भुवनेश्वरी संक्षिप्त पूजन
।https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5
सामान्य पूजन सामुग्री जैसे आचमनी पात्र ,हल्दी ,कुमकुम ,चंदन ,अष्टगंध ,अक्षत , फूल , माला ,नैवेद्य ,फल ,दीपक (तेल या घी का ),अगरबत्ती आदि का प्रयोग कर सकते है ..
सबसे पहले गुरु ,गणेश इन्हे वंदन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:
फिर आचमन करे
ह्रीं आत्मतत्वाय स्वाहा
ह्रीं विद्या तत्वाय स्वाहा
ह्रीं शिव तत्वाय स्वाहा
ह्रीं सर्व तत्वाय स्वाहा
फिर गुरु स्मरण करे और पुजन के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ श्री गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री परम गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
अब आसन पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ पृथ्वी देव्यै नमः
चारो तरफ दिशा बंधन हेतु अक्षत फेके
और अपनी शिखा पर दाहिना हाथ रखे
फिर दीपक को प्रणाम करे
दीप देवताभ्यो नमः
कलश में जल डाले और उसमे चन्दन या सुगन्धित द्रव्य डाले
कलश देवताभ्यो नमः
अब अपने आप को तिलक करे
गणेश जी के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटी समप्रभ
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा
अब आप हाथ मे जल ,अक्षत ,पुष्प लेकर संकल्प करे की आप आज भुवनेश्वरी साधना कर रहे है और उनकी कृपा से आपकी जो समस्या है उसका निवारण हो ..
गुरुस्मरण कर सदगुरु का पंचोपचार पूजन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: गंधं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: पुष्पम समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: धूपं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: दीपं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: नैवेद्यम समर्पयामि
अब चंद्रमा का ध्यान करे
दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् !
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम !!
ॐ सों सोमाय नम:
सोम आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत और एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर चंद्रमा की प्रार्थना करे
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागान्नो सुधाशन : !
विषमस्थानसंभूतां पीडां दहतु मे विधु: !!
फिर राहु का ध्यान करे
वंदे राहुं धूम्रवर्ण अर्धकायं कृतांजलीम !
विकृतास्यं रक्तनेत्रं धूम्रलंकारमन्वहम "
ॐ रां राहवे नम:
राहू आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत और एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर प्रार्थना करे
महाशिर्षो महावक्त्रो महादंष्ट्रो महायश: !
अनुश्च ऊर्ध्वकेशश्च पीडां दहतु मे तम:
फिर केतु का ध्यान करे
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकं !
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् !!
ॐ कें केतवे नम:
केतु आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत अर्पण करे ..एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर प्रार्थना करे
अनेकरुपवर्णश्च शतशो अथ सहस्त्रश: !
उत्पातरुपी घोरश्च पीडां दहतु मे शिखी: !!
अब आप भगवती भुवनेश्वरी जी का ध्यान का जो मंत्र है उसे पढे और उनका आवाहन करे
ध्यान मंत्र :-
उदत दिन द्युतिम इंदुं किरिटां तुंगकुचां नयनत्रययुक्ताम !
स्मेरमुखीं वरदांकुश पाशाभितिकरां प्रभजे भुवनेशीम !!
ह्रीम भुवनेश्वर्यै नम :
मा भगवती राजराजेश्वरी भुवनेश्वरी आवाहयामि मम पूजा स्थाने मम हृदये स्थापयामि पूजयामि नम:
अब आवाहनादि मुद्राये आती हो तो प्रदर्शित करे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: आवाहिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: संस्थापिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सन्निधापिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सन्निरुद्धा भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सम्मुखी भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: अवगुंठिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: वरदो भव सुप्रसन्नो भव
अब भगवती पाश ,अंकुश, वर ,अभय ,
ज्ञान , पुस्तक और योनि मुद्रा दिखाये
फिर भुवनेश्वरी देवी का पंचोपचार पूजन करे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: गंधं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: पुष्पं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: धूपं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: दीपं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: नैवेद्यं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: तांबूलं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सर्वोपचारार्थे पुन: गंधाक्षतपुष्पं समर्पयामि
इसके बाद अगर आवरण पूजन करना हो तो करे .. या फिर भुवनेश्वरी खडगमाला स्तोत्र का पाठ करे .. फिर भुवनेश्वरी त्रैलोक्यमंगल कवच स्तोत्र और अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्र का पाठ करे .. इनमेसे तिनो का या जितना हो सके उतने स्तोत्रो का पाठ कर स्फटिक माला से यथा शक्ती किसी एक मंत्र का जाप करे .. कमसे कम खडगमाला का और कवच का पाठ करना ना भूले ..
मंत्र :- निम्न मे से कोइ एक
१) ॐ ह्रीम नम:
२) ऐं ह्रीं श्रीं
फिर मंत्र जाप भगवती को समर्पित करे और एक आचमनी जल मे कुंकुम या अष्टगंध मिलाकर भगवती को अर्घ्य दे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै विद्महे रत्नेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवि प्रचोदयात् ..
अंत मे क्षमाप्रार्थना करे .. ॐ मां ..
Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557.
