प्रात चर लाभ अमृत सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक 1 सितंबर 2020
भद्र आरम्भ सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 09:38 बजे
भद्र अंत सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 22 :12 रात बजे
मुहूर्त शुभ - दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 05 बजकर 07 मिनट तक 1 सितंबर 2020
सायं मुहूर्त(लाभ 8 बजकर 07 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक 1 सितंबर 2020
रात्रि मुहूर्त शुभ अमृत चर रात 10 बजकर 56 मिनट से सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक 2 सितंबर 2020
चतुर्दशी तिथि आरंभ सुबह 08 बजकर 48 मिनट से 31 अगस्त 2020
चतुर्दशी तिथि समाप्त सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक 1 सितंबर 2020
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना को जितना महत्व दिया जाता है उतना ही महत्व भगवा्न गणेश के विसर्जन को दिया जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश को भक्त अपने घर पांच, सात या दस दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी पूरी विधिवत आराधना करते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि को कर दिया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह इसी तरह अगले साल भी आएं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की स्थापना करके उनका विधिवत पूजन करके विसर्जन करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
गणेश विसर्जन पूजा विधि
भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। विसर्जन से पहले उनका तिलक करके किया जाता है।
उसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल,मोदक लड्डू आदि चढ़ाए जाते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।
भगवान गणेश को पूजा में जो भी सामग्री चढ़ाई जाती है। उसे एक पोटली में बांध लिया जाता है।
इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है और उसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
गणेश विसर्जन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जिसे भगवान श्री गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोली तो उन्होंने पाया की गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया है। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था।इसी वजह से गणेश जी को चतुदर्शी के दिन शीतल जल में प्रवाह किया जाता है।
इसी कथा अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक न बढ़े। इसके लिए वेद व्यास जी ने सुगंधित मिट्टी से गणेश जी का लेप भी किया था। जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया था। जिसके बाद मिट्टी भी झड़ने लगी थी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया गया था। उस समय वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान श्री गणेश को स्थापित और विसर्जन भी किया जाता है। इन 10 दिनों में गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया जाता है।
इसीलिए गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को घर लाकर उनकी स्थापना की जाती है और पूरे विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में भगवान गणेश के कान में सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं बोलते हैं। जिसे सुनकर भगवान गणेश का तापमान बढ़ जाता है। उसी तापमान को कम करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है। इसके साथ एक मान्यता यह भी है कि ईश्वर को कोई भी बांधकर नहीं रख सकता।
भगवान गणेश को गणेश चतुर्थी पर घर लाकर एक ओर उन्हें भूलोक ले तो आते हैं। लेकिन उनका सही मायने में स्थान स्वर्गलोक ही है। इसी कारण से कहा जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जित करके उन्हें स्वर्ग लोक भेज दिया जाता है। जिससे वह सभी देवी देवताओं को यह बता सकें कि भूलोक का क्या हाल है। उनके भक्तों की मनोकामनाएं वह पूरी कर सकें।
ॐ गणाधिपतयै नम:ॐ उमापुत्राय नम:ॐ विघ्ननाशनाय नम:ॐ विनायकाय नम:ॐ ईशपुत्राय नम:
ॐ सर्वसिद्धप्रदाय नम:ॐ एकदन्ताय नम:ॐ इभवक्त्राय नम:ॐ मूषकवाहनाय नम:ॐ कुमारगुरवे नम:
श्री गणेश विसर्जन मंत्र
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
श्री गणेश विसर्जन मंत्र
ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर |
यत्र ब्रम्हादयो देवा: तत्र गच्छ हुताशन ||
भद्र आरम्भ
सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 09:38 ए एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 10:12 पी एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 5, 2020, शनिवार को 03:29 ए एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 5 2020 शनिवार को 04:38 पी एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 9 2020 बुधवार को 12:02 ए एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 9 2020 बुधवार को 01:07 पी एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 12 2020 शनिवार को 04:23 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 13 2020 रविवार को 04:13 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 15 2020 मंगलवार को 11:00 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 16 2020 बुधवार को 09:31 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 20 2020 रविवार को 03:59 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 21 2020 सोमवार को 02:26 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 23 2020 बुधवार को 07:56 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 24 2020 बृहस्पतिवार को 07:24 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 27 2020 रविवार को 07:19 ए एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 27 2020 रविवार को 07:46 पी एम बजे
