नवरात्र ,,नव दुर्गा,, से जुडी नौ औष्धियां देती है... सब कष्टों से छुटकारा
1,,पहली औष्धि जुडी है माँ शैलपुत्री से ,, हरड़...
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हैं. माँ दुर्गा जी के पहले स्वरूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता हैं. ये ही नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. विभिन्न प्रकार की बीमारियों में काम आने वाली हरड़ देवी शैलपुत्री का ही एक स्वरूप हैं. यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है. हरड़ सात प्रकार की होती है. इसे हरितकी के नाम से भी जाना जाता है. हरड़ का इस्तेमाल एंटी टॉक्सिन के स्वरूप में कंजक्टीवाइटिस, गैस्ट्रिक, पुराने बुखार, साइनस, एनीमिया तथा हिस्टीरिया के उपचार में किया जाता है.
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2,,दूसरी औष्धि जुडी है माँ ब्रह्मचारिणी से ,, ब्राह्मी
मां दुर्गा की शक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी यानी कि ब्राह्मी का है. इसे दिमाग का टॉनिक भी कहा जाता है. ब्राह्मी मस्तिष्क, मन और स्मरण शक्ति को बढ़ाने के साथ साथ रक्त संबंधी विकारों को भी दूर करती है. स्वर को मधुर करने में बहुत सहायक होती है. यह गैस व मूत्र संबंधी रोगों में भी लाभदायक है. यह पेशाब के जरिये रक्त के विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है. इन समस्याओं से जुड़े लोगों को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए.
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3..तीसरी औष्धि जुडी है माँ चंद्रघंटा से ,,चन्दुसूर
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा यानी चन्दुसूर है. नवरात्र के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है. यदि आप मोटापे से परेशान हैं. आज मां चंद्रघंटा को चंदुसूर चढ़ाएं. यह धनिये के जैसा दिखने वाला पौधा है. इसकी पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है. इसमें बहुत से औषधीय गुण हैं. इससे व्यक्ति का मोटापा दूर होता है. यह शक्ति को बढ़ाने एवं हृदय रोग में लाभकारी चंद्रिका औषधि है. तो इस बीमारी से संबंधित व्यक्ति को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए और प्रसाद के रूप में चंदुसूर ग्रहण करना चाहिए.
4..चौथी औष्धि जुडी है माँ कुष्माण्डा से ,, पेठा
नवरात्र के चौथे दिन माँ भगवती दुर्गा के कुष्माण्डा स्वरूप की आराधना की जाती है. नव दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्माण्डा यानी कि पेठा है. इसे कुम्हड़ा भी कहा जाता हैं. यह हृदय के रोगियों के लिए बहुत लाभ दायक, कोलेस्ट्रॉल कम , ठंडक पहुंचाने वाला तथा मूत्र वर्धक होता है. यह पेट की गड़बड़ियों में भी बहुत असर दायक होता है. खून में शर्करा की मात्रा को कण्ट्रोल कर अग्न्याशय को सक्रिय करता है. मानसिक रूप से कमजोर के लिए यह अमृत से कम नही है. इन बीमारी से ग्रसित को पेठा के उपयोग के साथ माँ कुष्माण्डा देवी की आराधना करनी चाहिए.
5,,पांचवी औष्धि जुडी है माँ स्कंदमाता से ,, अलसी
नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है. माँ स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में उपस्थित हैं. यह पित्त, कफ, वात, , रोगों की नाशक दवा है. अलसी में बहुत सारे महत्व पूर्ण गुण होते हैं. अलसी का रोज सेवन करने से बहुत से रोगों का नाश होता हैं. अलसी में ओमेगा 3 और फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में होता है. यह बहुत से रोगों के इलाज में लाभदायक है. यह हमें विभिन्न बिमारिओं से लड़ने की शक्ति देता है. कफ तथा पेट से संबंधित रोगों से ग्रस्त लोगों को माँ स्कंदमाता की आराधना और अलसी का सेवन करना चाहिए.
