Sunday, 25 May 2014

जय श्री कृष्णा jay shri krishna

सुप्रभात श्री कृष्ण:शरणम् मम: जय श्री  कृष्णा भोर भये जागे गिरिधारी।सगरी निसि रस बस कर बितई, कुंज-महल सुखकारी।पट उतारि तिय-मुख अवलोकत चंद-बदन छवि भारी।बिलुलित केस पीक अरु अंजन फैली बदन उज्यारी।नाहिं जगावत जानि नींद बहु समुझि सुरति-श्रम भारी।छबि लखि मुदित पीत पट कर लै रहे भँवर निरुवारी।संगम धुनि मधुरै सुर गावत चौंकि उठी तब प्यारी।रही लपटाइ जंभाइ पिया उर
KRISHNA OM by VISHNU108

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