Saturday, 8 October 2016

१०८ शक्ति पीठो का वर्णन .

१०८ शक्ति पीठो का वर्णन .... श्री देवी भागवत में वर्णित, राजा जन्मेजय द्वारा पूछे जाने पर व्यास जी द्वारा जिन १०८ शक्ति पीठो का वर्णन किया गया वो निम्नलिखित हैं।
१. वाराणसी में देवी विशालाक्षी।
२. नैमिषारण्य क्षेत्र में देवी लिंग्धारिणी।
३. प्रयाग में देवी ललिता।
४. गंधमादन पर्वत पर देवी कामुकी।
५. दक्षिण मानसरोवर में देवी कुमुदा।
६. उत्तर मानसरोवर में, सर्व कामना पूर्ण करने वाली देवी विश्वकामा।
७. गोमान्त पर देवी गोमती।
८. मंदराचल पर देवी कामचारिणी।
९. चैत्ररथ में देवी मदोत्कता।
१०. हस्तिनापुर में देवी जयंती।
११. कन्याकुब्ज में देवी गौरी।
१२. मलयाचल पर देवी रम्भा।
१३. एकाम्र पीठ पर देवी कीर्तिमती।
१४. विश्वपीठ पर देवी विश्वेश्वरी।
१५. पुष्कर में देवी पुरुहूता।
१६. केदार स्थल पर देवी सन्मार्गदायनी।
१७. हिमात्वपीठ पर देवी मंदा।
१८. गोकर्ण में देवी भद्र कर्णिका।
१९. स्थानेश्वर में देवी भवानी।
२०. बिल्वक में देवी बिल्वपत्रिका।
२१. श्रीशैलम में देवी माधवी।
२२. भाद्रेश्वर में देवी भद्र।
२३. वरह्पर्वत पर देवी जया।
२४. कमलालय में देवी कमला।
२५. रुद्रकोटि में देवी रुद्राणी।
२६. कालंजर में देवी काली।
२७. शालग्राम में देवी महादेवी।
२८. शिवलिंग में देवी जलप्रिया।
२९. महालिंग में देवी कपिला।
३०. माकोट में देवी मुकुटेश्वरी।
३१. मायापुरी में देवी कुमारी।
३२. संतानपीठ में देवी ललिताम्बिका।
३३. गया में देवी मंगला।
३४. पुरुषोतम क्षेत्र में देवी विमला।
३५. सहस्त्राक्ष में देवी उत्पलाक्षी।
३६. हिरण्याक्ष में देवी महोत्पला।
३७. विपाशा में देवी अमोघाक्षी।
३८. पुंड्रवर्धन में देवी पाडला।
३९. सुपर्श्व में देवी नारायणी।
४०. चित्रकूट में देवी रुद्रसुन्दारी।
४१. विपुल क्षेत्र में देवी विपुला।
४२. मलयाचल में देवी कल्याणी।
४३. सह्याद्र पर्वत पर देवी एकवीर।
४४. हरिश्चंद्र में चन्द्रिका।
४५. रामतीर्थ में देवी रमण।
४६. यमुना में देवी मृगावती।
४७. कोटितीर्थ में देवी कोटवी।
४८. माधव वन में देवी सुगंधा।
४९. गोदावरी में देवी त्रिसंध्या।
५०. गंगाद्वार में देवी रतिप्रिया।
५१. शिवकुंड में देवी सुभानंदा।
५२. देविका तट पर देवी नंदिनी।
५३. द्वारका में देवी रुकमनी।
५४. वृन्दावन में देवी राधा।
५५. मथुरा में देवी देवकी।
५६. पाताल में देवी परमेश्वरी।
५७. चित्रकूट में देवी सीता।
५८. विन्ध्याचल पर देवी विध्यवासिनी।
५९. करवीर क्षेत्र में देवी महालक्ष्मी।
६०. विनायक क्षेत्र में देवी उमा।
६१. वैद्यनाथ धाम में देवी आरोग्य।
६२. महाकाल में देवी माहेश्वरी।
६३. उष्ण तीर्थ में देवी अभ्या।
६४. विन्ध्य पर्वत पर देवी नितम्बा।
६५. माण्डवय क्षेत्र में देवी मांडवी।
६६. माहेश्वरी पुर में देवी स्वाहा।
६७. छगलंड में देवी प्रचंडा।
६८. अमरकंटक में देवी चंडिका।
६९. सोमेश्वर में देवी वरारोह।
७०. प्रभास क्षेत्र में देवी पुष्करावती।
७१. सरस्वती तीर्थ में देव माता।
७२. समुद्र तट पर देवी पारावारा।
७३. महालय में देवी महाभागा।
७४. पयोष्णी में देवी पिन्गलेश्वरी।
७५. कृतसौच क्षेत्र में देवी सिंहिका।
७६. कार्तिक क्षेत्र में देवी अतिशंकारी।
७७. उत्पलावर्तक में देवी लोला।
७८. सोनभद्र नदी के संगम पर देवी सुभद्रा।
७९. सिद्ध वन में माता लक्ष्मी।
८०. भारताश्रम तीर्थ में देवी अनंगा।
८१. जालंधर पर्वत पर देवी विश्वमुखी।
८२. किष्किन्धा पर्वत पर देवी तारा।
८३. देवदारु वन में देवी पुष्टि।
८४. कश्मीर में देवी मेधा।
८५. हिमाद्री पर्वत पर देवी भीमा।
८६. विश्वेश्वर क्षेत्र में देवी तुष्टि।
८७. कपालमोचन तीर्थ पर देवी सुद्धि।
८८. कामावरोहन तीर्थ पर देवी माता।
८९. शंखोद्धार तीर्थ में देवी धारा।
९०. पिंडारक तीर्थ पर धृति।
९१. चंद्रभागा नदी के तट पर देवी कला।
९२. अच्छोद क्षेत्र में देवी शिवधारिणी।
९३. वेण नदी के तट पर देवी अमृता।
९४. बद्रीवन में देवी उर्वशी।
९५. उत्तर कुरु प्रदेश में देवी औषधि।
९६. कुशद्वीप में देवी कुशोदका।
९७. हेमकूट पर्वत पर देवी मन्मथा।
९८. कुमुदवन में सत्यवादिनी।
९९. अस्वथ तीर्थ में देवी वन्दनीया।
१००. वैश्वनालय क्षेत्र में देवी निधि।
१०१. वेदवदन तीर्थ में देवी गायत्री।
१०२. भगवान् शिव के सानिध्य में देवी पार्वती।
१०३. देवलोक में देवी इन्द्राणी।
१०४. ब्रह्मा के मुख में देवी सरस्वती।
१०५. सूर्य के बिम्ब में देवी प्रभा।
१०६. मातृकाओ में देवी वैष्णवी।
१०७. सतियो में देवी अरुंधती।
१०८. अप्सराओ में देवी तिलोतम्मा।
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१०९. शारीर धारिओ के शारीर में या चित में ब्रह्मकला।

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