मेरे श्रीनाथ जी प्यारे, दृगन से होजु मत नयारे
दया कर दरस मोहे दीजे, कृपा कर आपनो कीजे
गले जामा दमामी का, कमर पटका बदामी का
सुरंगी पाग सिर सोहै, लसत बनमाल मन मोहे
लगी कोई कान में दूती, तजी मोहे सहज में सूती
मेरा दिल लै गया अली, लगी तन में जो बेहाली
न भूलो देख तन गोरा, जगत में जीवणा थोड़ा
कठिन है मोह की ज्वाला, बहा जाता है संसारा
सदा बृजधीशजी गाओ, छवि पर वारने जावो ।।
मेरे श्री नाथजी