Thursday, 17 July 2014

श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर शिव की आराधना हेतु महत्तवपूर्ण है श्रावण मास

श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर 
की पूजा का विशेष महत्व है। जो प्रतिदिन पूजन न
कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य
करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए। सोमवार भगवान
शंकर का प्रिय दिन है, अतः सोमवार
को शिवाराधना करनी चाहिए। इसी प्रकार मासों में
श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है।
श्रावणमास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है।
श्रावण में पार्थिव शिवपूजा का विशेष महत्त्व है।
अतः इस महीने शिव पूजा या पार्थिव
शिवपूजा अवश्य करना चाहिए।
इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ
कराने का भी विधान है। श्रावणमास में जितने
भी सोमवार पड़ते हैं, उन सब में शिवजी का व्रत
किया जाता है। इस व्रत में प्रातः गंगा स्नान
अथवा किसी पवित्र नदी या सरोवर में
अथवा विधिपूर्वक घर पर ही स्नान करके शिवमन्दिर
में जाकर स्थापित शिवलिंग या अपने घर में पार्थिव
मूर्ति बनाकर यथाविधि षोडशोपचार-पूजन
किया जाता है। यथासम्भव विद्वान ब्राह्मण से
रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए। इस व्रत में
श्रावणमाहात्म्य और श्रीशिवमहापुराण
की कथा सुनने का विशेष महत्त्व है। पूजन के पश्चात्
ब्राह्मण-भोजन कराकर एक बार ही भोजन करने
का विधान है। भगवान शिव का यह व्रत
सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
मनीषियों का कहना है कि समुद्र मंथन भी श्रावन
मास में ही हुआ। इस मंथन मंज 14 प्रकार के तत्व
निकले। इसमें जहर को छोड़ कर सभी 13
तत्वों को देवताओं और राक्षसों में वितरित
किया गया।
इन सभी तत्वों में से निकले जहर को भगवान् शिव
पी गये और इसे अपने कंठ में संग्रह कर लिया। इस
प्रकार इनका नाम नील कंठ पड़ा। इसके बाद देवताओं
ने भगवान शिव को जहर के संताप से बचाने के लिए
उन्हें गंगा जल अर्पित किया। इसके बाद से ही शिव
भक्त श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक
करते हैं।
श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास है। इसलिए
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं कुछ
जरुरी बातें...
- श्रावन मास में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही शुभ
माना गया है। इसलिए पूरे मास रुद्राक्ष
की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला का जाप करें।
- शिव को भभूती लगावें। अपने मस्तक पर भी लगावें।
- शिव चालीसा और आरती का गायन करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें. (यदि पूरे
दिन का व्रत सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत
धारण किया जा सकता है)
- बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग
का अभिषेक करें।
आज सावन का पहला सोमवार है. श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर
की पूजा का विशेष महत्व है। जो प्रतिदिन पूजन न
कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य
करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए। सोमवार भगवान
शंकर का प्रिय दिन है, अतः सोमवार
को शिवाराधना करनी चाहिए। इसी प्रकार मासों में
श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है।
श्रावणमास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है।
श्रावण में पार्थिव शिवपूजा का विशेष महत्त्व है।
अतः इस महीने शिव पूजा या पार्थिव
शिवपूजा अवश्य करना चाहिए।
इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ
कराने का भी विधान है। श्रावणमास में जितने
भी सोमवार पड़ते हैं, उन सब में शिवजी का व्रत
किया जाता है। इस व्रत में प्रातः गंगा स्नान
अथवा किसी पवित्र नदी या सरोवर में
अथवा विधिपूर्वक घर पर ही स्नान करके शिवमन्दिर
में जाकर स्थापित शिवलिंग या अपने घर में पार्थिव
मूर्ति बनाकर यथाविधि षोडशोपचार-पूजन
किया जाता है। यथासम्भव विद्वान ब्राह्मण से
रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए। इस व्रत में
श्रावणमाहात्म्य और श्रीशिवमहापुराण
की कथा सुनने का विशेष महत्त्व है। पूजन के पश्चात्
ब्राह्मण-भोजन कराकर एक बार ही भोजन करने
का विधान है। भगवान शिव का यह व्रत
सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
मनीषियों का कहना है कि समुद्र मंथन भी श्रावन
मास में ही हुआ। इस मंथन मंज 14 प्रकार के तत्व
निकले। इसमें जहर को छोड़ कर सभी 13
तत्वों को देवताओं और राक्षसों में वितरित
किया गया।*ज्योतिष और रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,,

इन सभी तत्वों में से निकले जहर को भगवान् शिव
पी गये और इसे अपने कंठ में संग्रह कर लिया। इस
प्रकार इनका नाम नील कंठ पड़ा। इसके बाद देवताओं
ने भगवान शिव को जहर के संताप से बचाने के लिए
उन्हें गंगा जल अर्पित किया। इसके बाद से ही शिव
भक्त श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक
करते हैं।
श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास है। इसलिए
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं कुछ
जरुरी बातें...
- श्रावन मास में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही शुभ
माना गया है। इसलिए पूरे मास रुद्राक्ष
की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला का जाप करें।
- शिव को भभूती लगावें। अपने मस्तक पर भी लगावें।
- शिव चालीसा और आरती का गायन करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें. (यदि पूरे
दिन का व्रत सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत
धारण किया जा सकता है)
- बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग
का अभिषेक करें।

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