दुर्गा कवचम् ब्रह्माण्ड मोहनाख्यं
नारद उवाच ।
भगवन्सर्वधर्मज्ञ सर्वज्ञानविशारद ।
ब्रह्माण्डमोहनं नाम प्रकृते कवचं वद ॥ १॥
नारायण उवाच ।
श्रृणु वक्ष्यामि हे वत्स कवचं च सुदुर्लभम् ।
श्रीकृष्णेनैव कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा ॥ २॥
ब्रह्मणा कथितं पूर्वं धर्माय जान्हवीतटे ।
धर्मेण दत्तं मह्यं च कृपया पुष्करे पुरा ॥ ३॥
त्रिपुरारिश्च यद्धृत्वा जघान त्रिपुरं पुरा ।
ममोच ब्रह्मा यद्धृत्वा मधुकैटभयोर्भयात् ॥ ४॥
सञ्जहार रक्तबीजं यद्धृत्वा भद्रकालिका ।
यद्धृत्वा हि महेन्द्रश्च सम्प्राप कमलालयाम् ॥ ५॥
यद्धृत्वा च महायोद्धा बाणः शत्रुभयङ्करः ।
यद्धृत्वा शिवतुल्यश्च दुर्वासा ज्ञानिनां वरः ॥ ६॥
ॐ दुर्गेति चतुर्थ्यंतः स्वाहान्तो मे शिरोऽवतु ।
मन्त्रः षडक्षरोऽयं च भक्तानां कल्पपादपः ॥ ७॥
विचारो नास्ति वेदे च ग्रहणेऽस्य मनोर्मुने ।
मन्त्रग्रहणमात्रेण विष्णुतुल्यो भवेन्नरः ॥ ८॥
मम वक्त्रं सदा पातु ॐ दुर्गायै नमोऽन्तकः ।
ॐ दुर्गे इति कण्ठं तु मन्त्रः पातु सदा मम ॥ ९॥
ॐ ह्रीं श्रीमिति मन्त्रोऽयं स्कन्धं पातु निरन्तरम् ।
ह्रीं श्रीं क्लीमिति पृष्ठं च पातु मे सर्वतः सदा ॥ १०॥
ह्रीं मे वक्षस्थले पातु हं सं श्रीमिति सन्ततम् ।
ऐं श्रीं ह्रीं पातु सर्वाङ्गं स्वप्ने जागरणे सदा ॥ ११॥
प्राच्यां मां पातु प्रकृतिः पातु वह्नौ च चण्डिका ।
दक्षिणे भद्रकाली च नैऋत्यां च महेश्वरी ॥ १२॥
वारुण्यां पातु वाराही वायव्यां सर्वमङ्गला ।
उत्तरे वैष्णवी पातु तथैशान्यां शिवप्रिया ॥ १३॥
जले स्थले चान्तरिक्षे पातु मां जगदम्बिका ।
इति ते कथितं वत्स कवचं च सुदुर्लभम् ॥ १४॥
यस्मै कस्मै न दातव्यं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ।
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद्वस्त्रालङ्कारचन्दनैः ॥ १५॥
कवचं धारयेद्यस्तु सोऽपि विष्णुर्न संशयः ।
स्नाने च सर्वतीर्थानां पृथिव्याश्च प्रदक्षिणे ॥ १६॥
यत्फलं लभते लोकस्तदेतद्धारणे मुने ।
पञ्चलक्षजपेनैव सिद्धमेतद्भवेद्ध्रुवम् ॥ १७॥
लोके च सिद्धकवचो नावसीदति सङ्कटे ।
न तस्य मृत्युर्भवति जले वह्नौ विषे ज्वरे ॥ १८॥
जीवन्मुक्तो भवेत्सोऽपि सर्वसिद्धीश्वरीश्वरि ।
यदि स्यात्सिद्धकवचो विष्णुतुल्यो भवेद्ध्रुवम् ॥ १९॥
!!Astrologer Gyanchand Bundiwal. Nagpur । M.8275555557
॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते प्रकृतिखण्डान्तर्गतदुर्गाकवचम् सम्पूर्णम् ॥
हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं की और त्योहारों की जानकारी। भगवान के मंत्र स्तोत्र तथा सहस्त्र नामावली की जानकारी ।
Wednesday, 20 September 2017
दुर्गा कवचम् ब्रह्माण्ड मोहनाख्यं
Latest Blog
शीतला माता की पूजा और कहानी
शीतला माता की पूजा और कहानी होली के बाद शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है इस दिन माता श...
-
नरसिंह मंत्र उग्र वीर नृसिंह" "नरसिंह मंत्र" पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्...
-
सूर्य मंत्र : सूर्याय नमः ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। https://goo.gl/maps/N9irC7JL1N...
-
Chandra Gayatri Mantra चन्द्र गायत्री मंत्र :- (A) ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि ! तन्नो चन्द्र: प्रचोदय...
-
मां काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है। https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9Kt5 . मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुप...
-
शारदीय नवरात्रि दुर्गा पूजा दिनांक शनिवार 17 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. आश्विन घटस्थापना...
-
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मंगलवार, अप्रैल 13, 2021 को पहला नवरात्र, मां शैलपुत्री की पूजा, गुड़ी पड़वा, नवरात्रि आरंभ, घटस्थापना, ह...
-
शिव को चढ़ाएं। उपाय के मुताबिक शिव पूजा में तरह-तरह के फूलों को चढ़ाने से अलग-अलग तरह की इच्छाएं पूरी हो जाती है। https://goo.gl/maps/N...
-
दीपावली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजा गुरुवार, नवम्बर 4, 2021 पर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 18:14 से 20:09 अवधि - 01 घण्टा 55...
-
गणेश जी के 108 नाम इस प्रकार हैं 1. बालगणपति: सबसे प्रिय बालक 2. भालचन्द्र: जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो https://goo.gl/maps/N9irC7JL1Noar9K...
-
आदिशक्ति मां दुर्गा . या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःआदिशक्ति मां दुर्गा ... दुर्गा अवतार की कथा है कि असुरों द्वारा संत्रस्त देवताओं का उद्धार करने के लिए प्रजापति ने उनका तेज एकत्रित किया ...