तुलसी जयंती । श्रावण मास की अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है। ।https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5
इस वर्ष यह तिथि । गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 पुस्तकों की रचना की है, लेकिन सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित रामचरितमानस को मिली। दरअसल, इस महान ग्रंथ की रचना तुलसी ने अवधीभाषा में की है और यह भाषा उत्तर भारत के जन-साधारण की भाषा है। इसीलिए तुलसीदास को जन-जन का कवि माना जाता है।
तुलसीदास रामभक्त कहलाते हैं। वे राम की मर्यादा, वीरता और सामान्यजनके प्रति उनके प्रेम से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने वाल्मीकि रामायण का अध्ययन किया, तो पाया कि यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है, जो आमजनकी भाषा नहीं है। सच तो यह है कि भगवान राम द्वारा साधारण मानव के रूप में किए गए सद्कर्मोकी कथा को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए ही तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। हिंदी भाषा के विकास में इस ग्रंथ का योगदान अतुलनीय है।
ऐसा माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संभवत:सम्वत् 1532में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास रोये नहीं थे और उनके मुख में पूरे बत्तीस दांत थे। लोगों का मानना है कि तुलसीदास संपूर्ण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के अवतार थे। उनके बचपन का नाम रामबोलाथा। ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास को अपनी सुंदर पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार तुलसीदास ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया था। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा- जितना प्रेम मेरे इस हाड-मांस के बने शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए।
अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?
तुलसीदास जयंती के अवसर पर देशभर में रामचरितमानस के पाठ का आयोजन होता है। श्रद्धालु राम-सीता और हनुमान के मंदिर जाते हैं तथा तुलसीदास को स्मरण करते हैं।
!!! Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557 !
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तुलसीदास रामभक्त कहलाते हैं। वे राम की मर्यादा, वीरता और सामान्यजनके प्रति उनके प्रेम से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने वाल्मीकि रामायण का अध्ययन किया, तो पाया कि यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है, जो आमजनकी भाषा नहीं है। सच तो यह है कि भगवान राम द्वारा साधारण मानव के रूप में किए गए सद्कर्मोकी कथा को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए ही तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। हिंदी भाषा के विकास में इस ग्रंथ का योगदान अतुलनीय है।
ऐसा माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संभवत:सम्वत् 1532में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास रोये नहीं थे और उनके मुख में पूरे बत्तीस दांत थे। लोगों का मानना है कि तुलसीदास संपूर्ण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के अवतार थे। उनके बचपन का नाम रामबोलाथा। ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास को अपनी सुंदर पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार तुलसीदास ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया था। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा- जितना प्रेम मेरे इस हाड-मांस के बने शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए।
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तुलसीदास जयंती के अवसर पर देशभर में रामचरितमानस के पाठ का आयोजन होता है। श्रद्धालु राम-सीता और हनुमान के मंदिर जाते हैं तथा तुलसीदास को स्मरण करते हैं।
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