या
कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया वीणावरदण्डमण्डितकरा या
श्वेतपद्मासना।या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दितासा मां
पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 1॥शुक्लां ब्रह्मविचार सार
परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥2
मां शारदे! हंसासिनी!वागीश! वीणावादिनी!मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो।।माँ सरस्वती! वरदान दो।।निष्काम हो मन कामना,मेरी सफल हो साधना,नव गति, नई लय तान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।हो सत्य जीवन-सारथी,तेरी करूँ नित आरती,समृद्धि, सुख, सम्मान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,मेरा महान चरित्र हो,विद्या, विनय, बल दान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।सौ वर्ष तक जीते रहें,सुख-अमिय हम पीते रहें,निज चरण में सुस्थान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।यह विश्व ही परिवार हो,सबके लिए सम प्यार हो,'आदेश' लक्ष्य महान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।!!Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥2
मां शारदे! हंसासिनी!वागीश! वीणावादिनी!मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो।।माँ सरस्वती! वरदान दो।।निष्काम हो मन कामना,मेरी सफल हो साधना,नव गति, नई लय तान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।हो सत्य जीवन-सारथी,तेरी करूँ नित आरती,समृद्धि, सुख, सम्मान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,मेरा महान चरित्र हो,विद्या, विनय, बल दान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।सौ वर्ष तक जीते रहें,सुख-अमिय हम पीते रहें,निज चरण में सुस्थान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।यह विश्व ही परिवार हो,सबके लिए सम प्यार हो,'आदेश' लक्ष्य महान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो।।!!Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557