Friday 17 May 2013

गणेशजी एकदंत के नाम से भी जाने जाते हैं

भगवान गणेशजी एकदंत के नाम से भी जाने जाते हैं..
आप जब भी भगवान श्री गणेश जी की कोई प्रतिमा देखेंगे तो उसमे पाएंगे कि उनका एक दन्त खंडित है |,उनके एकदंती होने के पीछे एक कथा है | इस कथा के अनुसार तीनों लोकों की क्षत्रिय विहीन करने के पश्चात परशुराम जी अपने गुरुदेव भगवान शिव जी और गुरु माता से मिलने कैलाश पर्वत पहुंचे | उस समय भगवान शिव जी विश्राम कर रहे थे और भगवान श्री गणेश जी द्वार पर पहरेदार के रूप में बैठे थे | द्वार पर भगवान श्री गणेश को देख कर परशुराम जी ने उन्हें नमस्कार किया और अन्दर के ओर जाने लगे , इस पर भगवान श्री गणेशजी ने उनको अन्दर जाने से रोका | धीरे धीरे दोनों के मध्य विवाद बढ़ता चला गया | परशुराम जी ने अपने अमोध फरसे को , जो की उनको श्री शिव भगवान ने दिया था , चला दिया | फरसे के वार से भगवान गणेश जी का एक दन्त खंडित हो गया | तब से भगवान गणेशजी एकदंत के नाम से भी जाने जाते हैं |

Photo: जय श्री गणेश,,प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥१॥ प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम,ॐ वक्रतुन्डाय हुम |ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं गौं ग: श्रींमहागणाधिपतये नमः |ॐ ह्रींश्रींक्लिंगौं वरदमूर्तयेनमः |ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं नमो भगवते गजाननाय |ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं नमो गणेश्वराय ब्रह्मरूपाय चारवे सर्वसिध्दी प्रदेयाय ब्रह्मणस्पतये नमः |ॐ बिजाय भालचंद्राय गणेश परमात्मने | प्रणतक्लेशनाशाय हेरम्बाय नमो नमः |ॐ आपदामपहर्तार | दातारं सुखसंपदाम | क्षीप्रप्रासादन्न देवं | भूयो भूयो नमाम्यहम

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