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भद्र अंत सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 22 :12 रात बजे
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रात्रि मुहूर्त शुभ अमृत चर रात 10 बजकर 56 मिनट से सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक 2 सितंबर 2020
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चतुर्दशी तिथि समाप्त सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक 1 सितंबर 2020
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना को जितना महत्व दिया जाता है उतना ही महत्व भगवा्न गणेश के विसर्जन को दिया जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश को भक्त अपने घर पांच, सात या दस दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी पूरी विधिवत आराधना करते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि को कर दिया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वह इसी तरह अगले साल भी आएं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की स्थापना करके उनका विधिवत पूजन करके विसर्जन करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
गणेश विसर्जन पूजा विधि
भगवान गणेश का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। विसर्जन से पहले उनका तिलक करके किया जाता है।
उसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल,मोदक लड्डू आदि चढ़ाए जाते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।
भगवान गणेश को पूजा में जो भी सामग्री चढ़ाई जाती है। उसे एक पोटली में बांध लिया जाता है।
इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है और उसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
गणेश विसर्जन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जिसे भगवान श्री गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोली तो उन्होंने पाया की गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया है। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था।इसी वजह से गणेश जी को चतुदर्शी के दिन शीतल जल में प्रवाह किया जाता है।
इसी कथा अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक न बढ़े। इसके लिए वेद व्यास जी ने सुगंधित मिट्टी से गणेश जी का लेप भी किया था। जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया था। जिसके बाद मिट्टी भी झड़ने लगी थी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया गया था। उस समय वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान श्री गणेश को स्थापित और विसर्जन भी किया जाता है। इन 10 दिनों में गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया जाता है।
इसीलिए गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को घर लाकर उनकी स्थापना की जाती है और पूरे विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में भगवान गणेश के कान में सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं बोलते हैं। जिसे सुनकर भगवान गणेश का तापमान बढ़ जाता है। उसी तापमान को कम करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है। इसके साथ एक मान्यता यह भी है कि ईश्वर को कोई भी बांधकर नहीं रख सकता।
भगवान गणेश को गणेश चतुर्थी पर घर लाकर एक ओर उन्हें भूलोक ले तो आते हैं। लेकिन उनका सही मायने में स्थान स्वर्गलोक ही है। इसी कारण से कहा जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जित करके उन्हें स्वर्ग लोक भेज दिया जाता है। जिससे वह सभी देवी देवताओं को यह बता सकें कि भूलोक का क्या हाल है। उनके भक्तों की मनोकामनाएं वह पूरी कर सकें।
ॐ गणाधिपतयै नम:ॐ उमापुत्राय नम:ॐ विघ्ननाशनाय नम:ॐ विनायकाय नम:ॐ ईशपुत्राय नम:
ॐ सर्वसिद्धप्रदाय नम:ॐ एकदन्ताय नम:ॐ इभवक्त्राय नम:ॐ मूषकवाहनाय नम:ॐ कुमारगुरवे नम:
श्री गणेश विसर्जन मंत्र
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
श्री गणेश विसर्जन मंत्र
ॐ गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर |
यत्र ब्रम्हादयो देवा: तत्र गच्छ हुताशन ||
भद्र आरम्भ
सितम्बर 1 2020 मंगलवार को 09:38 ए एम बजे
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सितम्बर 16 2020 बुधवार को 09:31 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 20 2020 रविवार को 03:59 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 21 2020 सोमवार को 02:26 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 23 2020 बुधवार को 07:56 पी एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 24 2020 बृहस्पतिवार को 07:24 ए एम बजे
भद्र आरम्भ
सितम्बर 27 2020 रविवार को 07:19 ए एम बजे
भद्र अंत
सितम्बर 27 2020 रविवार को 07:46 पी एम बजे
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