यशोदा जयंती पुराणिक कथा : एक समय माता यशोदा ने भवगवान विष्णु की घोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा. माता ने बोले हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र के रूप में प्राप्त होंगे. भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में में वासुदेव एवं देवकी माँ के घर जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा. समय के साथ ऐसा ही हुआ एवं भगवान कृष्ण देवकी एवं वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए, क्योंकि कंस को मालूम था कि उनका वध देवकी एवं वासुदेव की संतान द्वारा ही होगा तो उन्होंने अपनी बहन एवं वासुदेव को कारावास में डाल दिया. जब कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव उन्हें नंद बाबा एवं यशोदा मैय्या के घर छोड़ आए ताकि उनका अच्छे से पालन पोषण हो सके. तत्पश्चात माता यशोदा ने ही कृष्ण को मातृत्व का सुख दिया.
माता यशोदा एवं कृष्ण की लीलाएं तो जग जाहिर हैं. कभी माखन चोर बने, तो कभी पूतना का वध किया. मां की डांट पड़ने पर अपने मुंह को खोल कर पूरे ब्रह्मांड के दर्शन भी करवा दिए. उनकी ऐसी अद्भुद लीलाएं देख कर मां यशोदा को एहसास हो गया की कृष्ण ही भगवान विष्णु का रूप हैं. वह कृतघ्न हो गयी एवं और भी वात्सल्य से भर गयीं.
जसोदा हरि पालने झुलावै.
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौ आउ निंदरिया, काहै न आनि सुवावै.
तू काहैं नहि बेगहि आवै, तोकौ कान्ह बुलावै॥
कबहुं पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुं अधर फरकावै.
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहि अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै.
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नंद-भामिनि पावै॥
यशोदा जयंती पूजा विधि
आज के दिन मां यशोदा को दिल से याद करें, उनका आवाहन करें एवं उनसे संतान सुख के लिए आशीर्वाद मांगें. मां तो सभी के लिए वात्सल्य से भारी हुई हैं. आपकी मनोकामनाओं को अवश्य पूर्ण करेंगी. अगर आप संतान से सम्बंधित कष्टों से गुजर रहे हैं या फिर संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपको आज के दिन प्रातः काल उठ कर स्नान आदि कर स्वच्छ होकर मां यशोदा का ध्यान करना चाहिए एवं कृष्ण के लड्डू गोपाल रूप का ध्यान करना चाहिए. मां को लाल चुनरी चड़ाएं, पंजीरी एवं मीठा रोठ एवं थोड़ा सा मख्खन लड्डू गोपाल के लिए भी भोग के लिए रखें. मन ही मन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें, शुभ होगा. Gyanchand Bundiwal.
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