Tuesday 15 July 2014

अंगारकी चतुर्थी ,,,मंगलवार

अंगारकी चतुर्थी  (मंगलवार) का व्रत विधिवत करने से सालभर की चतुर्थियों के व्रत का सम्पूर्ण पुण्य प्राप्त हो जाता है। गणेश पुराण में उल्लेख है की भूमिपुत्र मंगल के कठोर तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें इच्छित वरदान देकर मंगलवार की चतुर्थी को सर्व संकट नाशक होने की शक्ति प्रदान की। मंगल देव को तेजस्विता एवं रक्त वर्ण के कारण 'अंगारक' नाम प्राप्त है। इसी कारण यह चतुर्थी अंगारक चतुर्थी कहलाती है।
चतुर्थी के दिन एक समय रात्रि को चंद्र उदय होने के पश्च्यात चंद्र दर्शन करके भोजन करे तो अति उत्तम रहता हैं।
रात में चंद्रमा के उदय हो जाने पर चंद्रमा को देख कर गणपतिजी का ध्यान करते हुए निम्न श्लोक पढकर अघ्र्य दें-
गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धिप्रदायक।
संकष्ट हरमेदेव गृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥1॥
कृष्णपक्षेचतुथ्र्यातुसम्पूजितविधूदये।
क्षिप्रंप्रसीददेवेश गृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥2॥
पश्चात इस श्लोक से चतुर्थी तिथि की अधिष्ठात्री देवी को अघ्र्य प्रदान करें-
तिथीनामुत्तमेदेवि गणेशप्रियवल्लभे।
सर्वसंकटनाशायगृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥
जो व्यक्ति अंगारकी चतुर्थी का व्रत विधिवत करता है उसके कार्य में किसी प्रकार के बाधा-विघ्न नहीं आते एवं उसके घरे में गणेश जी के साथ मे रिद्धि-सिद्धि का वास होता हैं।
मंगलवार चतुर्थी- अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ...जप, ध्यान, तप बहुत ही फलदायी है...
बिना नमक का भोजन करें !
मंगल देव का मानसिक आह्वान करो !
चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें !
इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नाम से सुमिरन करे और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करे,शुभ संकल्प करे तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते है..
मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार है :-
1) ॐ मंगलाय नमः2) ॐ भूमि पुत्राय नमः3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः4) ॐ धन प्रदाय नमः5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः6) ॐ महा कायाय नमः7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः8) ॐ लोहिताय नमः9) ॐ लोहिताक्षाय नमः10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः11) ॐ धरात्मजाय नमः12) ॐ भुजाय नमः13) ॐ भौमाय नमः14) ॐ भुमिजाय नमः15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः16) ॐ अंगारकाय नमः17) ॐ यमाय नमः18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः20) ॐ वृष्टि हराते नमः21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः
ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करे ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-
भूमि पुत्रो महा तेजा
कुमारो रक्त वस्त्रका
ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम
ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे
हे भूमि पुत्र!..महा तेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ..
कितना भी कर्ज़दार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |
अगली मंगला चौथ
जुलाई (मंगलवार) अंगारकी चतुर्थी
09 दिसम्बर (मंगलवार) अंगारकी चतुर्थी

Photo: अंगारकी चतुर्थी 15 जुलाई (मंगलवार)  का व्रत विधिवत करने से सालभर की चतुर्थियों के व्रत का सम्पूर्ण पुण्य प्राप्त हो जाता है। गणेश पुराण में उल्लेख है की भूमिपुत्र मंगल के कठोर तप से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें इच्छित वरदान देकर मंगलवार की चतुर्थी को सर्व संकट नाशक होने की शक्ति प्रदान की। मंगल देव को तेजस्विता एवं रक्त वर्ण के कारण 'अंगारक' नाम प्राप्त है। इसी कारण यह चतुर्थी अंगारक चतुर्थी कहलाती है।
चतुर्थी के दिन एक समय रात्रि को चंद्र उदय होने के पश्च्यात चंद्र दर्शन करके भोजन करे तो अति उत्तम रहता हैं।
रात में चंद्रमा के उदय हो जाने पर चंद्रमा को देख कर गणपतिजी का ध्यान करते हुए निम्न श्लोक पढकर अघ्र्य दें-
गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धिप्रदायक।
संकष्ट हरमेदेव गृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥1॥
कृष्णपक्षेचतुथ्र्यातुसम्पूजितविधूदये।
क्षिप्रंप्रसीददेवेश गृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥2॥
पश्चात इस श्लोक से चतुर्थी तिथि की अधिष्ठात्री देवी को अघ्र्य प्रदान करें-
तिथीनामुत्तमेदेवि गणेशप्रियवल्लभे।
सर्वसंकटनाशायगृहाणाघ्र्यनमोऽस्तुते॥
जो व्यक्ति अंगारकी चतुर्थी का व्रत विधिवत करता है उसके कार्य में किसी प्रकार के बाधा-विघ्न नहीं आते एवं उसके घरे में गणेश जी के साथ मे रिद्धि-सिद्धि का वास होता हैं।
मंगलवार चतुर्थी- अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ...जप, ध्यान, तप बहुत ही फलदायी है...
बिना नमक का भोजन करें !
मंगल देव का मानसिक आह्वान करो !
चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें !
इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नाम से सुमिरन करे और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करे,शुभ संकल्प करे तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते है..
मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार है :-
1) ॐ मंगलाय नमः2) ॐ भूमि पुत्राय नमः3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः4) ॐ धन प्रदाय नमः5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः6) ॐ महा कायाय नमः7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः8) ॐ लोहिताय नमः9) ॐ लोहिताक्षाय नमः10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः11) ॐ धरात्मजाय नमः12) ॐ भुजाय नमः13) ॐ भौमाय नमः14) ॐ भुमिजाय नमः15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः16) ॐ अंगारकाय नमः17) ॐ यमाय नमः18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः20) ॐ वृष्टि हराते नमः21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः
ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करे ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-
भूमि पुत्रो महा तेजा
कुमारो रक्त वस्त्रका
ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम
ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे
हे भूमि पुत्र!..महा तेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ..
कितना भी कर्ज़दार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |
अगली मंगला चौथ
15 जुलाई (मंगलवार) अंगारकी चतुर्थी
09 दिसम्बर (मंगलवार) अंगारकी चतुर्थी

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