Thursday 31 July 2014

नाग पंचमी

नाग पंचमी पर्व की विविध कथाएँ प्रचलित है। नागपंचमी के संबंध में ऐसी ही दो बहुप्रचलित कथाएँ हम यहाँ उपलब्‍ध करवा रहे हैं।
नागपंचमी कथा ,,किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया।
अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा माँगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी कथा- एक राजा के सात पुत्र थे, उन सबके विवाह हो चुके थे। उनमें से छह पुत्रों के संतान भी हो चुकी थी। सबसे छोटे पुत्र के अब तक के कोई संतान नहीं हुई, उसकी बहू को जिठानियां बाँझ कहकर बहुत ताने देती थीं।
एक तो संतान न होने का दुःख और उस पर सास, ननद, जिठानी आदि के ताने उसको और भी दुःखित करने लगे। इससे व्याकुल होकर वह बेचारी रोने लगती। उसका पति समझाता कि 'संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है, फिर तू क्यों दुःखी होती है?' वह कहती- सुनते हो, सब लोग बाँझ- बाँझ कहकर मेरी नाक में दम किए हैं।
पति बोला- दुनिया बकती है, बकने दे मैं तो कुछ नहीं कहता। तू मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर प्रसन्न रह। पति की बात सुनकर उसे कुछ सांत्वना मिलती, परंतु फिर जब कोई ताने देता तो रोने लगती थी।
*ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,,
इस प्रकार एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पाँच नाग दिखाई दिए, उनमें एक ने कहा- 'अरी पुत्री। कल नागपंचमी है, तू अगर हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह उठ बैठी और पति को जगाकर स्वप्न का हाल सुनाया। पति ने कहा- यह कौन सी बड़ी बात है?
पाँच नाग अगर दिखाई दिए हैं तो पाँचों की आकृति बनाकर उसका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चे दूध से प्रसन्न करना। दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया। नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुन्दर पुत्र की प्राप्ति हुई

Photo: नाग पंचमी पर्व की विविध कथाएँ प्रचलित है। नागपंचमी के संबंध में ऐसी ही दो बहुप्रचलित कथाएँ हम यहाँ उपलब्‍ध करवा रहे हैं।
नागपंचमी कथा ,,किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया।
अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा माँगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी कथा- एक राजा के सात पुत्र थे, उन सबके विवाह हो चुके थे। उनमें से छह पुत्रों के संतान भी हो चुकी थी। सबसे छोटे पुत्र के अब तक के कोई संतान नहीं हुई, उसकी बहू को जिठानियां बाँझ कहकर बहुत ताने देती थीं।
एक तो संतान न होने का दुःख और उस पर सास, ननद, जिठानी आदि के ताने उसको और भी दुःखित करने लगे। इससे व्याकुल होकर वह बेचारी रोने लगती। उसका पति समझाता कि 'संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है, फिर तू क्यों दुःखी होती है?' वह कहती- सुनते हो, सब लोग बाँझ- बाँझ कहकर मेरी नाक में दम किए हैं।
पति बोला- दुनिया बकती है, बकने दे मैं तो कुछ नहीं कहता। तू मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर प्रसन्न रह। पति की बात सुनकर उसे कुछ सांत्वना मिलती, परंतु फिर जब कोई ताने देता तो रोने लगती थी।
इस प्रकार एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पाँच नाग दिखाई दिए, उनमें एक ने कहा- 'अरी पुत्री। कल नागपंचमी है, तू अगर हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह उठ बैठी और पति को जगाकर स्वप्न का हाल सुनाया। पति ने कहा- यह कौन सी बड़ी बात है?
पाँच नाग अगर दिखाई दिए हैं तो पाँचों की आकृति बनाकर उसका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चे दूध से प्रसन्न करना। दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया। नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुन्दर पुत्र की प्राप्ति हुई

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