श्रावण मास में आशुतोष भगवान् शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिये और व्रत रखना चाहिये। सोमवार भगवान् शंकर का प्रिय दिन है, अत: सोमवार को शिवाराधन करना चाहिये। श्रावण मास में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व है। अत: प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार तथा प्रदोष को शिवपूजा या पार्थिव शिवपूजा अवश्य करनी चाहिये।
सोमवार (Shravan Somvar) के व्रत के दिन प्रातः काल ही स्नान ध्यान के उपरांत मंदिर देवालय या घर पर श्री गणेश जी की पूजा के साथ शिव-पार्वती और नंदी की पूजा की जाती है। इस दिन प्रसाद के रूप में जल , दूध , दही , शहद , घी , चीनी , जनेऊ , चंदन , रोली , बेल पत्र , भांग , धतूरा , धूप , दीप और दक्षिणा के साथ ही नंदी के लिए चारा या आटे की पिन्नी बनाकर भगवान पशुपतिनाथ का पूजन किया जाता है। रात्रिकाल में घी और कपूर सहित गुगल, धूप की आरती करके शिव महिमा का गुणगान किया जाता है। लगभग श्रावण मास के सभी सोमवारों को यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस मासमें लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ कराने का भी विधान है।
इस मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामूठ च़ढ़ाई जाती है। वह क्रमशः इस प्रकार है :
1 प्रथम सोमवार को- कच्चे चावल एक मुट्ठी,
2 दूसरे सोमवार को- सफेद तिल्ली एक मुट्ठी,
3 तीसरे सोमवार को- ख़ड़े मूँग एक मुट्ठी,
4 चौथे सोमवार को- जौ एक मुट्ठी और यदि
5 पाँचवाँ सोमवार आए तो एक मुट्ठी सत्तू च़ढ़ाया जाता है।
शिव की पूजा में बिल्वपत्र अधिक महत्व रखता है। शिव द्वारा विषपान करने के कारण शिव के मस्तक पर जल की धारा से जलाभिषेक शिव भक्तों द्वारा किया जाता है। शिव भोलेनाथ ने गंगा को शिरोधार्य किया है।
अगर आप उपरोक्त विधि का पालन करने में असमर्थ हैं तो शिवलिंग उअर जल अर्पण कर एक सवच, कोमल अखंडित बिल्वपत्र को भगवन भोले नाथ पर अर्पण कर श्रधा के साथ बिल्वाष्टक या यह लघु मन्त्र जाप करें
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
बिल्वाष्टकम ,,,यह स्तोत्र भगवन शिव को अति प्रिये हे क्योंकि बिल्वपत्र भगवन शिव की पूजा के लिए सर्वॊच
है। प्रतिदिन भगवन शिव के लिंग स्वरुप पर बिल्वपत्र अर्पण करने और बिल्वाष्टक का पाठ करने से समस्त जन्मों के पापों का नाश होता है।
बिल्वाष्टकम
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्त्रि जन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्सो मयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्बि ल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्प्र यागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम्
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥
!!!! Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557 !!!इति श्री बिल्वाष्टकम संपूर्णम्