Sunday 20 April 2014

हनुमान अष्टोत्तरशत नामावलि

श्री आञ्जनेय अष्टोत्तरशत नामावलि ॐ आञ्जनेयाय नमः ।ॐ महावीराय नमः ।ॐ हनूमते नमः ।ॐ मारुतात्मजाय नमः ।ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः ।ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः ।ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमःॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः।ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः ।ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः ।ॐ परविद्या परिहाराय नमः ।ॐ पर शौर्य विनाशकाय नमः ।ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः ।ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः ।ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः ।ॐ भीमसेन सहायकृथे नमः ।ॐ सर्वदुखः हराय नमः।ॐ सर्वलोकचारिणे नमः ।ॐ मनोजवाय नमः ।ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः ।ॐ सर्व मन्त्र स्वरूपाय नमः ।ॐ सर्व तन्त्र स्वरूपिणे नमः ।ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः ।ॐ कपीश्वराय नमः।ॐ महाकायाय नमः ॐ सर्वरोगहराय नमः ।ॐ प्रभवे नमः ।ॐ बल सिद्धिकराय नमः।ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः ।ॐ कपिसेनानायकाय नमः ।ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः ।ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः ।ॐ रत्नकुन्डलाय नमः ।ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः ।ॐ वज्र कायाय नमः ।ॐ महाद्युथये नमः ।ॐ चिरंजीविने नमः ।ॐ राम भक्ताय नमः ।ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः ।ॐ अक्षहन्त्रे नमः ।ॐ काञ्चनाभाय नमः ।ॐ पञ्चवक्त्राय नमः ।ॐ महा तपसे नमः ।ॐ लन्किनी भञ्जनाय नमः ।ॐ श्रीमते नमःॐ सिंहिका प्राण भन्जनाय नमः ।ॐ गन्धमादन शैलस्थाय नमः ।ॐ लंकापुर विदायकाय नमः ।ॐ सुग्रीव सचिवाय नमः ।ॐ धीराय नमः ।ॐ शूराय नमः ।ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः ।ॐ सुवार्चलार्चिताय नमः ।ॐ दीप्तिमते नमः ।ॐ चन्चलद्वालसन्नद्धाय नमः ।ॐ लम्बमानशिखोज्वलाय नमः ।ॐ गन्धर्व विद्याय नमः ।ॐ तत्वञाय नमः ।ॐ महाबल पराक्रमाय नमः ।ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः ।ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः ।ॐ सागरोत्तारकाय नमः ।ॐ प्राज्ञाय नमः ।ॐ रामदूताय नमः ।ॐ प्रतापवते नमः ।ॐ वानराय नमः ।ॐ केसरीसुताय नमः।ॐ सीताशोक निवारकाय नमः ।ॐ अन्जनागर्भ संभूताय नमः ।ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः।ॐ विभीषण प्रियकराय नमः ।ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः ।ॐ तेजसे नमः ।ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः ।ॐ कामरूपिणे नमः।ॐ पिन्गाळाक्षाय नमः ।ॐ वार्धि मैनाक पूजिताय नमः ।ॐकबळीकृत मार्तान्ड मन्डलाय नमः ।ॐ विजितेन्द्रियाय नमः ।ॐ रामसुग्रीव सन्धात्रे नमः ।ॐ महिरावण मर्धनाय नमः ।ॐ स्फटिकाभाय नमः ।ॐ वागधीशाय नमः।ॐ नवव्याकृतपण्डिताय नमः ।ॐ चतुर्बाहवे नमः ।ॐ दीनबन्धुराय नमः ।ॐ मायात्मने नमः ।ॐ भक्तवत्सलाय नमः।ॐ संजीवननगायार्था नमः ।ॐ सुचये नमः ।ॐ वाग्मिने नमः ।ॐ दृढव्रताय नमः ।ॐ कालनेमि प्रमथनाय नमः ।ॐ हरिमर्कट मर्कटाय नमः।ॐ दान्ताय नमः।ॐ शान्ताय नमः।ॐ प्रसन्नात्मने नमः ।ॐ शतकन्टमुदापहर्त्रे नमः ॐ योगिने नमः ।ॐ रामकथा लोलाय नमः ।ॐ सीतान्वेशण पठिताय नमः ।ॐ वज्रद्रनुष्टाय नमः ।ॐ वज्रनखाय नमः ।ॐ रुद्र वीर्य समुद्भवाय नमः रत्न परामर्श 08275555557,,ज्ञानचंद बूंदीवाल,,,https://www.facebook.com/gemsforeveryone/?ref=bookmarks

।ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नमःॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः ।ॐ शरपंजरभेधकाय नमः ।ॐ दशबाहवे नमः ।ॐ लोकपूज्याय नमः ।ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः


Photo: हनुमान, समस्त मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता हमेशा मंगल ही करते है रामभक्त हनुमान  रामभक्त हनुमान जैसा कोई दूसरा इस पृथ्वी पर नहीं। भक्त तो कई होंगे, लेकिन जो बात रुद्र अवतार हनुमानजी में है वह और किसी में नहीं।
अंजनि पुत्र हनुमानजी का जन्म मंगलवार को हुआ इसीलिए कहते हैं कि मंगल को जन्मे हनुमान सदैव मंगल ही करने वाले हैं। कहते हैं, देवताओं के राजा इन्द्र ने भक्त हनुमान पर वज्र से प्रहार किया था जिसके चलते हनुमानज‍ी की ठुड्डी (हनु) टूट गई थी जिसके कारण उन्हें 'हनुमान' कहा जाता है।
क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी हमेशा सिन्दूरिया रंग में ही क्यों दिखाई देते हैं? एक बार बचपन में हनुमानजी ने अपनी मां को मांग में सिन्दूर लगाते हुए देखकर कारण पूछा। उनकी मां ने कहा कि वे अपने प्रभु यानी अपने पति को खुश करने और उनकी लंबी आयु के लिए अपनी मांग में सिन्दूर लगाती हैं।
इसलिए हनुमानजी ने सोचा कि जब चुटकीभर सिन्दूर से ही मां के भगवान प्रसन्न हो सकते हैं तो मैं अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लेता हूं, तभी से हनुमानजी ने सिन्दूर लगाना शुरू कर दिया।
हनुमानजी बुद्धि और बल के दाता हैं। उत्तरकांड में भगवान राम ने हनुमानजी को प्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति में निपुण आदि विशेषणों से संबोधित किया है। हनुमानजी को मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है इसलिए मन्नत मानने वाले अनेक स्त्री-पुरुष हनुमान की मूर्ति की श्रद्धापूर्वक निर्धारित प्रदक्षिणा करते हैं।
किसी कन्या का विवाह न हो रहा हो तो उसे ब्रह्मचारी हनुमान की उपासना करने को कहा जाता है।
चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। प्रायः शनिवार व मंगलवार हनुमानजी के दिन माने जाते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर व तेल अर्पण करने की प्रथा है। हनुमानजी को प्रसाद में गुड़-चना सबसे अधिक प्रिय है। कहीं-कहीं खांड व चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
यदि आपकी कोई समस्या हो तो पहले शुद्ध होकर एक खुशबूदार अगरबत्ती लगाएं व पीले फूल चढ़ाकर एक वजनी पत्थर रख अपनी समस्या बताकर कहें कि मेरी समस्या का समाधान होने पर पत्थर के वजन का सवाया प्रसाद चढ़ाऊंगा। जब तक आपकी समस्या हल न हो जाए, तब तक उस पत्थर को वहीं रहने दें।
चमत्कारी हनुमान मंत्र  वैसे तो हनुमानजी को अपनी पूजा करवाना पसंद नहीं है। वे रामभक्त होने से राम को ही प्राथमिकता देते हैं, फिर भी मंत्र इस प्रकार है- 
सर्व सिद्धिदायक हनुमान मंत्र  हनुमान्माला मंत्र : श्री हनुमानजी के सम्मुख इस मंत्र का 51 बार पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रख लें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है।
* 'ॐ वज्र-काय वज्र-तुण्ड कपिल-पिंगल ऊर्ध्व-केश महावीर सु-रक्त-मुख तडिज्जिह्व महा-रौद्र दंष्ट्रोत्कट कह-कह करालिने महा-दृढ़-प्रहारिन लंकेश्वर-वधायमहा-सेतु-बंध-महा-शैल-प्रवाह-गगने-चर एह्येहिं भगवन्महा-बल-पराक्रम भैरवाज्ञापय एह्येहि महारौद्र दीर्घ-पुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय-भंजय हुँ फट्।।' 
एक और प्रसिद्ध मंत्र :  इस मंत्र का नित्य प्रति 108 बार जप करने से सिद्धि मिलती है-* 'ॐ एं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंका विध्वंसनपायांनीगर्भसंभूताय शकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलि किलि बुवुकरेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौं ह्रां फट् स्वाहा।' 
* 'ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः।' 
इस मंत्र का 21 दिनों तक 12 हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान की दशांश आहुति दें। यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है।
मंत्र जप में विशेष ध्यान में रखने वाली बात यह है कि पूर्णरूप से ब्रह्मचारी रहकर जप करना चाहिए।

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