नवरात्र में की गई मंत्र साधना निष्फल नहीं जाती।
दस महाविद्या व कामना मंत्र
सर्व प्रथम नवरात्रों की प्रमुख देवी सर्वेश्वर्यकारिणी माता को धूप, दीप, प्रसाद अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन ग्यारह माला ॐ ह्नीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:।’ मंत्र का जप करें। पेठे का भोग लगाएं। इसके बाद मनोकामना के अनुसार निम्न में से किसी मंत्र का जप करें। यह क्रम नौ दिनों तक गुप्त रूप से जारी रखें।
काली : लम्बी आयु, ग्रह जनित दुष्प्रभाव, कालसर्प, मांगलिक प्रभाव, अकाल मृत्यु का भय आदि के लिए काली की साधना करें।
मंत्र- ‘क्रीं ह्नीं ह्नुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:।’
हकीक की माला से नौ माला जप प्रतिदिन करें।
दस महाविद्या व कामना मंत्र
सर्व प्रथम नवरात्रों की प्रमुख देवी सर्वेश्वर्यकारिणी माता को धूप, दीप, प्रसाद अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन ग्यारह माला ॐ ह्नीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:।’ मंत्र का जप करें। पेठे का भोग लगाएं। इसके बाद मनोकामना के अनुसार निम्न में से किसी मंत्र का जप करें। यह क्रम नौ दिनों तक गुप्त रूप से जारी रखें।
काली : लम्बी आयु, ग्रह जनित दुष्प्रभाव, कालसर्प, मांगलिक प्रभाव, अकाल मृत्यु का भय आदि के लिए काली की साधना करें।
मंत्र- ‘क्रीं ह्नीं ह्नुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:।’
हकीक की माला से नौ माला जप प्रतिदिन करें।
तारा : तीव्र बुद्धि, रचनात्मकता, उच्च शिक्षा के लिए मां तारा की साधना नीले कांच की माला से बारह माला मंत्र जप प्रतिदिन करें।
मंत्र- ‘ह्नीं स्त्रीं हुम फट।’
मंत्र- ‘ह्नीं स्त्रीं हुम फट।’
त्रिपुर सुंदरी : व्यक्तित्व विकास, स्वस्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें। रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। दस माला मंत्र जप अवश्य करें।
मंत्र- ‘ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:।’
मंत्र- ‘ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:।’
भुवनेश्वरी: भूमि, भवन, वाहन सुख के लिए भुवनेश्वरी देवी की आराधना करें। स्फटिक की माला से ग्यारह माला प्रतिदिन जप करें।
मंत्र-‘ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:।’
मंत्र-‘ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:।’
छिन्नमस्ता : रोजगार में सफलता, नौकरी, पदोन्नति आदि के लिए छिन्नमस्ता देवी की आराधना करें। रुद्राक्ष की माला से दस माला प्रतिदिन जप करें।
मंत्र- ‘श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा’।
मंत्र- ‘श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा’।
त्रिपुर भैरवी : सुन्दर पति या पत्नी प्राप्ति, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए मूंगे की माला से पंद्रह माला मंत्र का जप करें।
मंत्र- ‘ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:।’
मंत्र- ‘ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:।’
धूमावती : तंत्र, मंत्र, जादू टोना, बुरी नजर, भूत प्रेत, वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए देवी घूमावती के मंत्र की नौ माला का जप मोती की माला से करें।
मंत्र- ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:।’
मंत्र- ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:।’