ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। धार्मिक दृष्टिकोण से पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-धर्म करने का विधान है। इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माना गया है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही इस दिन दान करने से पितरों का भी भला होता है और उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस दिन ख़ास तौर पर महिलाओं को व्रत करने की सलाह दी जाती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व और पूजा विधि तथा उपाय
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण होता है, जिन युवक और युवतियों का विवाह होते होते रुक जाता है या फिर उसमें किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही होती है। ऐसे लोग यदि आज के दिन श्वेत वस्त्र धारण करके शिवाभिषेक करें और भगवान शिव की पूजा करें तो उनके विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कोई भी कुछ खास उपाय करके इस शुभ तिथि से शुभ लाभ उठा सकता है, आइये जानें ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय
इस विशेष दिन पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग माँ लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए यदि कोई व्यक्ति एक लोटे में पानी भर कर उसमें कच्चा दूध और बताशा डालकर पीपल के पेड़ को अर्पित करता है तो इससे उस व्यक्ति को रुका हुआ धन प्राप्त होगा और उसे बिज़नेस में भी लाभ मिलेगा।
इस दिन दंपत्ति को चंद्र देव को दूध से अर्ध्य देना चाहिए। इससे उनके जीवन में आ रही हर छोटी-बड़ी समस्या दूर हो जाती है। यह काम पति या पत्नी किसी के भी द्वारा किया जा सकता है।
आज की रात यदि कोई किसी कुएं में एक चम्मच से दूध डालता है तो उसका भाग्य चमक जाता है। साथ ही यदि उसे किसी भी जरूरी कार्य में कोई बाधा आ रही होती है तो वो भी तुरंत दूर हो जाती है।
यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में कोई ग्रह दोष है तो उसे दूर करने के लिए आज, पीपल और नीम की त्रिवेणी के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक का पाठ करना सबसे बेहतर होगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की तस्वीर पर 11 कौड़ियां चढ़ा कर उस पर हल्दी से तिलक लगाना चाहिए। इसके पश्चात अगली सुबह इन्हें किसी लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आमतौर पर इस दिन से श्रद्धालु गंगा जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिये निकलते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह हिन्दू वर्ष का तीसरा महीना होता है। इस समय में धरती पर प्रचंड गर्मी रहती है और कई नदी व तालाब सूख जाते हैं या उनका जल स्तर कम हो जाता है। इसलिए इस महीने में जल का महत्व अन्य महीनों की तुलना में बढ़ जाता है। ज्येष्ठ माह में आने वाले कुछ पर्व जैसे- गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी के माध्यम से हमें ऋषि-मुनियों ने संदेश दिया है कि जल के महत्व को पहचानें और इसका सदुपयोग करें.
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