Saturday, 6 July 2019

भुवनेश्वरी त्रैलोक्य मंगल कवच स्तोत्र

भुवनेश्वरी त्रैलोक्य मंगल कवच स्तोत्र 
https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 
त्रैलोक्यमंगलअस्य कवचस्य ऋषि: शिव: ! 
छंदो विराट जगदधात्री देवता भुवनेश्वरी !!
धर्मार्थकाममोक्षार्थे विनियोग: प्रकीर्तित: ! 
ह्रीं बीजंमे शिर:पातु भुवनेशी ललाटकम !!
ऐं पातु दक्षनेत्रम मे ह्रीं पातु वामलोचनम !
श्रीं पातु दक्षकर्णं मे त्रिवर्णात्मा महेश्वरी !!
वामकर्णं सदा पातु ऐं घ्राणं पातु मे सदा !
ह्रीं पातु वदनं देवी ऐं पातु रसनां मम !!
वाकत्रिपुरा त्रिवर्णात्मा कण्ठं पातु परात्मिका !
श्रीं स्कंधौ पातु नियतं ह्रीं भुजौ पातु सर्वदा !!
क्लीं करौ त्रिपुरेशानी त्रिपुरऐश्वर्यदायिनि
श्रीं पातु हृदयम ह्रीं मे मध्यदेशं सदावतु
क्रों पातु नाभिदेशं सा त्र्यक्षरी भुवनेश्वरी
सर्वजीवप्रदा पृष्ठम पातु सर्ववशंकरी
ह्रीं पातु गुह्यदेशं मे नमो भगवती कटिम
माहेश्वरी सदा पातु सक्थिनी जानुयुग्मकम
अन्नपुर्णे सदापातु स्वाहा पातु पदद्वयम
सप्तदशाक्षरी पायादन्नपूर्णा अखिलं वपु:
तारं माया रमा काम: षोडशार्णा तत:परम
शिरस्था सर्वदा पातु विंशत्यर्णात्मिका परा
तारं दुर्गे युगं रक्षिणि स्वाहेति दशाक्षरी
जयदुर्गा घनश्यामा पातु मां पूर्वत: सदा
माया बीजादिका चैषा दशार्णा च तथा परा
उत्तप्तकांचनाभा सा जयदुर्गा अनले अवतु
तारं ह्रीं दुर्गायै नम अष्टवर्णात्मिका परा
शंखचक्रधनुर्बाणधरा मां दक्षिणेवतु
महिषमर्दिनी स्वाहा वसुवर्णात्मिका परा
नैऋत्यां सर्वदा पातु महिषासुरनाशिनी
माया पद्मावती स्वाहा पश्चिमे मां सदावतु
पाशांकुशपुटा माया पाहि परमेश्वरि स्वाहा
त्रयोदशार्णा ताराद्या अश्वारुढानिलेवतु
सरस्वती पंचशरे नित्यक्लिन्ने मदद्रवे
स्वाहा च त्र्यक्षरी नित्या मामुत्तरे सदावतु
तारं माया च कवचं खे च रक्षेत ततो वधू:
हु क्षें ह्री फट महाविद्या द्वादशार्णाखिलप्रदा
त्वरिताष्टादिभि: पायात शिवकोणे सदा च माम
ऐं क्लीं सौ: सततं बाला माम ऊर्ध्वदेशतो वतु
बिंद्वंता भैरवी बाला भुमौ मां सर्वदावतु
इति ते कवचं पुण्यं त्रैलोक्यमंगलं परं
सारात सारतरं पुण्यं महाविद्यौघ विग्रहम
Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557.

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