Thursday, 18 April 2013

जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम

मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम ।मेरे नैनों की नगरिया में राम ही राम ॥
मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमैया ।सांसो के स्वामी मेरी नैया के खिवैया ।
गुन गुन में है राम झुन झुन में है राम ।मेरे मन की अटरिया में राम ही राम ॥
जनम जनम का जिनसे है नातामन जिनके पल छिन गुण गाता ।
सुमिरन में है राम दर्शन में है राममेरे मन की मुरलिया में राम ही राम ॥
जहाँ भी देखूँ तहाँ राम जी की माया सबही के साथ श्री राम जी की छाया ।
त्रिभुवन में हैं राम हर कण में है राम सारे जग की डगरिया में राम ही राम ॥

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