हनुमानजी व शनिदेव शुभ योग में करें ये उपाय, प्रसन्न होंगे
धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी तथा शनिदेव दोनों से संबंधित उपाय किए जा सकते हैं। दोनों के ही उपायों से शुभ फल प्राप्त होंगे।
1. हनुमान जयंती पर हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढाएं। हनुमानजी को चोला चढ़ाने से पहले स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें। सिर्फ लाल रंग की धोती पहने तो और भी अच्छा रहेगा। चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें। साथ ही, चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जला कर रख दें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें।
चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाब के फूल की माला पहनाएं और केवड़े का इत्र हनुमानजी की मूर्ति के दोनों कंधों पर थोड़ा-थोड़ा छिटक दें। अब एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ व चना रख कर हनुमानजी को इसका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देर बैठकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।
मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
अब हनुमानजी को चढाए गए गुलाब के फूल की माला से एक फूल तोड़ कर उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में रखें। आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
2. हनुमान जयंती को शाम के समय समीप स्थित किसी ऐसे मंदिर जाएं, जहां भगवान श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही प्रतिमा हो। वहां जाकर श्रीराम व हनुमानजी की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी के दीपक जलाएं। इसके बाद वहीं भगवान श्रीराम की प्रतिमा के सामने बैठकर हनुमान चालीसा तथा हनुमान प्रतिमा के सामने बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इस उपाय से भगवान श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही कृपा आपको प्राप्त होगी।
3. हनुमान जयंती पर घर में पारद (एक प्रकार की विशेष धातु) से बनी हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करें। तंत्र शास्त्र के अनुसार पारद से बनी हनुमान प्रतिमा की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। पारद से निर्मित हनुमान प्रतिमा को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं। साथ ही, घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।
प्रतिदिन पारद हनुमान की पूजा से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद हनुमान प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।
4. हनुमान जयंती पर सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं। माला बनाने के लिए पूजा में उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का इस्तेमाल करें। अब समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें। हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटका है।
5. हनुमान जयंती के दिन किसी हनुमानजी मंदिर जाएं और वहां बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। जीवन में यदि कोई समस्या है तो उसका निवारण करने के लिए प्रार्थना करें।
6. हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ स्वच्छ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखें और इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें।
अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा। इसके बाद जब दोबारा हनुमान जयंती का पर्व आए तो इस पत्ते को किसी नदी में प्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।
अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा। इसके बाद जब दोबारा हनुमान जयंती का पर्व आए तो इस पत्ते को किसी नदी में प्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।
7. अगर आप शनि दोष से पीड़ित हैं तो हनुमान जयंती पर काली उड़द व कोयले की एक पोटली बनाएं। इसमें एक रुपए का सिक्का रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उसार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जाप करें इससे शनि दोष का प्रभाव कम हो जाएगा।
हनुमान जयंती व शनिवार के शुभ योग में आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार है-
1. शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं।
2. शनिवार को बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो सकता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।
3. शनिवार के एक दिन पहले पहले काले चने पानी में भिगो दें। शनिवार को ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। यह उपाय पूरा एक साल करें। इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें।
4. शनिवार को अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको माला की भांति गले में पहनें। इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है।
5. शनिवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घूमा कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से प्रार्थना करें।
6. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें। ये उपाय प्रत्येक शनिवार को भी कर सकते हैं।
7. शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।
8. लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार को पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
9. शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जाप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।
वैदिक मंत्र- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
वैदिक मंत्र- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
10. शनिवार को सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चना को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतारकर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। यह उपाय करने से शनिदेव के प्रकोप में अवश्य कमी होती है
11. शनिवार को भैरवजी की उपासना करें और शाम के समय काले तिल के तेल का दीपक लगाकर शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।