दुर्गा पूजा,शारदीय नवरात्रे, कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त
(1) प्रथम कलशस्थापन शैलपुत्री (भोग -खीर)
(2) द्वितीया ब्राह्मचारिणी (भोग खीर,गाय का घी,एवं मिश्री)
(3) त्रतीया चन्द्रघंटा (भोग कैला,दूध,माखन,मिश्री )
(4) चतुर्थी कुष्मांडा (भोग पोहा,नारियल,मखाना)
(5) पंचमी स्कन्दमाता (भोग शहद एवं मालपुआ )खिलोना
(6) षष्टी कात्यायनी(भोग शहद एवं खजूर)) सुहाग सामान
(7) सप्तमी कालरात्री (भोग अंकुरीत चना एवं अंकुरित मूँग )
(8) अष्टमी महागौरी (भोग नारियल,खिचड़ी,खीर )
(9) नवमी सिध्दीदात्री (भोग चूड़ा दही,पेड़ा,हलवा,,)
(10 ) दशमी धान का लावा
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शारदीय नवरात्री पूजन 21 सितंबर 2017 से प्रारम्भ है। इस दिन प्रथम नवरात्र (प्रतिपदा) है। नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के रूप में विराजमान होती है। उस दिन कलश स्थापना के साथ-साथ माँ शैलपुत्री की पूजा होती हैऔर इसी पूजा के बाद मिलता है माँ का आशीर्वाद।
भारतीय शास्त्रानुसार नवरात्रि पूजन तथा कलशस्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के पश्चात 10 घड़ी तक अथवा अभिजीत मुहूर्त Abhijit muhurt में ही करना चाहिए। कलश स्थापना Kalash Sthapna के साथ ही नवरात्री का त्यौहार प्रारम्भ हो जाता है।
अभिजितमुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते। अर्थात अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहिए। भारतीय ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न (Dual Lagan) में करना श्रेष्ठ होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मिथुन, कन्या,धनु तथा कुम्भ राशि द्विस्वभाव राशि है। अतः हमंा इसी लग्न में पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए।
नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त 2017
घटस्थापना मुहूर्त = 06:22 to 07:30
अवधि = 1 घंटा 8 मिनट
घटस्थापना मुहूर्त तिथि – प्रतिपदा तिथि
घटस्थापना मुहूर्त लग्न – द्विस्वभाव राशि कन्या लग्न
प्रतिपदा तिथि आरम्भ = 05:41 बजे से 21/ सितंबर /2017
प्रतिपदा तिथि समाप्त = 07:45 तक 22/ सितंबर /2017प्रथम(प्रतिपदा)
नवरात्र हेतु पंचांग विचार
दिन(वार) – वृहस्पतिवार
तिथि – प्रतिपदा
नक्षत्र – हस्त
योग – भव
करण – किंस्तुघ्न
पक्ष – शुक्ल
मास – आश्विन
लग्न – धनु (द्विस्वभाव)
लग्न समय – 11:33 से 13:37
मुहूर्त – अभिजीत
मुहूर्त समय – 11:46 से 12:34 तक
राहु काल – 13:45 से 15:16 तक
विक्रम संवत – 2074
इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11:46 से12:34 तक है ) जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है। धनु लग्न में पड़ रहा है अतः धनु लग्न में ही पूजा तथा कलश स्थापना करना श्रेष्ठकर होगा।
2017 : माता दुर्गा के प्रथम रूप “शैलपुत्री”
माँ दुर्गा के प्रथम रूप “शैलपुत्री”की उपासना के साथ नवरात्रि प्रारम्भ होती है। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण, माँ दुर्गा के इस रूप का नाम “शैलपुत्री” है। पार्वती और हेमवती भी इन्हीं के नाम हैं। माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल का फूल है। माता का वाहन वृषभ है। माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना इस मंत्र के उच्चारण के साथ करनी चाहिए-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
नवरात्र पूजन सामग्री
माँ दुर्गा की सुन्दर प्रतिमा, माता की प्रतिमा स्थापना के लिए चौकी, लाल वस्त्र , कलश/ घाट , नारियल का फल, पांच पल्लव आम का, फूल, अक्षत, मौली, रोली, पूजा के लिए थाली , धुप और अगरबती, गंगा का जल, कुमकुम, गुलाल पान, सुपारी, चौकी,दीप, नैवेद्य,कच्चा धागा, दुर्गा सप्तसती का किताब ,चुनरी, पैसा, माता दुर्गा की विशेष कृपा हेतु संकल्प तथा षोडशोपचार पूजन करने के बाद, प्रथम प्रतिपदा तिथि को, नैवेद्य के रूप में गाय का घी माता को अर्पित करना चाहिए तथा पुनः वह घी किसी ब्राह्मण को दे देना चाहिए।
वर्ष 2017 की नवरात्री की तिथियाँ
प्रथम नवरात्रि (प्रतिपदा), शैलपुत्री स्वरूप की पूजा 21 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार,
दूसरा नवरात्रि, चन्द्र दर्शन, देवी ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा 22 सितंबर 2017, शुक्रवार
तृतीय नवरात्रि, सिन्दूर चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा 23 सितंबर 2017, शनिवार
चतुर्थ नवरात्रि, कुष्मांडा स्वरूप की पूजा 24 सितंबर 2017, रविवार
पंचमी नवरात्रि, स्कंदमाता की पूजा, वरद विनायका चौथ 25 सितंबर 2017, सोमवार
षष्ठी नवरात्रि, कात्यायनी स्वरूप की पूजा 26 सितंबर 2017, मंगलवार
सप्तमी नवरात्रि, कालरात्रि स्वरूप की पूजा 27 सितंबर 2017, बुधवार
अष्टमी नवरात्रि, महागौरी स्वरूप की पूजा 28 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार
नवमी नवरात्रि, सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा 29
(2) द्वितीया ब्राह्मचारिणी (भोग खीर,गाय का घी,एवं मिश्री)
(3) त्रतीया चन्द्रघंटा (भोग कैला,दूध,माखन,मिश्री )
(4) चतुर्थी कुष्मांडा (भोग पोहा,नारियल,मखाना)
(5) पंचमी स्कन्दमाता (भोग शहद एवं मालपुआ )खिलोना
(6) षष्टी कात्यायनी(भोग शहद एवं खजूर)) सुहाग सामान
(7) सप्तमी कालरात्री (भोग अंकुरीत चना एवं अंकुरित मूँग )
(8) अष्टमी महागौरी (भोग नारियल,खिचड़ी,खीर )
(9) नवमी सिध्दीदात्री (भोग चूड़ा दही,पेड़ा,हलवा,,)
(10 ) दशमी धान का लावा
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