सुबह स्नान अथवा सायंकाल घर के पूजा गृह में अथवा मंदिर में भगवान के सामने खड़े होकर तथा दोनों हाथ जोड़कर कर आप इन मंत्रों के साथ पूजा कीजिए. किसी भी देवी-देवता की आरती से पूर्व उसके मूल मंत्र का जाप कर लेने से भी देवी-देवता आप से खुश होते है व आप पर कृपा बरसातें हैं.https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5।,,,,,,,,,,,Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557
श्री गणेश मूल मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः
श्री सिद्धि विनायक गणेश मंत्र
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
श्री लक्ष्मी मंत्र
विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं जगद्धिते अर्तिहंत्रि नमस्तुभ्यं समृद्धि कुरु में सदा
श्री विष्णु मूल मन्त्र
ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय
ॐ श्री विष्णुवे नमः
श्री विष्णु मन्त्र
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्व मम देवदेव
श्री कृष्ण मंत्र ॐ श्री कृष्णाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्री राम मंत्र ॐ श्री रामचन्द्राय नमः
श्री नरसिंह मंत्र ॐ श्री नरसिंहाय नमः
श्री शिव मन्त्र ॐ नमः शिवाय
प्राचीन शिव पंचाक्षरी मंत्र इस प्रकार है
नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भास्मंगारागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’काराय नमः शिवाय ।।1।।
मन्दाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदिश्वाराय प्रमथानाथ महेश्वराय
मंदारापुष्प बहुपुष्प सुपुजिताय तस्मै ‘म’काराय नमः शिवाय ।।2।।
शिवाय गौरी वादानाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वार नशाकाय
श्री निलाकंठाय वृषभध्वजाय तस्मै ‘शि’काराय नमः शिवाय।।3।।
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतामार्य मुनीन्द्र देवार्चिता शेखाराय
चन्द्रार्कवैश्वनारा लोचनाय तस्मै ‘व’काराय नमः शिवाय।।4।।
यक्षस्वरुपाय जटाधाराय पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै ‘य’काराय नमः शिवाय।।5।।
श्री काली मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
श्री सरस्वती मंत्
ॐ सरस्वत्यै नमः
श्री दुर्गा मंत्र
ॐ दुर्गायै नमः
श्री हनुमान मंत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगम्जितेन्दि्रयं बुद्धिमतां वरिष्थम्वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये
सूर्य मंत्र
आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मर्त्य च हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन
महामंत्र ।।
शनि महामंत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम्।छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम् नमामि शनैश्चरम्।।
महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्यीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्यीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मये नम:।
धन लाभ व समृद्धि हेतु महालक्ष्मी मंत्र
1.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
2. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।
3. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ।।
कुबेर देव आराधना मंत्र
1.ॐ वैश्रवणाय स्वाहा।
2. ॐ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।
3.ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
अष्टविनायक मंत्र
मुद्गल पुराण के अनुसार भगवान् गणेश के अनेकों अवतार हैं, जिनमें आठ अवतार प्रमुख हैं। पहला अवतार भगवान् वक्रतुण्ड का है।
वक्रतुण्ड
वक्रतुण्डावतारश्च देहानां ब्रह्मधारकः । मत्सरासुरहन्ता स सिंहवाहनगः स्मृतः ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘वक्रतुण्डावतार ‘ ब्रह्मरुप से सम्पूर्ण शरीरों को धारण करने वाला, मत्सरासुर का वध करने वाला तथा सिंह वाहन पर चलने वाला है
एकदन्त
एकदन्तावतारौ वै देहिनां ब्रह्मधारकः । मदासुरस्य हन्ता स आखुवाहनगः स्मृतः ।।
भगवान् गणेश का ‘ एकदन्तावतार ‘ देहि – ब्रह्म का धारक है, वह मदासुर का वध करने वाला है. उनका वाहन मूषक बताया गया है.
महोदर
महोदर इति ख्यातो ज्ञानब्रह्मप्रकाशकः । मोहसुरस्य शत्रुर्वै आखुवाहनगः स्मृतः ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ महोदर ’ नाम से विख्यात अवतार ज्ञान ब्रह्म का प्रकाशक है। उन्हें मोहासुर का विनाशक तथा उनका मूषक – वाहन बताया बताया गया है।
गजानन
गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्य सिद्धिदायकः । लोभासुरप्रहर्ता वै आखुगश्च प्रकीर्तितः ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ गजानन ’ नामक अवतार सांख्यब्रह्म का धारण है। उसको सांख्य योगियों के लिए सिद्धिदायक जानना चाहिये। यह अवतार लोभासुर का संहारक तथा मूषक वाहन पर चलने वाला कहा गया है।
लम्बोदर
लम्बोदरावतारो वै क्रोधासुर निबर्हणः ।शक्तिब्रह्माखुगः सद् यत् तस्य धारक उच्यते ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ लम्बोदर ’ नामक अवतार सत्स्वरुप तथा शक्तिब्रह्म का धारक है। इनका भी वाहन मूषक है।
विकट
विकटो नाम विख्यातः कामासुरविदाहकः ।मयूरवाहनश्चायं सौरब्रह्मधरः स्मृतः ।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ विकट ’ नामक प्रसिद्ध अवतार कामासुर का संहारक है। वह मयूर वाहन एवं सौरब्रह्म का धारक माना गया है।
विघ्नराज
विघ्नराजावतारश्च शेषवाहन उच्यते ।ममतासुर हन्ता स विष्णुब्रह्मेति वाचकः ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ विघ्नराज ’ नामक अवतार विष्णु ब्रह्म का वाचक है। वह शेषवाहन पर चलने वाला तथा ममतासुर का संहारक है।
धूम्रवर्ण
धूम्रवर्णावतारश्चभिमानासुरनाशकः ।आखुवाहन एवासौ शिवात्मा तु स उच्यते ।।
भगवान् श्रीगणेश का ‘ धूम्रवर्ण ’ नामक अवतार अभिमानासुर का नाश करने वाला है, वह शिवब्रह्म-स्वरुप है। उसे भी मूषक वाहन कहा गया है।
कुछ लोग अपनी राशि के अनुसार भी मंत्र का जाप करते हैं. राशि के अनुसार मंत्र जाप यदि आप करना चाह्ते हैं तो मंत्र इस प्रकार हैं :
मेष : ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:
वृषभ : ॐ गौपालायै उत्तर ध्वजाय नम:
मिथुन : ॐ क्लीं कृष्णायै नम:
कर्क : ॐ हिरण्यगर्भायै अव्यक्त रूपिणे नम:
सिंह : ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम:
कन्या : ॐ नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:
तुला : ॐ तत्व निरंजनाय तारक रामायै नम:
वृश्चिक : ॐ नारायणाय सुरसिंहायै नम:
धनु : ॐ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊर्ध्वषंतायै नम:
मकर : ॐ श्रीं वत्सलायै नम:
कुंभ : श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम:
मीन : ॐ क्लीं उद्धृताय उद्धारिणे नम:
॥Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557
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