दिन जन्मनक्षत्र का पूजन किया जाता है। जन्मदिन पर अष्टचिरंजीवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए। यह पूजन आयु में वृद्धि करता है।
अष्टचिरंजीवी-
अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि ये आठ चिरंजीवी हैं जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। अष्टचिरंजीवी को प्रणाम करें। इनके लिए तिल से होम करें।
अष्टचिरंजीवी मंत्र इस प्रकार है -
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थात् अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि को प्रणाम है। इन नामों के स्मरण रोज सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त दूर होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।
ऊँ कुलदेवताभ्यौ नमः मंत्र से कुलदेवता का पूजन करें। अब जन्म नक्षत्र, भगवान गणेश, सूर्यदेव, अष्टचिरंजीवी, षष्ठी देवी की स्थापना चावल की ढेरियों पर करें। नाम मंत्र से पूजन करें। भगवान मार्कण्डेय से दीर्घायु की प्रार्थना करें। तिल और गुड़ के लड्डु तथा दूध अर्पित करें। षष्ठी देवी को दही भात का नैवेद्य अर्पित करें। अब स्वयं तिल-गुड़ के लड्डु तथा दूध का सेवन करें।
पूजन के बाद माता-पिता को प्रणाम करें। सभी आदरणीय लोगों को और अपने गुरुजनों को प्रणाम करें। उनसे आर्शीवाद लें। माता-पिता बच्चों को उपहार में सिक्का व रूपया दें।
ब्राह्मण भोजन करवाएं। इस दिन जन्मपत्रिका में एक मोली यानी कि लाल रंग का धागा बांधे। और हर साल एक-एक गांठ बांधते जाएं।

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