शिव
हूँ, केवल शिव ,कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव मैं विकारों से रहित,
विकल्पों से रहित, निराकार, परम एश्वर्य युक्त, सर्वदा यत्किंच सभी में
सर्वत्र, समान रूप में ब्याप्त हूँ, मैं ईक्षा रहित, सर्व संपन्न ,जन्म
-मुक्ति से परे, सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ केवल, शिव न मृत्यु,
न संदेह, न तो जाति-भेद (खंडित) हूँ, न पिता न माता, न जन्म न बन्धु, न
मित्र न गुरु न शिष्य ही हूँ; मैं तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी
शिव हूँ, केवल शिव
न पुण्य हूँ, न पाप; न सुख न दुःख, न मन्त्र न तीर्थ, न वेद न यज्न, न भोज्य, न भोजन न भोक्ता ही हूँ; मै तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव न द्वेष, न राग, न लोभ, न मोह, न मत्सर, न धर्म, न अर्थ, न काम, न मोक्ष हूँ; मैं तो सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव...... न तो प्राण उर्जा हूँ, न पञ्च वायु हूँ, न सप्त धातुएं हूँ, न पञ्च कोष हूँ, न सृष्टी, न प्रलय, न गति, न वाणी और न तो श्रवण ही हूँ; मैं तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव. न तो मन हूँ, न बुद्धि, न अहंकार, न चित्त, न पञ्च इन्द्रियां - (नेत्र,कान,जीभ, त्वचा, नासिका) और न तो पञ्च तत्व (आकाश, भूमि, जल, वायु, अग्नि) हूँ; मैं तो केवल सचिदानंद स्वरूप कल्याणकारी शिव हूँ; केवल शिव हूँ..
न पुण्य हूँ, न पाप; न सुख न दुःख, न मन्त्र न तीर्थ, न वेद न यज्न, न भोज्य, न भोजन न भोक्ता ही हूँ; मै तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव न द्वेष, न राग, न लोभ, न मोह, न मत्सर, न धर्म, न अर्थ, न काम, न मोक्ष हूँ; मैं तो सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव...... न तो प्राण उर्जा हूँ, न पञ्च वायु हूँ, न सप्त धातुएं हूँ, न पञ्च कोष हूँ, न सृष्टी, न प्रलय, न गति, न वाणी और न तो श्रवण ही हूँ; मैं तो केवल सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ, केवल शिव. न तो मन हूँ, न बुद्धि, न अहंकार, न चित्त, न पञ्च इन्द्रियां - (नेत्र,कान,जीभ, त्वचा, नासिका) और न तो पञ्च तत्व (आकाश, भूमि, जल, वायु, अग्नि) हूँ; मैं तो केवल सचिदानंद स्वरूप कल्याणकारी शिव हूँ; केवल शिव हूँ..