Sunday 10 August 2014

नारियल पूर्णिमा

नारियल पूर्णिमा,,,श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधनके दिन ही मनाया
जानेवाला श्रावणमासका महत्त्वपूर्ण त्यौहार है... नारियल पूर्णिमा....
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्र्षाका परिमाण घटता है । आंधी अथवा तूफानके कारण उफननेवाला समुद्र भी इस कालमें शांत होता है । इसलिए इस दिन समुद्रतट पर जाकर समुद्रकी अर्थात वरुणदेवताकी पूजा की जाती है । वरुण देवता जलपर नियंत्रण रखनेवाले देवता हैं । पूजाके कारण वरुणदेवता प्रसन्न होते हैं, इस कारण समुद्री संकटोंका सामना नहीं करना पडता । यह त्यौहार संपूर्ण भारतखंडके समुद्री तटोंपर बडी धूमधामसे मनाया जाता है ।इस दिन समुद्रको अर्पण किए जानेवाले नारियल सजाकर जुलूसके साथ समुद्रतट पर ले जाते हैं । वहां पहुंचनेपर समुद्रकी पूजा करते हैं, तथा श्रद्धाभावसहित उस नारियलको अर्पण करते हैं समुद्रदेवताका भावपूर्ण वंदन करनेसे व्यक्तिमें भावके वलय जागृत होते हैं ।
नारियलका पूजन करनेसे उसमें परमेश्वरीय तत्त्वके वलय कार्यरत होते हैं ।
नारियलमें चैतन्यके वलय कार्यरत होते हैं ।
. समुद्रदेवताको शरणागत भावसे नारियल अर्पण करनेसे समुद्रकी ओर चैतन्यके प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं ।
समुद्रदेवताका भावपूर्ण पूजन करनेसे परमेश्वरीय तत्त्वके प्रवाह समुद्रकी ओर आकृष्ट होते हैं ।
. अप्रकट रूपमें विद्यमान परमेश्वरीय तत्त्व वलयके रूपमें प्रकट होकर कार्यरत होते हैं ।
वरुणदेवताके तत्त्व वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
निर्गुण तत्त्व समुद्रमें अधिक मात्रामें वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय आकृष्ट होते हैं एवं समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय जागृत होते हैं । इन वलयोंसे व्यक्ति की ओर आनन्द, चैतन्य एवं शक्ति के प्रवाह प्रक्षेपित होनेसे व्यक्तिमें आनन्द , चैतन्य तथा शक्तिके वलय जागृत होते हैं ।
 ॥Astrologer Gyanchand Bundiwal। nagpur M. 0 8275555557

Photo: नारियल पूर्णिमा,,,श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधनके दिन ही मनाया
जानेवाला श्रावणमासका महत्त्वपूर्ण त्यौहार है... नारियल पूर्णिमा....
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्र्षाका परिमाण घटता है । आंधी अथवा तूफानके कारण उफननेवाला समुद्र भी इस कालमें शांत होता है । इसलिए इस दिन समुद्रतट पर जाकर समुद्रकी अर्थात वरुणदेवताकी पूजा की जाती है । वरुण देवता जलपर नियंत्रण रखनेवाले देवता हैं । पूजाके कारण वरुणदेवता प्रसन्न होते हैं, इस कारण समुद्री संकटोंका सामना नहीं करना पडता । यह त्यौहार संपूर्ण भारतखंडके समुद्री तटोंपर बडी धूमधामसे मनाया जाता है ।इस दिन समुद्रको अर्पण किए जानेवाले नारियल सजाकर जुलूसके साथ समुद्रतट पर ले जाते हैं । वहां पहुंचनेपर समुद्रकी पूजा करते हैं, तथा श्रद्धाभावसहित उस नारियलको अर्पण करते हैं समुद्रदेवताका भावपूर्ण वंदन करनेसे व्यक्तिमें भावके वलय जागृत होते हैं ।
नारियलका पूजन करनेसे उसमें परमेश्वरीय तत्त्वके वलय कार्यरत होते हैं ।
नारियलमें चैतन्यके वलय कार्यरत होते हैं ।
. समुद्रदेवताको शरणागत भावसे नारियल अर्पण करनेसे समुद्रकी ओर चैतन्यके प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं ।
समुद्रदेवताका भावपूर्ण पूजन करनेसे परमेश्वरीय तत्त्वके प्रवाह समुद्रकी ओर आकृष्ट होते हैं ।
. अप्रकट रूपमें विद्यमान परमेश्वरीय तत्त्व वलयके रूपमें प्रकट होकर कार्यरत होते हैं ।
वरुणदेवताके तत्त्व वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
निर्गुण तत्त्व समुद्रमें अधिक मात्रामें वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय आकृष्ट होते हैं एवं समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय जागृत होते हैं । इन वलयोंसे व्यक्ति की ओर आनन्द, चैतन्य एवं शक्ति के प्रवाह प्रक्षेपित होनेसे व्यक्तिमें आनन्द , चैतन्य तथा शक्तिके वलय जागृत होते हैं ।

Latest Blog

शीतला माता की पूजा और कहानी

 शीतला माता की पूजा और कहानी   होली के बाद शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है  इस दिन माता श...