Friday, 13 November 2015

छठ पूजा व्रत 2015 के महत्त्वपूर्ण दिवस

छठ पूजा व्रत 2015 के महत्त्वपूर्ण दिवस
छठ पूजा दिवस 1 - नहा खा – 15-नवंबर-2015
छठ पूजा दिवस 2 -खरना / लोहंडा - 16-नवंबर-2015
छठ पूजा दिवस 3 -सांझा अर्ग - 17-नवंबर-2015
छठ पूजा दिवस 4 -सुबह अर्ग - 18-नवंबर-2015
छठ पूजा दिवस 4 -पारण - 18-नवंबर-2015
छठ पूजा के लिए आवश्यक समाग्री
पाँच प्रकार में फल के अतिरिक्त कन्दम , अनानास , सक्करकंद , बड़ा नींबू, सिंघाड़ा , सिंघाड़ा हरी हल्दी ,हरा अदरक , पाँच गन्ने साबुत, एक नयी साड़ी , आम की लकड़ियाँ (प्रसाद बनाने के लिए) आदि , एक नयी साड़ी
छठ पूजा विधि,,,,1. छठ पूजा के दिन औरते (जिनका कम से कम एक पुत्र हो) निर्जल व्रत रखती हैं और शाम में केले के पत्ते पर लौकी खा कर पास करती हैं.
2. छठ पूजा के दिन औरते आटे की ठेकुए बनाती हैं प्रसाद के लिए.
3. छठ पूजा के दिन औरते सारे फलों को पितल के परात में या खचीये में रख कर पूजा करती हैं और घर से घाट तक जाती हैं. घर का कोई सदस्य उसे अपने सर पर रख बिना कही उतारे घाट तक ले जाता हैं.
4. छठ पूजा के दिन पाँच गन्नो को एक नयी साड़ी में कुछ ठेकुए चने और फल के साथ बाँध दिया जाता हैं . इसे भी बिना कही उतारे घाट तक ले जया जाता हैं.
5. छठ पूजा के दिन घाट पर मिट्टी से बेदी बनाते हैं और उस पर एक पुत्र का नाम अंकित किया जाता हैं. जिसके दो या तीन पुत्र हो तो दो या तीन बेदी एक साथ पास में ही बनाते हैं और उन पाँच गन्नो से उसे घेर दिया जाता हैं.
6. छठ पूजा के दिन औरते एक पीतल के सुष में सारे फल और चने आदि रख कर दिये जला कर सूर्य अस्त होने तक पूजा करती हैं
7. छठ पूजा के दिन औरते सूर्य अस्त के समय गंगा में नहाती हैं और आधे जल में ही खड़ी रहकर अरग देती हैं.
8. पुत्र उस पितल के सूप को प्रसाद सहित अपनी माँ के पास ले जाकर सूप उसे देता हैं और एक बर्तन में गाय के दूध से पाँच बार अरग देता हैं . प्रत्येक अरग पर उसकी माँ सूप को अपने बालो के साथ और साड़ी के साथ पहन कर पाँच परीक्रमा करती हैं.
9. फिर वो घर आती हैं और बखीर पूड़ी खाती हैं और सुबह फिर यही काम सूर्य उदय होने तक करती हैं.
10. दूसरी और आख़िरी अरग के बाद वो कथा सुनती हैं और घाट पर प्रसाद बाँट कर घर आकर अपना व्रत पूजा करने के बाद तोड़ती हैं.
छठ व्रत कथा.....एक थे राजा प्रियव्रत उनकी पत्नी थी मालिनी. राजा रानी नि:संतान होने से बहुत दु:खी थे. उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया. यज्ञ के प्रभाव से मालिनी गर्भवती हुई परंतु न महीने बाद जब उन्होंने बालक को जन्म दिया तो वह मृत पैदा हुआ. प्रियव्रत इस से अत्यंत दु:खी हुए और आत्म हत्या करने हेतु तत्पर हुए.
प्रियव्रत जैसे ही आत्महत्या करने वाले थे उसी समय एक देवी वहां प्रकट हुईं. देवी ने कहा प्रियव्रत मैं षष्टी देवी हूं. मेरी पूजा आराधना से पुत्र की प्राप्ति होती है, मैं सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने वाली हूं. अत: तुम मेरी पूजा करो तुम्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा ने देवी की आज्ञा मान कर कार्तिक शुक्ल षष्टी तिथि को देवी षष्टी की पूजा की जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई. इस दिन से ही छठ व्रत का अनुष्ठान चला आ रहा है.
एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान श्रीरामचन्द्र जी जब अयोध्या लटकर आये तब राजतिलक के पश्चात उन्होंने माता सीता के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को सूर्य देवता की व्रतोपासना की और उस दिन से जनसामान्य में यह पर्व मान्य हो गया और दिनानुदिन इस त्यहार की महत्ता बढ़ती गई व पूर्ण आस्था एवं भक्ति के साथ यह त्यहार मनाया जाने लगा.
छठ पूजा का महत्व,,,छठ का त्यौहार सूर्य की आराधना का पर्व है, हिंदू धर्म के देवताओं में सूर्य देव का अग्रीण स्थान है और हिंदू धर्म में इन्हें विशेष स्थान प्राप्त है. प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है सूर्योपासना की परंपरा ऋग वैदिक काल से होती आ रही है सूर्य की पूजा महत्व के विषय में विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मा वैवर्त पुराण आदि में विस्तार पूर्वक उल्लेख प्राप्त होता है.
सृष्टि और पालन शक्ति के कारण सूर्य की उपासना सभ्यता के अनेक विकास क्रमों में देखी जा सकती है. पौराणिक काल से ही सूर्य को आरोग्य के देवता माना गया है वैज्ञानिक दृष्टि से भी सूर्य की किरणों में कई रोगों को समाप्त करने की क्षमता पाई गई है .सूर्य की वंदना का उल्लेख ऋगवेद में मिलता है तथा अन्य सभी वेदों के साथ ही उपनिषद आदि वैदिक ग्रंथों में इसकी महत्ता व्यक्त कि गई है.
छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता है भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण यह पर्व बाँस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बरतनों, गन्ने के रस, गुड़,चावल और गेहूँ से निर्मित प्रसाद, और सुमधुर लोकगीतों का गाया जाता है.
छठ पूजा का आयोजन आज बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के कोने-कोने में देखा जा सकता है. प्रशासन इसके आयोजन के लिए विशेष प्रबंध करता है देश के साथ-साथ अब विदेशों में रहने वाले लोग भी इस पर्व को बहुत धूम धाम से मनाते हैं
मान्यता अनुसार सूर्य देव और छठी मइया भाई-बहन है, छठ त्यौहार का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व माना गया है इस कथन के अनुसार षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगौलीय अवसर होता है इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं उसके संभावित कुप्रभावों से रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में रहा है. छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है. इसे करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है.,,ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,Gems For Everyone


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