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सामान्य पूजन सामुग्री जैसे आचमनी पात्र ,हल्दी ,कुमकुम ,चंदन ,अष्टगंध ,अक्षत , फूल , माला ,नैवेद्य ,फल ,दीपक (तेल या घी का ),अगरबत्ती आदि का प्रयोग कर सकते है ..
सबसे पहले गुरु ,गणेश इन्हे वंदन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:
फिर आचमन करे
ह्रीं आत्मतत्वाय स्वाहा
ह्रीं विद्या तत्वाय स्वाहा
ह्रीं शिव तत्वाय स्वाहा
ह्रीं सर्व तत्वाय स्वाहा
फिर गुरु स्मरण करे और पुजन के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ श्री गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री परम गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
अब आसन पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ पृथ्वी देव्यै नमः
चारो तरफ दिशा बंधन हेतु अक्षत फेके
और अपनी शिखा पर दाहिना हाथ रखे
फिर दीपक को प्रणाम करे
दीप देवताभ्यो नमः
कलश में जल डाले और उसमे चन्दन या सुगन्धित द्रव्य डाले
कलश देवताभ्यो नमः
अब अपने आप को तिलक करे
गणेश जी के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटी समप्रभ
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा
अब आप हाथ मे जल ,अक्षत ,पुष्प लेकर संकल्प करे की आप आज भुवनेश्वरी साधना कर रहे है और उनकी कृपा से आपकी जो समस्या है उसका निवारण हो ..
गुरुस्मरण कर सदगुरु का पंचोपचार पूजन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: गंधं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: पुष्पम समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: धूपं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: दीपं समर्पयामि
ॐ गुं गुरुभ्यो नम: नैवेद्यम समर्पयामि
अब चंद्रमा का ध्यान करे
दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् !
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम !!
ॐ सों सोमाय नम:
सोम आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत और एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर चंद्रमा की प्रार्थना करे
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागान्नो सुधाशन : !
विषमस्थानसंभूतां पीडां दहतु मे विधु: !!
फिर राहु का ध्यान करे
वंदे राहुं धूम्रवर्ण अर्धकायं कृतांजलीम !
विकृतास्यं रक्तनेत्रं धूम्रलंकारमन्वहम "
ॐ रां राहवे नम:
राहू आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत और एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर प्रार्थना करे
महाशिर्षो महावक्त्रो महादंष्ट्रो महायश: !
अनुश्च ऊर्ध्वकेशश्च पीडां दहतु मे तम:
फिर केतु का ध्यान करे
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकं !
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् !!
ॐ कें केतवे नम:
केतु आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नम: तर्पयामि स्वाहा
पुष्प अक्षत अर्पण करे ..एक आचमनी जल अर्पण करे ..
फिर एक आचमनी जल मे पुष्प और चंदन गंध मिलाकर अर्घ्य दे
ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात्
फिर हाथ जोडकर प्रार्थना करे
अनेकरुपवर्णश्च शतशो अथ सहस्त्रश: !
उत्पातरुपी घोरश्च पीडां दहतु मे शिखी: !!
अब आप भगवती भुवनेश्वरी जी का ध्यान का जो मंत्र है उसे पढे और उनका आवाहन करे
ध्यान मंत्र :-
उदत दिन द्युतिम इंदुं किरिटां तुंगकुचां नयनत्रययुक्ताम !
स्मेरमुखीं वरदांकुश पाशाभितिकरां प्रभजे भुवनेशीम !!
ह्रीम भुवनेश्वर्यै नम :
मा भगवती राजराजेश्वरी भुवनेश्वरी आवाहयामि मम पूजा स्थाने मम हृदये स्थापयामि पूजयामि नम:
अब आवाहनादि मुद्राये आती हो तो प्रदर्शित करे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: आवाहिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: संस्थापिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सन्निधापिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सन्निरुद्धा भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सम्मुखी भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: अवगुंठिता भव
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: वरदो भव सुप्रसन्नो भव
अब भगवती पाश ,अंकुश, वर ,अभय ,
ज्ञान , पुस्तक और योनि मुद्रा दिखाये
फिर भुवनेश्वरी देवी का पंचोपचार पूजन करे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: गंधं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: पुष्पं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: धूपं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: दीपं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: नैवेद्यं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: तांबूलं समर्पयामि
ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम: सर्वोपचारार्थे पुन: गंधाक्षतपुष्पं समर्पयामि
इसके बाद अगर आवरण पूजन करना हो तो करे .. या फिर भुवनेश्वरी खडगमाला स्तोत्र का पाठ करे .. फिर भुवनेश्वरी त्रैलोक्यमंगल कवच स्तोत्र और अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्र का पाठ करे .. इनमेसे तिनो का या जितना हो सके उतने स्तोत्रो का पाठ कर स्फटिक माला से यथा शक्ती किसी एक मंत्र का जाप करे .. कमसे कम खडगमाला का और कवच का पाठ करना ना भूले ..
मंत्र :- निम्न मे से कोइ एक
१) ॐ ह्रीम नम:
२) ऐं ह्रीं श्रीं
फिर मंत्र जाप भगवती को समर्पित करे और एक आचमनी जल मे कुंकुम या अष्टगंध मिलाकर भगवती को अर्घ्य दे
ह्रीं भुवनेश्वर्यै विद्महे रत्नेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवि प्रचोदयात् ..
अंत मे क्षमाप्रार्थना करे .. ॐ मां ..
Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557.