6..छठी माँ औष्धि जुडी है कात्यायनी से ,, मोइया
नवदुर्गा का छठा दिन माँ कात्यायनी की आराधना का होता है. आयुर्वेद में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका. इसे मोइया या माचिका भी कहा जाता हैं. यह पित्त,कफ एवं गले या कंठ के रोग का नाश करती है. इन रोगों से ग्रस्त लोगों को इसका सेवन व माँ कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए
7,,सातवीं औष्धि जुडी है माँ कालरात्रि से ,, नागदौन
माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरूप श्री कालरात्रि हैं. माँ कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं. इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता हैं. नवरात्र का सातवाँ दिन इनके नाम है. माँ कालरात्रि नागदौन के रूप में जानी जाती है. मां कालरात्रि की भक्ति से मन का भय दूर होता है. साथ बहुत सी बीमारियों से भी छुटकारा दिलाती है. जो भक्त मन या मस्तिष्क के रोग से ग्रसित है. उसे माँ कालरात्रि को नागदौन औषधि भेंट कर प्रसाद के रूप में इसे सेवन करना चाहिए. इस औषधि में गजब का प्रभाव होता है. यदि इसके पौधे को अपने आँगन में लगा दिया जाए तो घर के सभी सदस्यों की छोटी छोटी मौसमी बीमारियां हमेशा के लिए दूर हो जाती है.
8,,आठवीं औष्धि जुडी है माँ महागौरी से –,,तुलसी
नवदुर्गा का आठवां स्वरूप माँ महागौरी है. हर व्यक्ति इसके बारे में जानता है. इसका औषधीय नाम तुलसी है. यह एक पवित्र औष्धि पौधा है. हर घर में इसकी पूजा की जाती है. तुलसी एक जानी मानी औषधि भी है. जिसका प्रयोग बहुत सी बीमारियों में किया जाता है. तुलसी कई प्रकार की होती है. तुलसी के सभी प्रकार रक्त को साफ तथा हृदय रोग से मुक्ति देती है. इस देवी माँ की उपासना हर किसी को करनी चाहिए.
ये भी पढ़ें – तुलसी ,,Tulsi,, पवित्र होने के साथ साथ एक गुणकारी पौधा
9...नौवीं औष्धि जुडी है माँ सिद्धिदात्री से – शतावरी : मां दुर्गा अपने नौवें स्वरूप में माँ सिद्धिदात्री के नाम से प्रसिद्ध है. माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं. दुर्गा के इस रूप को नारायणी या शतावरी कहते हैं. शतावरी बल बुद्धि तथा वीर्य के लिए प्रमुख औषधि है. यह खून के विकार तथा वात, पित्त, शोध नाशक हृदय को बल देने वाली महा औषधि है. शतावरी के नियम से खाने वाले के सभी कष्ट अपने आप ही दूर हो जाते हैं. इसलिए हृदय को शक्ति देने के लिए माँ सिद्धिदात्री देवी की पूजा करनी चाहिए.
Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557.
1,,पहली औष्धि जुडी है माँ शैलपुत्री से ,, हरड़...
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हैं. माँ दुर्गा जी के पहले स्वरूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता हैं. ये ही नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. विभिन्न प्रकार की बीमारियों में काम आने वाली हरड़ देवी शैलपुत्री का ही एक स्वरूप हैं. यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है. हरड़ सात प्रकार की होती है. इसे हरितकी के नाम से भी जाना जाता है. हरड़ का इस्तेमाल एंटी टॉक्सिन के स्वरूप में कंजक्टीवाइटिस, गैस्ट्रिक, पुराने बुखार, साइनस, एनीमिया तथा हिस्टीरिया के उपचार में किया जाता है.
ये भी पढ़ें – हरड़ ,,,Myrobalan) Harad ,,के आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोग
2,,दूसरी औष्धि जुडी है माँ ब्रह्मचारिणी से ,, ब्राह्मी
मां दुर्गा की शक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी यानी कि ब्राह्मी का है. इसे दिमाग का टॉनिक भी कहा जाता है. ब्राह्मी मस्तिष्क, मन और स्मरण शक्ति को बढ़ाने के साथ साथ रक्त संबंधी विकारों को भी दूर करती है. स्वर को मधुर करने में बहुत सहायक होती है. यह गैस व मूत्र संबंधी रोगों में भी लाभदायक है. यह पेशाब के जरिये रक्त के विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है. इन समस्याओं से जुड़े लोगों को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए.
ये भी पढ़ें ,,,ब्रह्मी ,,Brahmi,, के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण
3..तीसरी औष्धि जुडी है माँ चंद्रघंटा से ,,चन्दुसूर
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा यानी चन्दुसूर है. नवरात्र के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है. यदि आप मोटापे से परेशान हैं. आज मां चंद्रघंटा को चंदुसूर चढ़ाएं. यह धनिये के जैसा दिखने वाला पौधा है. इसकी पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है. इसमें बहुत से औषधीय गुण हैं. इससे व्यक्ति का मोटापा दूर होता है. यह शक्ति को बढ़ाने एवं हृदय रोग में लाभकारी चंद्रिका औषधि है. तो इस बीमारी से संबंधित व्यक्ति को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए और प्रसाद के रूप में चंदुसूर ग्रहण करना चाहिए.
