शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा अर्थात कोजागरी व्रत आश्विन शुक्ल मध्य रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा में किया जाता है। इस दिन खीर बनाकर रात्रि काल में चन्द्र देव के सामने चांदनी में व मां लक्ष्मी को अर्पितकर अगले दिन प्रात: काल में ब्रह्मण को प्रसाद वितरण व फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करने का विधि-विधान है। इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इससे अवश्य ही लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।इस प्रकार यह शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं मां लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं।
‘ॐ इन्द्राय नमः’,‘ॐ कुबेराय नमः
’ॐ धनदाय नमस्तुभ्यं, निधि-पद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्-प्रसादान्ने, धन-धान्यादि-सम्पदः।।
शरद पूर्णिमा अर्थात कोजागरी व्रत आश्विन शुक्ल मध्य रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा में किया जाता है। इस दिन खीर बनाकर रात्रि काल में चन्द्र देव के सामने चांदनी में व मां लक्ष्मी को अर्पितकर अगले दिन प्रात: काल में ब्रह्मण को प्रसाद वितरण व फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करने का विधि-विधान है। इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इससे अवश्य ही लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।इस प्रकार यह शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं मां लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं।
‘ॐ इन्द्राय नमः’,‘ॐ कुबेराय नमः
’ॐ धनदाय नमस्तुभ्यं, निधि-पद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्-प्रसादान्ने, धन-धान्यादि-सम्पदः।।