Sunday, 2 December 2012

कार्तिक मास की आँवला नवमी

कार्तिक मास की आँवला नवमी
दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक मास की नवमी को आँवला नवमी कहते हैं। आँवला नवमी पर आँवले के वृक्ष के पूजन का महत्व है। साथ ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु इस नवमी पूजन का विशेष महत्व है।

एक कथा के अनुसार पुत्ररत्न की प्राप्ति के लिए एक दिन एक वैश्य की पत्नी ने पड़ोसन के कहने पर पराए लड़के की बलि भैरव देवता के नाम पर दे दी। इस वध का परिणाम विपरीत हुआ और उस महिला को कुष्ट रोग हो गया तथा लड़के की आत्मा सताने लगी
बाल वध करने के पाप के कारण शरीर पर हुए कोढ़ से छुटकारा पाने के लिए उस महिला ने गंगा के कहने पर कार्तिक की नवमी के दिन आँवला का व्रत करने लगी। ऐसा करने से वह भगवान की कृपा से दिव्य शरीर वाली हो गई तथा उसे पुत्र प्राप्ति भी हुई। तभी से इस व्रत को करने का प्रचलन है।

आँवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन कर उसकी जड़ में दूध देना चाहिए। इसके बाद पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बाँधकर कपूर, बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन महिलाएँ किसी ऐसे गॉर्डन में जहाँ आँवले का वृक्ष हो, वहाँ जाकर वे पूजन करने बाद वहीं भोजन करती हैं।

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