श्री जगन्नाथ स्तोत्र || श्री कृष्ण का, उनके बड़े भ्राता श्री बलराम के साथ उनकी छोटी बहेन देवी सुभद्रा का ध्यान करे, और इसके बाद ही स्तोत्र का पाठ करें |
पहले दो श्लोक से श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को प्रणाम कर रहे हैं, तथा बाकी श्लोको से उनकी प्राथना है|
मान्यता है कि नित्य सिर्फ एक बार पढ़ने से मानसिक शांती मिलती है, और कअष्टो का निवारण हो जाता है |
|जगन्नाथप्रणामः ||
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने |
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ||१||
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च |
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ||२||
||श्री जगन्नाथ प्रार्थना ||
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय |
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण ||१||
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं प्रभो
कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः |
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपि नालोचका-
स्तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत् कारुण्यसिन्धुस्तदा ||२||
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः |
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ||३||
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे |
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ||४||
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा |
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ||५||
श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा की जय हो !!!
।॥Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557
पहले दो श्लोक से श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को प्रणाम कर रहे हैं, तथा बाकी श्लोको से उनकी प्राथना है|
मान्यता है कि नित्य सिर्फ एक बार पढ़ने से मानसिक शांती मिलती है, और कअष्टो का निवारण हो जाता है |
|जगन्नाथप्रणामः ||
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने |
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ||१||
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च |
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ||२||
||श्री जगन्नाथ प्रार्थना ||
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय |
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण ||१||
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं प्रभो
कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपि नालोचका-
स्तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत् कारुण्यसिन्धुस्तदा ||२||
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः |
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ||३||
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे |
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ||४||
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा |
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ||५||
श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा की जय हो !!!
।॥Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557