श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् ॥ श्री सिद्धिविनायक नमो नमः , जयोऽस्तु ते गणपते देहि मे विपुलां मतिम् । स्तवनम् ते सदा कर्तुं स्फूर्ति यच्छममानिशम् ॥ १॥ प्रभुं मंगलमूर्तिं त्वां चन्द्रेन्द्रावपि ध्यायतः । यजतस्त्वां विष्णुशिवौ ध्यायतश्चाव्ययं सदा ॥ २॥ विनायकं च प्राहुस्त्वां गजास्यं शुभदायकम् । त्वन्नाम्ना विलयं यान्ति दोषाः कलिमलान्तक ॥ ३॥ त्वत्पदाब्जाङ्कितश्चाहं नमामि चरणौ तव । देवेशस्त्वं चैकदन्तो मद्विज्ञप्तिं शृणु प्रभो ॥ ४॥ कुरु त्वं मयि वात्सल्यं रक्ष मां सकलानिव । विघ्नेभ्यो रक्ष मां नित्यं कुरु मे चाखिलाः क्रियाः ॥ ५॥ गौरिसुतस्त्वं गणेशः शॄणु विज्ञापनं मम । त्वत्पादयोरनन्यार्थी याचे सर्वार्थ रक्षणम् ॥ ६॥ त्वमेव माता च पिता देवस्त्वं च ममाव्ययः । अनाथनाथस्त्वं देहि विभो मे वांछितं फलम् ॥ ७॥ लम्बोदरस्वम् गजास्यो विभुः सिद्धिविनायकः । हेरम्बः शिवपुत्रस्त्वं विघ्नेशोऽनाथबांधवः ॥ ८॥ नागाननो भक्तपालो वरदस्त्वं दयां कुरु । सिन्दूरवर्णः परशुहस्तस्त्वं विघ्ननाशकः ॥ ९॥ विश्वास्यं मङ्गलाधीशं विघ्नेशं परशूधरम् । दुरितारिं दीनबन्धूं सर्वेशं त्वां जना जगुः ॥ १०॥ नमामि विघ्नहर्तारं वन्दे श्रीप्रमथाधिपम् । नमामि एकदन्तं च दीनबन्धू नमाम्यहम् ॥ ११॥ नमनं शम्भुतनयं नमनं करुणालयम् । नमस्तेऽस्तु गणेशाय स्वामिने च नमोऽस्तु ते ॥ १२॥ नमोऽस्तु देवराजाय वन्दे गौरीसुतं पुनः । नमामि चरणौ भक्त्या भालचन्द्रगणेशयोः ॥ १३॥ नैवास्त्याशा च मच्चित्ते त्वद्भक्तेस्तवनस्यच । भवेत्येव तु मच्चित्ते ह्याशा च तव दर्शने ॥ १४॥ अज्ञानश्चैव मूढोऽहं ध्यायामि चरणौ तव । दर्शनं देहि मे शीघ्रं जगदीश कृपां कुरु ॥ १५॥ बालकश्चाहमल्पज्ञः सर्वेषामसि चेश्वरः । पालकः सर्वभक्तानां भवसि त्वं गजानन ॥ १६॥ दरिद्रोऽहं भाग्यहीनः मच्चित्तं तेऽस्तु पादयोः । शरण्यं मामनन्यं ते कृपालो देहि दर्शनम् ॥ १७॥ इदं गणपतेस्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः । गणेशकृपया ज्ञानसिध्धिं स लभते धनम् ॥ १८॥ पठेद्यः सिद्धिदं स्तोत्रं देवं सम्पूज्य भक्तिमान् । कदापि बाध्यते भूतप्रेतादीनां न पीडया ॥ १९॥ पठित्वा स्तौति यः स्तोत्रमिदं सिद्धिविनायकम् । षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति न भवेदनृतं वचः गणेशचरणौ नत्वा ब्रूते भक्तो दिवाकरः ॥ २०॥ इति श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् ।
हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं की और त्योहारों की जानकारी। भगवान के मंत्र स्तोत्र तथा सहस्त्र नामावली की जानकारी ।
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