Sunday, 13 August 2017

श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ

श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ:.....
1 कृष्ण* : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.।
2 गिरिधर*: गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
3 मुरलीधर*: मुरली को धारण करने वाले।
4 पीताम्बर धारी*: पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
5 मधुसूदन:* मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
*6 यशोदा या देवकी नंदन*: यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
7 गोपाल*: गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
8 गोविन्द*: गौओं का रक्षक।
9 आनंद कंद:* आनंद की राशि देंने वाला।
10 कुञ्ज बिहारी*: कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
11 चक्रधारी*: जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
12 श्याम*: सांवले रंग वाला।
13 माधव:* माया के पति।
14 मुरारी:* मुर नामक दैत्य के शत्रु।
15 असुरारी*: असुरों के शत्रु।
16 बनवारी*: वनो में विहार करने वाले।
17 मुकुंद*: जिन के पास निधियाँ है।
18 योगीश्वर*: योगियों के ईश्वर या मालिक।
19 गोपेश* :गोपियों के मालिक।
20 हरि*: दुःखों का हरण करने वाले।
21 मदन:* सूंदर।
22 मनोहर:* मन का हरण करने वाले।
23 मोहन*: सम्मोहित करने वाले।
24 जगदीश*: जगत के मालिक।
25 पालनहार*: सब का पालन पोषण करने वाले।
26 कंसारी*: कंस के शत्रु।
27 रुख्मीनि वलभ*: रुक्मणी के पति ।
28 केशव*: केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।
29 वासुदेव*:वसुदेव के पुत्र होने के कारन।
30 रणछोर*:युद्ध भूमि स भागने वाले।
31 गुड़ाकेश*: निद्रा को जितने वाले।
32 हृषिकेश*: इन्द्रियों को जितने वाले।
33 सारथी*: अर्जुन का रथ चलने के कारण।
34 हिरण्यगर्भा* : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35 पूर्ण परब्रह्म:* :देवताओ के भी मालिक।
36 देवेश*: देवों के भी ईश।
37 नाग नथिया*: कलियाँ नाग को मारने के कारण।
38 वृष्णिपति*: इस कुल में उतपन्न होने के कारण
39 यदुपति*:यादवों के मालिक।
40 यदुवंशी*: यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
41 द्वारकाधीश*:द्वारका नगरी के मालिक।
42 नागर*:सुंदर।
43 छलिया*: छल करने वाले।
44 मथुरा गोकुल वासी*: इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
45 रमण*: सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।
46 दामोदर*: पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी।
47 अघहारी*: पापों का हरण करने वाले।
48 सखा*: अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
49 रास रचिया*: रास रचाने के कारण।
50 अच्युत*: जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
51 नन्द लाला*: नन्द के पुत्र होने के कारण।
जय श्री कृष्णा ।।*   
https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5।,  ।॥Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557

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