Friday, 23 May 2014

शिवाष्टक ,,,shivashtak

 शिवाष्टक ,,, shivashtak
जय शिवशंकरजय गंगाधरकरुणा-कर करतार हरे, जय कैलाशीजय अविनाशीसुखराशिसुख-सार हरे 
जय शशि-शेखर
जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे, जय त्रिपुरारीजय मदहारीअमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जयसगुण अनामयनिराकार साकार हरे। पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
जय रामेश्वर
जय नागेश्वर वैद्यनाथकेदार हरे, मल्लिकार्जुनसोमनाथजयमहाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर
जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे, काशी-पतिश्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,
नील-कण्ठ जय
भूतनाथ जयमृत्युंजय अविकार हरे। पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
जय महेश जय जय भवेश
जय आदिदेव महादेव विभो, किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,
जय भवकार
तारकहारक पातक-दारक शिव शम्भो, दीन दुःख हर सर्व सुखाकरप्रेम सुधाधर दया करो,
पार लगा दो भव सागर से
बनकर कर्णाधार हरे। पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
जय मन भावन
जय अति पावनशोक नशावन, विपद विदारनअधम उबारनसत्य सनातन शिव शम्भो,
सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो
, मदन-कदन-कर पाप हरन-हरचरन-मननधन शिव शम्भो,
विवसन
विश्वरूपप्रलयंकरजग के मूलाधार हरे। पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
भोलानाथ कृपालु दयामय
औढरदानी शिव योगीसरल हृदय, अतिकरुणा सागरअकथ-कहानी शिव योगीनिमिष में देते हैं,
नवनिधि मन मानी शिव योगी
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकरबने मसानी शिव योगीस्वयम्‌ अकिंचन,जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे। 
पार्वती पति हर-हर शम्भो
पाहि पाहि दातार हरे॥ आशुतोष! इस मोह-मयी निद्रा से मुझे जगा देना,
विषम-वेदना
से विषयों की मायाधीश छड़ा देना, रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,
दिव्य-ज्ञान- भंडार-युगल-चरणों को लगन लगा देना
,

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एक बार इस मन मंदिर में कीजे पद-संचार हरे। पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥ 
दानी हो
दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो, शक्तिमान होदो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो, 
त्यागी हो
दो इस असार-संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो, परमपिता होदो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो, 
स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुणा पुकार हरे।
 पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
तुम बिन 
बेकल’ हूँ प्राणेश्वरआ जाओ भगवन्त हरे, चरण शरण की बाँह गहोहे उमारमण प्रियकन्त हरे,
विरह व्यथित हूँ दीन दुःखी हूँ दीन दयालु अनन्त हरे
, आओ तुम मेरे हो जाओआ जाओ श्रीमंत हरे,
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।
 पार्वती पति हर-हर शम्भोपाहि पाहि दातार हरे॥
SHIVA YOGA by VISHNU108

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