शिव शंकर के 19 अवतार
1, वीरभद्र अवतार
भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष के यज्ञ में माता सती ने अपना शरीर त्याग दिया था. जब भगवान शिव को यह पता चला, तो गुस्से में उन्होंने अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे क्रोधपूर्वक पर्वत के ऊपर पटक दिया उस जटा के भाग से भंयकर वीरभद्र प्रकट हुआ शिव के इस अवतार ने दक्ष का सिर काटकर उसे मृत्युदंड दिया था
2, पिप्पलाद अवतार
भगवान शिव के इस अवतार का बड़ा महत्व है शनि पीड़ा का समाधान पिप्पलाद की कृपा से ही संभव हो सकता है
3,नंदी अवतार
भगवान शंकर का नंदीश्वर अवतार सभी जीवों से प्रेम का संदेश देता है. नंदी (बैल) कर्म का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कर्म ही जीवन का मूल मंत्र है
4,भैरव अवतार
शिव महापुराण में भैरव को परमात्मा शंकर का पूर्ण रूप बताया गया है
5,अश्वत्थामा
महाभारत के अनुसार पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के अंशावतार थे. ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा अमर हैं और वह आज भी धरती पर रहते हैं
6,शरभावतार
शरभावतार भगवान शंकर का छटा अवतार है. शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग (हिरण) तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था) का था
7,गृहपति अवतार
भगवान शंकर का सातवां अवतार है गृहपति. विश्वानर नाम के मुनि तथा उनकी पत्नी शुचिष्मती की इच्छा थी कि उन्हें शिव के समान पुत्र प्राप्ति हो. मुनि विश्वनार ने काशी में भगवान शिव के वीरेश लिंग की आराधना की और घोर तप किया. उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने शुचिष्मति के गर्भ से पुत्ररूप में प्रकट हुए
8,ऋषि दुर्वासा
भगवान शंकर के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है. धर्म ग्रंथों के अनुसार सती अनुसूइया के पति महर्षि अत्रि ने ब्रह्मा के कहने पर पत्नी सहित ऋक्षकुल पर्वत पर पुत्रकामना से घोर तप किया. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी के अंश से चंद्रमा, विष्णु के अंश से श्रेष्ठ संन्यास पद्धति को प्रचलित करने वाले दत्तात्रेय और रुद्र के अंश से मुनिवर दुर्वासा ने जन्म लिया
9,हनुमान जी
भगवान शिव का हनुमान अवतार सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है.
10,वृषभ अवतार
इस अवतार में भगवान शंकर ने विष्णु पुत्रों का संहार किया था
11,यतिनाथ अवतार
भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार लेकर अतिथि के महत्व को बताया था
12,कृष्णदर्शन अवतार
भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है
13,अवधूत अवतार
भगवान शंकर ने अवधूत अवतार लेकर इंद्र के अंहकार को चूर किया था
14,भिक्षुवर्य अवतार
भगवान शंकर देवों के देव हैं. संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक भी हैं. भगवान शंकर काभिक्षुवर्य अवतार यही संदेश देता है
15,सुरेश्वर अवतार
इस अवतार में भगवान शंकर ने एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया
16,किरात अवतार
इस अवतार में भगवान शंकर ने पाण्डुपुत्र अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी
17,सुनटनर्तक अवतार
पार्वती के पिता हिमाचल से उनकी पुत्री का हाथ मागंने के लिए शिवजी ने सुनटनर्तक वेष धारण किया था. हाथ में डमरू लेकर शिवजी नट के रूप में हिमाचल के घर पहुंचे और नृत्य करने लगे. नटराज शिवजी ने इतना सुंदर और मनोहर नृत्य किया कि सभी प्रसन्न हो गए. जब हिमाचल ने नटराज को भिक्षा मांगने को कहा तो नटराज शिव ने भिक्षा में पार्वती को मांग लिया था
18,ब्रह्मचारी अवतार
दक्ष के यज्ञ में प्राण त्यागने के बाद जब सती ने हिमालय के घर जन्म लिया तो शिवजी को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया. पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे थे
19,यक्ष अवतार
यक्ष अवतार शिवजी ने देवताओं के गलत और झूठे अहंकार को दूर करने के लिए धारण किया था
Gyanchand Bundiwal.
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