हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं की और त्योहारों की जानकारी। भगवान के मंत्र स्तोत्र तथा सहस्त्र नामावली की जानकारी ।
Monday, 13 June 2016
द्वादश ज्योर्लिंग स्तोत्र का अर्थ हिन्दी भाषा में
द्वादश ज्योर्लिंग स्तोत्र का अर्थ हिन्दी भाषा में
सौराष्ट्रदेशे विशदेतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम ।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।1।।
अर्थ – जो शिव अपनी भक्ति प्रदन करने के लिए सौराष्ट्र प्रदेश में दयापूर्वक अवतरित हुए हैं, चंद्रमा जिनके मस्तक का आभूषण बना है, उन ज्योतिर्लिंग स्वरुप भगवान श्री सोमनाथ की शरण में मैं जाता हूँ.
श्रीशैलश्रृंगे विबुधातिसंगेतुलाद्रितुंगेsपि मुदा वसन्तम ।
तमर्जुनं मल्लिकापूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम ।।2।।
अर्थ – जो ऊँचाई के आदर्शभूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊँचे श्री शैल के शिखर पर, जहाँ देवताओं का अत्यन्त समागम रहता है, प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं तथा जो संसार-सागर से पार कराने के लिए पुल के समान है, उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुन को मैं नमस्कार करता हूँ।
अवन्तिकायां विहितावतारंमुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम ।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम ।।3।।
अर्थ – संतजनो को मोक्ष देने के लिए जिन्होंने अवन्तिपुरी (वर्तमान में उज्जैन) में अवतार धारण किया है, उन महाकाल नाम से विख्यात महादेवजी को मैं अकाल मृत्यु से बचाने के लिए प्रणाम करता हूँ.
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय ।
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे ।।4।।
अर्थ – जो सत्पुरुषो को संसार सागर से पार उतारने के लिए कावेरी और नर्मदा के पवित्र संगम के निकट मान्धाता के पुर में सदा निवास करते हैं, उन अद्वित्तीय कल्याणमय भगवान ऊँकारेश्वर का मैं स्तवन करता हूँ.
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम ।
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि ।।5।।
अर्थ – जो पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि (वर्तमान में वैद्यनाथ धाम) के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते हैं, देवता और असुर जिनके चरण कमलों की आराधना करते हैं, उन श्री वैद्यनाथ को मैं प्रणाम करता हूँ.
याम्ये सदंगे नगरेsतिरम्ये विभूषितांग विविधैश्च भोगै: ।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये ।।6।।
अर्थ – जो दक्षिण के अत्यन्त रमणीय सदंग नगर में विविध भोगो से संपन्न होकर आभूषणों से भूषित हो रहे हैं, जो एकमात्र सदभक्ति और मुक्ति को देने वाले हैं, उन प्रभु श्रीनागनाथ जी की शरण में मैं जाता हूँ.
महाद्रिपार्श्चे च तट रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रै: ।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे ।।7।।
अर्थ – जो महागिरि हिमालय के पास केदारश्रृंग के तट पर सदा निवास करते हुए मुनीश्वरो द्वारा पूजित होते हैं तथा देवता, असुर, यज्ञ और महान सर्प आदि भी जिनकी पूजा करते हैं, उन एक कल्याणकारक भगवान केदारनाथ का मैं स्तवन करता हूँ.
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे ।
यद्दर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे ।।8।।
अर्थ – जो गोदावरी तट के पवित्र देश में सह्य पर्वत के विमल शिखर पर वास करते हैं, जिनके दर्शन से तुरन्त ही पातक नष्ट हो जाता है, उन श्री त्र्यम्बकेश्वर का मैं स्तवन करता हूँ.
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यै: ।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि ।।9।।
अर्थ – जो भगवान श्री रामचन्द्र जी के द्वारा ताम्रपर्णी और सागर के संगम में अनेक बाणों द्वारा पुल बाँधकर स्थापित किये गए, उन श्री रामेश्वर को मैं नियम से प्रणाम करता हूँ.
