Friday, 17 May 2013

नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा

नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा ।
श्यामसुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा ॥ टेर॥
तूँ ही नटवर, तूँ ही नागर, तूँ ही बाल मुकुन्दा ॥१॥
सब देवनमें कृष्ण बड़े हैं, ज्यूँ तारा बिच चन्दा ॥२॥
सब सखियनमें राधाजी बड़ी हैं, ज्यूँ नदियाँ बिच गंगा ॥३॥
ध्रुव तारे, प्रह्लाद उबारे, नरसिंह रुप धरन्ता ॥४॥
कालीदह में नाग ज्यों नाथो, फण-फण निरत करन्ता ॥५॥
वृन्दावन में रास रचायो, नाचत बाल मुकुन्दा ॥६॥
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, काटो जम का फन्दा,,

KRISHNA by VISHNU108

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