जय
जिनेन्द्र का अर्थ है , 'जय ' यानी जयवंत रहो , जयवंत हो जाओ ऐसा भी होता
है ! जयवंत हो जाओ , विजयी बनो , जिनेन्द्र भगवन के सामान विजयी बनो ,
जीतने के लिए संसारी प्राणी के पास बहोत कुछ है ,जीतने के जो विषय है वो
अन्तरंग में है , विजय किसपर पाना , एक विकारी भाव और दूसरा विकार भाव उत्पन्न करनेवाले पर विजय पाना है !
जो संसारी प्राणी दुःख से पीड़ित है उसे जय जिनेन्द्र बोलते है , जिनेन्द्र भगवन ने अपने आत्मा के विकारी भावों को जीतकर संसारी वास्तु को जीत लिया है , वैसे ही दुखी व्यक्ति भी दुःख को जीतकर सुखी हो.....! जय जिनेन्द्र
जो संसारी प्राणी दुःख से पीड़ित है उसे जय जिनेन्द्र बोलते है , जिनेन्द्र भगवन ने अपने आत्मा के विकारी भावों को जीतकर संसारी वास्तु को जीत लिया है , वैसे ही दुखी व्यक्ति भी दुःख को जीतकर सुखी हो.....! जय जिनेन्द्र