Sunday 26 March 2017

दूकान के लिए महत्त्वपूर्ण वास्तु सलाह

दूकान के लिए महत्त्वपूर्ण वास्तु सलाह
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपकी दूकान या शोरूम की आंतरिक और बाह्य व्यवस्था होती है तब अवश्य ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। वास्तु का सिद्धांत जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है। वह स्थान जहाँ जाकर हम प्रत्येक दिन काम करते है उस स्थान का वास्तु तो बहुत जरूरी है।
मकान हो या दूकान सभी जगह पंचतत्त्वों की उपस्थिति होती है। पंचतत्त्वों का स्थान विशेष में सामंजस्य ही तो वास्तु विज्ञान है । अत: स्पष्ट है कि वास्तु के सिद्धांत सिर्फ घर को ही नहीं अपितु दुकान आदि को भी प्रभावित करते हैं। दुकान में भी वास्तु का विशेष महत्व है। यदि आपकी दुकान वास्तु सम्मत है तो हर दृष्टि से शुभ परिणाम देता है।
कई बार यह देखने में आया है कि मुख्य बाज़ार में दूकान होने के बावजूद बिक्री उतनी नहीं हो पाती है जितनी होनी चाहिए। इसका मुख्य कारण है आपके दूकान में वास्तु सम्मत दोष का होना
एक बार एक बंधु मेरे पास आए और बोले कुछ दिन पहले मेरा दूकान बहुत अच्छा चल रहा था परन्तु जब से मै अपने दूकान में कुछ परिवर्तन किया हूँ उस समय से मेरे दूकान की बिक्री बहुत ही घट गई है। जब मैं उस दूकान की वास्तु देखने गया तो देखता हूँ कि दूकान के वायव्य स्थान जहाँ पर तुरंत बिक्री वाला सामान या हल्का सामान रखना चाहिए वहाँ पर भाड़ी और तुरन्त न बिकने वाला सामान रखा गया था। जब दूकान की आन्तरिक व्यवस्था वास्तु सम्मत की गई तब कुछ दिनों के बाद उनका फोन आया कि अब सब कुछ ठीक चल रहा है बिक्री बढ़ गई है और आशा है कि आगे भी बढ़ोतरी होती रहेगी।
दुकान में आप स्वयं नीचे लिखे सामान्य वास्तु नियमों का पालन करके मनोवांछित लाभ ले सकते हैं।
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दुकान आकार वर्गाकार अथवा आयताकार होने से आर्थिक वृद्धि होती है।
बाघमुखी अथवा सिंहमुखी दूकान अर्थात जिस दूकान के पीछे का भाग संकरा तथा आगे का भाग चौड़ा हो वह सिंहमुखी कहलाता है और दुकान का यह आकार अत्यंत ही शुभफल प्रदान करनेवाला होता है।
गोमुखी दुकान अर्थात जिस दूकान के आगे का भाग कम चौड़ा हो तथा पीछे का भाग अधिक चौड़ा हो गौमुखी कहलाता है दुकान के लिए यह लाभदायक नहीं है।
दूकान का ढलान प्रवेश द्वार की ओर नहीं होना चाहिए।
दुकान के ईशान कोण में कोई भाड़ी वस्तु न रखें। इस स्थान को या तो खाली रखें या जितना हो सके हल्का रखें। इस स्थान को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए।
दूकान में पीने के पानी की व्यवस्था उत्तर, ईशान कोण या पूर्व में रखें। ऐसा करने से दुकान में लक्ष्मी का लाभ होता है और धन लाभ होता है।
दुकान में ईशान कोण या आग्नेय कोण (उत्तरपूर्व या दक्षिणपूर्व) दिशा में दुकान की बिक्री का समान नहीं रखना चाहिए।
दूकान में प्रयुक्त बिजली उपकरण जैसे – मीटर, स्विच बोर्ड, इनवर्टर इत्यादि आग्नेय कोण (East – South) में ही रखना चाहिए। यदि अन्य दिशा में रखते है तो आगजनी जैसे परेशानी का शिकार हो सकते है।
दुकान के ठीक सामने कोई बिजली या फोन का खंबा,पेड़ अथवा सीढ़ी नहीं होना चाहिए यदि है तो आर्थिक नुकसान होगा।
दुकान के अंदर समान रखने के लिए आलमारी, शो-केस, फर्नीचर आदि दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य में लगाएं।
दुकान में माल का स्टोर, या कोई भी वैसा सामान जिसका वजन ज्यादा हो उसे नैऋत्य कोण (दक्षिण या पश्चिम) में रखना चाहिए।पूजा के लिए मंदिर ईशान, उत्तर या पूर्व में बनाएं।
दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है।
मालिक या मैनेजर तथा तिजोरी की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय के वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होता।
दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता है।
यदि आपकी दूकान में दूकानदार एवं कर्मचारी पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठते है तो सामान्यतः धन व्यय और कष्ट होता है।
दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
यदि दुकान में टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते हैं, तो दक्षिणपूर्व दिशा सबसे शुभ है।
दुकान में क्या नहीं करना चाहिए
दूकान के प्रवेश द्वार पर चौखट न बनाए।
दूकान से धन लाभ के लिए तिजोरी / कैश बाॅक्स में कुबेर यंत्र या श्रीयंत्र अवश्य रखें तथा नगद पेटी कभी खाली न रखें।
गद्दी पर बैठकर न तो भोजन करें और न ही सोने का कष्ट करें।
नगद पेटिका या मेज पर पैर रखकर कभी भी नहीं बैठें।
दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो दक्षिण तथा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके दान नहीं दे ऐसा करने से धन की हानि होती है।
दुकान खोलते समय तथा शाम को बिजली जलाने के बाद कभी भी दान नही देना चाहिए।कभी भी दान फेंककर न दें, साथ ही दान देते समय, धरती या आसमान की ओर नहीं देखना चाहिए।
दूकान सम्बन्धी समस्या और समाधान

दुकान की उत्तर या पूर्व दिशा में देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखने व्यापार में लाभ होता है।दुकान में अपने कुल देवता अथवा इष्ट देवी / देवता की तस्वीर लगानी चाहिए।
दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ करके ही दें ऐसा करने से धन लाभ होती है।
यदि आपकी दुकान में बरकत न हो रही है, तो गणेश जी की मूर्ति मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर लगाए। यह मूर्ति दीवार के आगे-पीछे दोनों तरफ लगाएं।
यदि आपकी दुकान दक्षिण मुखी है तो गणेश जी की मूर्ति केवल मुख्य दरवाजे के बाहर की ओर ही लगाना चाहिए।
यदि आपके व्यवसाय में कोई परेशानी आ रही हो तो प्रतिदिन श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
यदि सरकार के अधिकारियों के द्वारा आपको बेवजह परेशान किया जा रहा हो तो प्राण-प्रतिष्ठित सूर्य यंत्र लगाने से समस्याएं दूर हो जाती है।!!!! Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557 !!!
यदि आप दुकान को लेकर शत्रु या गुण्डों से परेशान हो रहे है तो प्राण प्रतिष्ठित काली या बगुला मुखी यंत्र लगाने से लाभ मिलता है।
दुकान आपके लिए शुभ फल प्रदान करे इसके लिए दुकान के मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर प्राण-प्रतिष्ठित बीसा या चौतीसा यंत्र लगाना चाहिए।

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