Sunday 25 May 2014

जय श्री कृष्णा श्री कृष्ण:शरणम् मम:

जय श्री कृष्णा  श्री कृष्ण:शरणम् मम:
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मोरी अंखियाँ प्यासी रे
मन मंदिर की ज्योत जगा दो, घाट घाट वासी रे

मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दिखे सूरत तेरी 
यह शुभ बेला आई, मिलन की पूरनमासी रे 

द्वार दया का जब तू खोले, पञ्च स्वर में गंगा बोले
अँधा देखे, लंगड़ा चलकर, पहुचें काशी रे

पानी पीकर प्यास बुझाऊ, नैनन को कैसे समझाऊ 
आँख मिचोली छोड़ दे आब तो मन के वासी रे

लाज न लुट जाए मेरी, नाथ करो न दया में देरी
तीनो लोक छोड़ के आवो, गगन विलासी रे

द्वार खड़ा कब से मतवाला, माँगा तुमसे हाथ तुम्हारा 
"बासु" की प्रभु विनती सुनलो, भक्त विलासी रे 

File:RADHE KRISHNA.gif

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