यं डाकिनीशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च ।
सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि ।।10।।
अर्थ – जो डाकिनी और शाकिनी वृन्द में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं, उन भक्ति हितकारी भगवान भीम शंकर को मैं प्रणाम करता हूँ.
सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम ।
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ।।11।।
अर्थ – जो स्वयं आनंद कन्द हैं और आनंदपूर्वक आनन्द वन (वर्तमान में काशी) में वास करते हैं, जो पाप समूह के नाश करने वाले हैं, उन अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की शरण में मैं जाता हूँ.
इलापुरे रम्यविशालकेsस्मिन समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम ।
वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णे श्वराख्यं शरणं प्रपद्ये ।।12।।
अर्थ – जो इलापुर के सुरम्य मंदिर में विराजमान होकर समस्त जगत के आराधनीय हो रहे हैं, जिनका स्वभाव बड़ा ही उदार है, उन घृष्णेश्वर नामक ज्योतिर्मय भगवान शिव की शरण में मैं जाता हूँ.
ज्योतिर्मयद्वादशलिंगानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण ।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोsतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च ।।13।।
अर्थ – यदि मनुष्य क्रमश: कहे गये इन द्वादश ज्योतिर्मय शिव लिंगो के स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करें तो इनके दर्शन से होने वाला फल प्राप्त कर सकता है.
सोमनाथ नमो नम: == मल्लिकार्जुन नमो नम: ===महाकालेश्वर नमो नम
ऊँकारेश्वर नमो नम ==केदारनाथ नमो नम ===भीमाशंकर नमो नम ===काशी विश्वनाथ नमो नम ===त्र्यम्बकेश्वर नमो नम ===वैद्यनाथ धाम नमो नम== नागेश्वर नमो नम ===रामेश्वरम नमो नम ===घृष्णेश्वर नमो नम
Gyanchand Bundiwal.
Kundan Jewellers
We deal in all types of gemstones and rudraksha. Certificate Gemstones at affordable prices.
हमारे यहां सभी प्रकार के नवग्रह के रत्न और रुद्राक्ष होल सेल भाव में मिलते हैं और ज्योतिष रत्न परामर्श के लिए सम्पर्क करें मोबाइल 8275555557
website www.kundanjewellersnagpur.com
Latest Blog
शीतला माता की पूजा और कहानी
शीतला माता की पूजा और कहानी होली के बाद शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है इस दिन माता श...
-
नरसिंह मंत्र उग्र वीर नृसिंह" "नरसिंह मंत्र" पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्...
-
सूर्य मंत्र : सूर्याय नमः ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। https://goo.gl/maps/N9irC7JL1N...
-
Chandra Gayatri Mantra चन्द्र गायत्री मंत्र :- (A) ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि ! तन्नो चन्द्र: प्रचोदय...
-
मां काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है। https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 . मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुप...
-
शारदीय नवरात्रि दुर्गा पूजा दिनांक शनिवार 17 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. आश्विन घटस्थापना...
-
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मंगलवार, अप्रैल 13, 2021 को पहला नवरात्र, मां शैलपुत्री की पूजा, गुड़ी पड़वा, नवरात्रि आरंभ, घटस्थापना, ह...
-
शिव को चढ़ाएं। उपाय के मुताबिक शिव पूजा में तरह-तरह के फूलों को चढ़ाने से अलग-अलग तरह की इच्छाएं पूरी हो जाती है। https://goo.gl/maps/N...
-
दीपावली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजा गुरुवार, नवम्बर 4, 2021 पर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 18:14 से 20:09 अवधि - 01 घण्टा 55...
-
गणेश जी के 108 नाम इस प्रकार हैं 1. बालगणपति: सबसे प्रिय बालक 2. भालचन्द्र: जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9K...
-
आदिशक्ति मां दुर्गा . या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःआदिशक्ति मां दुर्गा ... दुर्गा अवतार की कथा है कि असुरों द्वारा संत्रस्त देवताओं का उद्धार करने के लिए प्रजापति ने उनका तेज एकत्रित किया ...