नारियल पूर्णिमा,,,श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधनके दिन ही मनाया
जानेवाला श्रावणमासका महत्त्वपूर्ण त्यौहार है... नारियल पूर्णिमा....
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्र्षाका परिमाण घटता है । आंधी अथवा तूफानके कारण उफननेवाला समुद्र भी इस कालमें शांत होता है । इसलिए इस दिन समुद्रतट पर जाकर समुद्रकी अर्थात वरुणदेवताकी पूजा की जाती है । वरुण देवता जलपर नियंत्रण रखनेवाले देवता हैं । पूजाके कारण वरुणदेवता प्रसन्न होते हैं, इस कारण समुद्री संकटोंका सामना नहीं करना पडता । यह त्यौहार संपूर्ण भारतखंडके समुद्री तटोंपर बडी धूमधामसे मनाया जाता है ।इस दिन समुद्रको अर्पण किए जानेवाले नारियल सजाकर जुलूसके साथ समुद्रतट पर ले जाते हैं । वहां पहुंचनेपर समुद्रकी पूजा करते हैं, तथा श्रद्धाभावसहित उस नारियलको अर्पण करते हैं समुद्रदेवताका भावपूर्ण वंदन करनेसे व्यक्तिमें भावके वलय जागृत होते हैं ।
नारियलका पूजन करनेसे उसमें परमेश्वरीय तत्त्वके वलय कार्यरत होते हैं ।
नारियलमें चैतन्यके वलय कार्यरत होते हैं ।
. समुद्रदेवताको शरणागत भावसे नारियल अर्पण करनेसे समुद्रकी ओर चैतन्यके प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं ।
समुद्रदेवताका भावपूर्ण पूजन करनेसे परमेश्वरीय तत्त्वके प्रवाह समुद्रकी ओर आकृष्ट होते हैं ।
. अप्रकट रूपमें विद्यमान परमेश्वरीय तत्त्व वलयके रूपमें प्रकट होकर कार्यरत होते हैं ।
वरुणदेवताके तत्त्व वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
निर्गुण तत्त्व समुद्रमें अधिक मात्रामें वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय आकृष्ट होते हैं एवं समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय जागृत होते हैं । इन वलयोंसे व्यक्ति की ओर आनन्द, चैतन्य एवं शक्ति के प्रवाह प्रक्षेपित होनेसे व्यक्तिमें आनन्द , चैतन्य तथा शक्तिके वलय जागृत होते हैं । ॥Astrologer Gyanchand Bundiwal। nagpur M. 0 8275555557
जानेवाला श्रावणमासका महत्त्वपूर्ण त्यौहार है... नारियल पूर्णिमा....
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्र्षाका परिमाण घटता है । आंधी अथवा तूफानके कारण उफननेवाला समुद्र भी इस कालमें शांत होता है । इसलिए इस दिन समुद्रतट पर जाकर समुद्रकी अर्थात वरुणदेवताकी पूजा की जाती है । वरुण देवता जलपर नियंत्रण रखनेवाले देवता हैं । पूजाके कारण वरुणदेवता प्रसन्न होते हैं, इस कारण समुद्री संकटोंका सामना नहीं करना पडता । यह त्यौहार संपूर्ण भारतखंडके समुद्री तटोंपर बडी धूमधामसे मनाया जाता है ।इस दिन समुद्रको अर्पण किए जानेवाले नारियल सजाकर जुलूसके साथ समुद्रतट पर ले जाते हैं । वहां पहुंचनेपर समुद्रकी पूजा करते हैं, तथा श्रद्धाभावसहित उस नारियलको अर्पण करते हैं समुद्रदेवताका भावपूर्ण वंदन करनेसे व्यक्तिमें भावके वलय जागृत होते हैं ।
नारियलका पूजन करनेसे उसमें परमेश्वरीय तत्त्वके वलय कार्यरत होते हैं ।
नारियलमें चैतन्यके वलय कार्यरत होते हैं ।
. समुद्रदेवताको शरणागत भावसे नारियल अर्पण करनेसे समुद्रकी ओर चैतन्यके प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं ।
समुद्रदेवताका भावपूर्ण पूजन करनेसे परमेश्वरीय तत्त्वके प्रवाह समुद्रकी ओर आकृष्ट होते हैं ।
. अप्रकट रूपमें विद्यमान परमेश्वरीय तत्त्व वलयके रूपमें प्रकट होकर कार्यरत होते हैं ।
वरुणदेवताके तत्त्व वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
निर्गुण तत्त्व समुद्रमें अधिक मात्रामें वलयके रूपमें कार्यरत होते हैं ।
समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय आकृष्ट होते हैं एवं समुद्रमें आनंद, चैतन्य एवं शक्ति के वलय जागृत होते हैं । इन वलयोंसे व्यक्ति की ओर आनन्द, चैतन्य एवं शक्ति के प्रवाह प्रक्षेपित होनेसे व्यक्तिमें आनन्द , चैतन्य तथा शक्तिके वलय जागृत होते हैं । ॥Astrologer Gyanchand Bundiwal। nagpur M. 0 8275555557