4..चौथी औष्धि जुडी है माँ कुष्माण्डा से ,, पेठा
नवरात्र के चौथे दिन माँ भगवती दुर्गा के कुष्माण्डा स्वरूप की आराधना की जाती है. नव दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्माण्डा यानी कि पेठा है. इसे कुम्हड़ा भी कहा जाता हैं. यह हृदय के रोगियों के लिए बहुत लाभ दायक, कोलेस्ट्रॉल कम , ठंडक पहुंचाने वाला तथा मूत्र वर्धक होता है. यह पेट की गड़बड़ियों में भी बहुत असर दायक होता है. खून में शर्करा की मात्रा को कण्ट्रोल कर अग्न्याशय को सक्रिय करता है. मानसिक रूप से कमजोर के लिए यह अमृत से कम नही है. इन बीमारी से ग्रसित को पेठा के उपयोग के साथ माँ कुष्माण्डा देवी की आराधना करनी चाहिए.
5,,पांचवी औष्धि जुडी है माँ स्कंदमाता से ,, अलसी
नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है. माँ स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में उपस्थित हैं. यह पित्त, कफ, वात, , रोगों की नाशक दवा है. अलसी में बहुत सारे महत्व पूर्ण गुण होते हैं. अलसी का रोज सेवन करने से बहुत से रोगों का नाश होता हैं. अलसी में ओमेगा 3 और फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा में होता है. यह बहुत से रोगों के इलाज में लाभदायक है. यह हमें विभिन्न बिमारिओं से लड़ने की शक्ति देता है. कफ तथा पेट से संबंधित रोगों से ग्रस्त लोगों को माँ स्कंदमाता की आराधना और अलसी का सेवन करना चाहिए.
6..छठी माँ औष्धि जुडी है कात्यायनी से ,, मोइया
नवदुर्गा का छठा दिन माँ कात्यायनी की आराधना का होता है. आयुर्वेद में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका. इसे मोइया या माचिका भी कहा जाता हैं. यह पित्त,कफ एवं गले या कंठ के रोग का नाश करती है. इन रोगों से ग्रस्त लोगों को इसका सेवन व माँ कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए
7,,सातवीं औष्धि जुडी है माँ कालरात्रि से ,, नागदौन
माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरूप श्री कालरात्रि हैं. माँ कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं. इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता हैं. नवरात्र का सातवाँ दिन इनके नाम है. माँ कालरात्रि नागदौन के रूप में जानी जाती है. मां कालरात्रि की भक्ति से मन का भय दूर होता है. साथ बहुत सी बीमारियों से भी छुटकारा दिलाती है. जो भक्त मन या मस्तिष्क के रोग से ग्रसित है. उसे माँ कालरात्रि को नागदौन औषधि भेंट कर प्रसाद के रूप में इसे सेवन करना चाहिए. इस औषधि में गजब का प्रभाव होता है. यदि इसके पौधे को अपने आँगन में लगा दिया जाए तो घर के सभी सदस्यों की छोटी छोटी मौसमी बीमारियां हमेशा के लिए दूर हो जाती है.
8,,आठवीं औष्धि जुडी है माँ महागौरी से –,,तुलसी
नवदुर्गा का आठवां स्वरूप माँ महागौरी है. हर व्यक्ति इसके बारे में जानता है. इसका औषधीय नाम तुलसी है. यह एक पवित्र औष्धि पौधा है. हर घर में इसकी पूजा की जाती है. तुलसी एक जानी मानी औषधि भी है. जिसका प्रयोग बहुत सी बीमारियों में किया जाता है. तुलसी कई प्रकार की होती है. तुलसी के सभी प्रकार रक्त को साफ तथा हृदय रोग से मुक्ति देती है. इस देवी माँ की उपासना हर किसी को करनी चाहिए.
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9...नौवीं औष्धि जुडी है माँ सिद्धिदात्री से – शतावरी : मां दुर्गा अपने नौवें स्वरूप में माँ सिद्धिदात्री के नाम से प्रसिद्ध है. माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं. दुर्गा के इस रूप को नारायणी या शतावरी कहते हैं. शतावरी बल बुद्धि तथा वीर्य के लिए प्रमुख औषधि है. यह खून के विकार तथा वात, पित्त, शोध नाशक हृदय को बल देने वाली महा औषधि है. शतावरी के नियम से खाने वाले के सभी कष्ट अपने आप ही दूर हो जाते हैं. इसलिए हृदय को शक्ति देने के लिए माँ सिद्धिदात्री देवी की पूजा करनी चाहिए.
Astrologer Gyanchand Bundiwal M. 0 8275555557.