Saturday, 19 April 2014

शनिदेव *शनि का प्रभाव कम करने के उपाय

शनिदेव *शनि का प्रभाव कम करने के उपाय।  https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमःनीलांजन समाभासम रविपुत्रं यमाग्रजम छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम नमामि शनैश्चरम,,, शनि की साढेसाती तथा ढैय्या के प्रभाव को कम करने के हमारे ग्रन्थो में अनेक उपचार बतलाये गये हैं। जिनके प्रयोग से इसके कुप्रभाव से वचा जा सकता है। ये उपचार इस प्रकार हैं -1. शनि के वैदिक या बीज मंत्र का 23000 की संख्या में जाप करें।2. शनिवार के दिन हनुमान जी की आराधना, चालीसा का पाठ, सुन्दर काण्ड का पाठ करें।3. शनिवार के दिन तैलदान, शनि स्तोत्र का पाठ करें। 4.नीलम रत्न धारण करना भी लाभकारी होता है परन्तु पहले किसी ज्योतिषी का परामर्श अवश्य ले लें।5. शनि का बीज मंत्र -  प्रां प्रीं पौं स: शनये नम:।6. शनि का वैदिक मंत्र -  शन्नौ देवीरभिष्टयऽआपोभवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्रवन्तु न:।7. शनि का तांत्रिक मंत्र -  शं शनैश्चराय नम:।8. शनि शान्ति के लिये दान-वस्तु - लोहा, तिल, तैल, कृष्णवस्त्र, उडद, नीलम, कुथली,।शनि साढेसाती शनि साढेसाती में प्राप्त होने वाले अशुभ फलों से बचने के लिये अपने धैर्य व सहनशक्ति में वृ्धि करने के लिये शनि के उपाय करने चाहिए. विपरीत समय में व्यक्ति की संघर्ष करने की क्षमता बढ जाती है. तथा ऎसे समय में व्यक्ति अपनी पूर्ण दूरदर्शिता से निर्णय लेता है. जिसके कारण निर्णयों में त्रुटियां होने की संभावनाएं कम हो जाती है. शनि स्तोत्र का पाठ करते समय व्यक्ति में शनि के प्रति पूर्ण श्रद्धा व विश्वास होना अनिवार्य है. बिना श्रद्धा के लाभ प्राप्त होने की संभावनाएं नहीं बनती है. शनि स्तोत्र पाठ -नीलांजन समाभासम रविपुत्रं यमाग्रजम छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम नमामि शनैश्चरम सूर्यपुत्रो दीर्घदेही विशालाक्षा श्विप्रिया: मंदचारा प्रसन्नात्मा पीडाम हरतु में शनि कोणस्थ, पिंगलो, बभ्रु, कृ्ष्णो, र्रौद्रान्तको, यम: सौरि: शनिश्चरो मंद: पिंपलादेन संस्तुत: शनि स्तोत्रम नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय च नमोस्तुते नमस्ते बभ्रु रुपाय कृ्ष्णाय च नमोस्तुते नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च नमस्ते यम संज्ञाय नमस्ते सौरये विभो नमस्ते मंद संज्ञाय शनेश्वर नमोस्तुते प्रसाद कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च कोणस्थ पिंगलों, बभ्रु, कृ्ष्णों, रौद्रान्तक यम: सौरि:, शनिश्चरो मंद: पिपलादेन संस्तुत: एतानि दश नमानि प्रात: उत्थाय य: पठेत शनेश्वचर कृ्ता पीडा न कदाचित भविष्यति,,,,जिन व्यक्तियों की जन्म राशि पर शनि की साढेसाती का प्रभाव चल रहा है, उन व्यक्तियों को इस पाठ का जाप प्रतिदिन करना चाहिए. इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की शनि की ढैय्या या लघु कल्याणी की अवधि चल रही हों, उनके लिये भी यह पाठ लाभकारी सिद्ध हो सकता है
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: शनिदेव को प्रसन्न कैसे करें शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
 इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें।
उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।
 अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
 शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
 इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें। जो फल प्रदान करता है।
 काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।
 शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने*अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
 शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए।
 इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
 शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
शनि की शांति के लिए नीलम को तभी पहना जा सकता है।
 शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिदेव का आशीर्वाद लेने के पश्चात आपको प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।
सूर्यपुत्र शनिदेव की प्रसन्नता हेतु इस दिन काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा देना चाहिए।
इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
 श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारंभ करना अति मंगलकारी माना जाता है।
इस प्रकार भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से शनि का कोप शांत होता है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है।
शनि की साढ़ेसाती व ढैया के उपाय
व्रत
शनिवार का व्रत रखें। व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मंत्र जप) करें। शनिवार व्रत कथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।
व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें। सायंकाल हनुमानजी या भैरवजी का दर्शन करें।
काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं) या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें।
दान

Latest Blog

शीतला माता की पूजा और कहानी

 शीतला माता की पूजा और कहानी   होली के बाद शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है  इस दिन माता श...