Monday 3 June 2013

श्रीनाथजी की जय हो


श्रीनाथजी की जय हो, श्रीनाथजी की जय हो,श्रीनाथजी की जय हो,
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी, यमुनाजी, महाप्रभुजी मारु मनडुं छे गोकुळ वनरावन मारा तनना आंगणियामां तुलसीनां वन मारा प्राण जीवन….मारा घटमां. मारा आतमना आंगणे श्रीमहाकृष्णजी मारी आंखो दीसे गिरिधारी रे धारी मारु तन मन गयुं छे जेने वारी रे वारी हे मारा श्याम मुरारि…..मारा घटमां.
हे मारा प्राण थकी मने वैष्णव व्हाला नित्य करता श्रीनाथजीने काला रे वाला में तो वल्लभ प्रभुजीनां कीधां छे दर्शन मारुं मोही लीधुं मन…..मारा घटमां.
ुं तो नित्य विठ्ठल वरनी सेवा रे करुं हुं तो आठे समा केरी झांखी रे करुं में तो चितडुं श्रीनाथजीने चरणे धर्युं जीवन सफळ कर्युं … मारा घटमां.
में तो पुष्टि रे मारग केरो संग रे साध्यो मने धोळ किर्तन केरो रंग रे लाग्यो में तो लालानी लाली केरो रंग रे मांग्यो हीरलो हाथ लाग्यो … मारा घटमां.
आवो जीवनमां ल्हावो फरी कदी ना मळे वारे वारे मानवदेह फरी न मळे फेरो लख रे चोर्यासीनो मारो रे फळे मने मोहन मळे … मारा घटमां...


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